हरि मृदुल
छोटे पर्दे से बड़े पर्दे का कामयाब सफ़र करने वाली विद्या बालन ने एक नहीं कई वूमन सेंट्रिक फ़िल्में की हैं .विद्या बालन से बातचीत के अंश -
० एक दौर में आप एक से एक वूमन सेंट्रिक फिल्में कर रही थीं. उस दौर में आपने ‘इश्किया’, ‘कहानी’, ‘पा’ और ‘द डर्टी पि1टर’ जैसी फिल्में दीं. आपको नेशनल अवार्ड सहित कई अन्य लोकप्रिय अवार्ड भी हासिल हुए. फिर अचानक आप गायब सी हो गईं. ऐसा क्यों ?
- मेरे कैरियर में एक ठहराव आ गया था. लगातार सफल फिल्में देने के बाद अचानक ऐसा हुआ कि मेरी फिल्में फ्लाप होने लगीं. ‘घनच1कर’, ‘बॉबी जासूस’ और ‘हमारी अधूरी कहानी’ जैसी फिल्में लोगों को पसंद नहीं आईं. मैं समझ नहीं पाई कि आखिर ऐसा 1यों हुआ? लेकिन मुझे बहुत तकलीफ हुई. मैं रोई और अपने पर गुस्सा हुई. इतनी बडी सफलता मिलने के बाद असफलता का स्वाद चखना काफी मुश्किल होता है. फिर इसके बाद मेरी तबियत खराब हो गई. मैंने आठ महीने आराम किया और अपने आप पर गौर किया. जल्द ही मेरी समझ में आ गया कि सफलता हमेशा बरकरार रहनेवाली चीज नहीं है. अप और डाउन तो हर किसी के कैरियर में आते ही हैं. इससे घबराना नहीं चाहिए. धीरे-धीरे मैं संयत हुई. इस समय मेरे हाथ में तीन फिल्में ‘कहानी २ - दुर्गा रानी सिंह’, ‘बेगम जान’ और ‘कमला दास’ हैं. तीनों में ही मेरी भूमिकाएं एकदम अलग हैं.
० ये तीनों ही फिल्में वूमन सेंट्रिक हैं. क्या मान लिया जाए कि आप विशुद्ध कॉमर्शियल फिल्मों से दूरी बना चुकी हैं?
- इन फिल्मों की विषय वस्तु रुटीन से अलग जरूर है, लेकिन ये तीनों ही कॉमर्शियल फिल्में हैं. देखा जाए, तो इन दिनों ऐसी ही स्क्रिप्ट वाली फिल्में दर्शकों को पसंद आ रही हैं. वैसे, बतौर हीरोइन मैं हर तरह की फिल्मों में काम करना चाहती हूं. सच कहूं तो मैं बहुत ही लालची किस्म की अभिनेत्री हूं. मैं कोई भी ऐसा रोल नहीं छोड़ सकती, जो चुनौतीपूर्ण और अलग हो.
० ‘कहानी २-दुर्गा रानी सिंह’ के बारे में बताइए कि यह पिछली फिल्म के थ्रिल को आगे ले जा पाने में सफल होगी?
- इस फिल्म में भी काफी थ्रिल एलिमेंट हैं. हां, पिछली फिल्म की तुलना में यह इमोशनल ज्यादा है. इस फिल्म का एक लाइन में कथानक यह है कि एक मां अपनी बेटी की रक्षा के लिए किसी भी हद तक गुजर सकती है. पहले ‘दुर्गा रानी सिंह’ नाम से अलग फिल्म बननेवाली थी. लेकिन बाद में इसे ‘कहानी २’ के साथ टैग लाइन के रूप में जोड़ दिया गया. दुर्गा रानी सिंह एक साधारण दिखनेवाली औरत है और यह ‘कहानी’ की विद्या बागची से एकदम अलग है. इसकी दुनिया अलग है, लेकिन यह पिछली फिल्म के थ्रिल एलिमेंट को आगे ले जाने में जरूर सफल होगी.
० बंगाली परिवेश के किरदार आपको कुछ ज्यादा ही लुभाते हैं. पश्चिम बंगाल में आपकी लोकप्रियता भी काफी है. इसका 1या राज है?
