महत्वाकांक्षी बीमा योजना से लाभ नहीं

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महत्वाकांक्षी बीमा योजना से लाभ नहीं

आलोक कुमार

पटना. वैश्विक कोरोना वॉरियर्स के हित में केंद्र और राज्य सरकार ने ठोस कदम उठाये हैं.कोरोना काल में भारत सरकार की इस महत्वाकांक्षी बीमा योजना से प्राइवेट सेक्टर में कार्यरत चिकित्साकर्मियों का आत्मविश्वास भी बढ़ेगा और कोरोना के खिलाफ संघर्ष में उनका मनोबल ऊंचा होगा.इस ठोस कदम तले निर्मित योजनाओं से कोरोना वॉरियर्स को लाभ मिल रहा है कि योजना हवा में उड़ गयी?यह जांच का विषय है.

जानकारी के अनुसार केंद्र सरकार ने कोरोना वॉरियर्स का बीमा प्रधानमंत्री गरीब कल्याण पैकेज के तहत किया है. इस पैकेज में प्राइवेट सेक्टर में काम कर रहे डॉक्टरों और कोविड मरीजों का उपचार कर रहे, अन्य स्वास्थ्यकर्मियों को भी शामिल कर लिया गया है.इस योजना का लाभ उन प्राइवेट अस्पतालों के डॉक्टरों, नर्सों, पैरा मेडिकल स्टाफ एवं उन कर्मियों को मिलेगा, जिनकी असामयिक मृत्यु कोविड मरीजों के उपचार के दौरान होगी. इसका लाभ जिला प्रशासन द्वारा चिह्नित प्राइवेट अस्पतालों को ही मिलेगा. अभी जिला प्रशासन द्वारा सूबे में 120 प्राइवेट अस्पताल चिह्नित किए गए हैं.मृत्यु होने पर परिजनों को 50 लाख रूपये बीमा की राशि देने का प्रावधान है.

वहीं राज्य सरकार ने कोरोना वॉरियर्स को एक माह का मूल वेतन प्रोत्साहन के रूप में दे रही है.भोजन भत्ता भी दिया जा रहा है.इसके अलावे कोविड विजेताओं द्वारा प्लाज्मा दान को ज्यादा से ज्यादा प्रोत्साहित करने के लिए प्रति प्लाजमा दाता प्रोत्साहन राशि देने के लिये मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने निर्देश दे रखा है.इससे उनका उत्सावर्द्धन होगा और प्लाज्मा देने वालों की संख्या बढ़ने के अलावा जरूरतमंद मरीजों को इसका लाभ भी मिलेगा.

कोराना वायरस (Coronavirus) के संक्रमण की चपेट में आने से देश में पहले डॉक्‍टर शत्रुघ्‍न पंजवानी हैं. इंदौर निवासी डॉक्‍टर शत्रुघ्‍न पंजवानी का COVID-19 के चलते निधन हो गया. जानकारी के मुताबिक, डॉक्‍टर पंजवानी ने सुबह चार बजे अंतिम सांस ली. बताया जाता है कि वह कोरोना वायरस से संक्रमित मरीजों का इलाज नहीं कर रहे थे, ऐसे में यह आशंका जताई जा रही है कि वह किसी नियमित लेकिन कोविड-19 पॉजिटिव के संपर्क में आए होंगे. बता दें कि कुछ दिनों पहले ही डॉक्‍टर पंजवानी कोरोना पॉजिटिव पाए गए थे. वह प्राइवेट प्रैक्टिशनर थे.


सर्वविदित है कि कोरोना वायरस मरीजों के साथ-साथ डॉक्टरों के लिए भी जानलेवा साबित हो रहा है. इंडियन मेडिकल एसोसिएशन के अनुसार कोरोना के कारण देश में अब तक 393डॉक्टरों की मौत हो चुकी है. पटना एम्स कोरोना नोडल आफिसर डॉ. संजीव कुमार के मुताबिक, पिछले दो दिनों में दो डॉक्टरों की मौत कोरोना से हो जाने के चलते चिकित्सा जगत में मातम का माहौल है. बुधवार को सहरसा के सोनबरसा के मेडिकल आफिसर इंचार्ज प्रमोद कुमार गौतम की मौत कोरोना इलाज के दौरान हो गयी है. इससे पहले मंगलवार को एम्स में गोपालगंज के सीनियर गायनोकोलॉजिस्ट डॉ. राजेन्द्र ठाकुर की मौत भी कोरोना से हो गयी थी.डॉ. प्रमोद कुमार गौतम पटना के अगमकुआं में रहते थे.अब यह आंकड़ा बढ़कर 395 हो गया है. सबसे ज्यादा तमिलनाडु के 64 डॉक्टरों ने कोरोना संक्रमण के कारण अपनी जान गंवाई है. इसके बाद आंध्रप्रदेश के 43, कर्नाटक के 42, गुजरात के 39, महाराष्ट्र के 37, पश्चिम बंगाल के 29 और उत्तर प्रदेश के 23 डॉक्टरों को महामारी का शिकार होना पड़ा है. देश की राजधानी दिल्ली में भी एक दर्जन से ज्यादा (13) डॉक्टरों की कोरोना के कारण मौत हो चुकी है.आंध्रप्रदेश 43,असम 10,बिहार 26,चंडीगढ़ 03, छत्तीसगढ़ 04,दिल्ली 13,गुजरात 39,हरियाणा 07,हिमाचल प्रदेश 02, जम्मू-कश्मीर 01,झारखंड 04,कर्नाटक 42, मध्यप्रदेश 14, महाराष्ट्र 37,मेघालय 01,ओडीशा 09,पुडुचेरी 02,पंजाब 05,राजस्थान 07,तमिलनाडु  64,तेलंगाना 10,उत्तर प्रदेश 23,पश्चिम बंगाल 29.कुल 395.