- राज जैसी तो कोई बात नहीं है, लेकिन मुझे कॉलेज से ही बांग्ला सीखने का काफी शौक था. बांग्ला के नजदीक जाने के लिए मैंने गाने सीखे. एक-एक करके कुछ वा1य भी सीखे. जब महान फिल्मकार सत्यजीत राय को ऑस्कर दिया गया था, तो उनके बारे में काफी पत्रिकाओं में पढ़ा था. तब मैंने उनकी फिल्में ढूंढक़र देखीं. मृणाल सेन, ऋतिक घटक, तपन सिन्हा, तरुण मजूमदार, श्रीजीत मुखर्जी, अरिंदम सील, ऋतुपर्णो घोष और कौशिक गांगुली की फिल्में भी देखने का मौका मिला. खास बात तो यह है कि मेरे कैरियर की पहली फिल्म बांग्ला भाषा की ही थी, जो बन नहीं पाई. बाद में कैरियर की पहली फिल्म ‘परिणीता’ प्रदीप सरकार जैसे निर्देशक के साथ की, जो कि बंगाली हैं. सुजॉय घोष के साथ भी ‘कहानी’ जैसी फिल्म की. मैंने कोलकाता में बहुत ज्यादा शूटिंग की है. अब मैं बांग्ला बोल लेती हूं. आगामी फिल्म ‘बेगम जान’ की काफी शूटिंग कोलकाता में ही हुई है.
० फिल्म ‘कहानी’ ने न केवल कई नए ट्रेंड सेट किए, बल्कि बॉलीवुड को एक नई विद्या से भी परिचित करवाया. आप खुद इस फिल्म को अपने कैरियर के लिए कितना बड़ा मोड़ मानती हैं?
- निश्चित रूप से ‘कहानी’ मेरे कैरियर का बड़ा मोड़ है. इस फिल्म की सफलता के बाद बॉलीवुड में वूमन सेंट्रिक फिल्मों पर भरोसा बना. लगा कि ए1ट्रेस भी अपने दम पर फिल्म चला सकती है. असल में हमारे समाज में भी लड़कियों की स्थिति बदली है. ज्यादातर लड़कियां अपनी लाइफ अपनी शर्तों पर जीने की कोशिश कर रही हैं. इसका असर फिल्मों की स्क्रिप्ट पर पड़ा है. पहले की फिल्मों में औरत देवी होती थी या फिर उसकी डायन जैसी छवि रची जाती थी. लेकिन अब वो इंसान के तौर पर दिखाई जा रही है. उसमें कमियां भी हैं और खूबियां भी. उनमें कई शेड हैं, जो न बहुत अच्छे हैं और न ही बहुत बुरे.
० आप एक मलयालम फिल्म भी तो कर रही हैं. इस बायोपिक फिल्म में आप कमला दास की भूमिका निभा रही हैं, जो कि एक मशहूर कवयित्री थीं. इस फिल्म के लिए आपने अपनी ओर से 1या तैयारियां की हैं?
- मैंने कमला दास की जीवनी पढ़ी है. इसके अलावा उनकी लिखी कविताओं पर एक गहरी नजर डाली है. इस फिल्म की शूटिंग जल्द ही शुरू होगी. इसके निर्देशन का बीड़ा उठाया है कमल ने. कम लोगों को पता है कि कमल के साथ ही मेरे कैरियर की पहली फिल्म शूट होने वाली थी, लेकिन बाद में यह फिल्म बंद हो गई थी. फिल्म ‘कमला दास’ की शूटिंग मुंबई, केरल और कोलकाता में होनी है. इसमें अपने किरदार की तैयारी के लिए मैं कमला जी के वीडियो देखूंगी. मैं उनके बेटे के टच में हूं, इसलिए उनके बारे में ज्यादा से ज्यादा जानकारियां हासिल करूंगी. मेरी ओर से पूरी कोशिश होगी कि मैं प्रामाणिक तौर पर अपना किरदार निभाऊं.
० नई पीढ़ी की हीरोइनों पर आपकी क्या प्रतिक्रिया है? आप आज की किन अभिनेत्रियों के काम से प्रभावित हैं और किनको उत्सुकता से देख रही हैं?
- नई पीढ़ी की लगभग सभी अभिनेत्रियां प्रतिभाशाली हैं. ये गजब की प्रोफेशनल हैं. इन्होंने पूरी तैयारी के साथ अभिनय के क्षेत्र मे कदम रखे हैं. मैं कंगना रनोट और आलिया भट्ट की फिल्में काफी उत्सुकता से देखती हूं. ये दोनों ही लीक से हटकर काम करती हैं. कंगना तो खैर मंजी हुई अभिनेत्री हैं ही, आलिया भी लगातार अपने आपको साबित कर रही हैं. इन दोनों की फिल्मों का चयन भी मुझे आकर्षित करता है. इनके पास देखने की एक खास दृष्टि है, जो कम अदाकारों में होती है.
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