यह आंकड़ा केवल उन डॉक्टरों का है, जो इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (आईएमए) से रजिस्टर्ड हैं. विशेषज्ञों के मुताबिक भारी संख्या में ऐसे डॉक्टर भी हैं, जो इस संस्था से रजिस्टर्ड हुए बिना भी प्रैक्टिस करते हैं.उनकी मौत के आंकड़ों की ठीक-ठीक जानकारी किसी के पास नहीं है. राज्य स्तर पर भी इस तरह के आंकड़े रखने की कोई व्यवस्था नहीं की गई है. यही कारण है कि डॉक्टरों की मौत के आंकड़ों के बारे में कोई पुख्ता जानकारी नहीं है.

 

इंडियन मेडिकल एसोसिएशन के अध्यक्ष राजन शर्मा ने कहा कि डॉक्टर देश के बॉर्डर से लेकर सीमा के अंदर तक देशवासियों की सेवा करते हैं, लेकिन इसके बाद भी अगर केंद्र सरकार यह कहती है कि उसके पास डॉक्टरों की मौत का आंकड़ा नहीं है तो यह दुर्भाग्यपूर्ण है. उन्होंने कहा कि सरकार को देश के सभी स्वास्थ्यकर्मियों की मौत की जानकारी जुटाकर उन्हें विशेष सम्मान देने की कोशिश करनी चाहिए, जिससे डॉक्टरों को भी लगे कि देश के लोगों की सेवा में उनकी महत्वपूर्ण भूमिका को एक पहचान दी जा रही है.

इन डॉक्टरों की वजह से उनके परिवार के लोग भी संक्रमित हो रहे हैं और अनेक जगहों पर उनकी मौत की भी खबरें आई हैं. लेकिन पर्याप्त सुविधाओं के अभाव में इनकी भी कोई जानकारी नहीं रखी जा रही है.दिल्ली के एम्स अस्पताल के ही सैकड़ों स्वास्थ्यकर्मी और उनके हजारों परिवार के सदस्य कोरोना के कारण संक्रमित हो चुके हैं.सुरक्षा के बाद भी संक्रमण की चपेट में क्यों?कोरोना मरीजों का इलाज करने के दौरान डॉक्टर पीपीई किट्स पहनकर काम करते हैं. वे सुरक्षा उपायों के प्रति भी पूरी तरह जागरूक होते हैं. ऐसे में वे संक्रमित कैसे हो जाते हैं? इस सवाल पर राजन शर्मा ने कहा कि अब तक हम केवल संपर्क में आने वाले कारकों की चर्चा करते रहे हैं.अब एयरोसोल से संक्रमण की जानकारी भी सामने आ रही है.जाहिर है कि ऐसी स्थिति में सांस के साथ किसी भी डॉक्टर के संक्रमित होने की आशंका हो सकती है.साथ ही अभी अनेक ऐसे कारक भी सामने आ सकते हैं, जिसके बारे में हमें अभी ठीक-ठीक जानकारी नहीं है.


नर्सों की सेवाओं की पहचान करे सरकार दिल्ली नर्सेज फेडरेशन के अध्यक्ष एलडी रामचंद्रन ने बताया कि नर्सें संक्रमित लोगों के इलाज से सीधी तौर पर जुड़ी रहती हैं.यही कारण है कि उनके संक्रमित होने की संभावनाएं डॉक्टरों की तुलना में ज्यादा होती हैं. लेकिन पर्याप्त सुविधाओं के अभाव में भारी संख्या में उनकी मौत भी हुई है.लेकिन अभी राष्ट्रीय स्तर पर उनकी जानकारी नहीं रखी जा रही है. उन्होंने कहा कि कोरोना संक्रमित लोगों के इलाज में लगी नर्सों के लिए विशेष पैकेज होना चाहिए और मौत की स्थिति में राष्ट्रीय स्तर पर एक मुआवजा राशि निर्धारित होनी चाहिए.राजधानी पटना में है बिहटा प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र. उषा रानी विद्यार्थी नामक एएनएम ड्यूटी जाते के दरम्यान सड़क दुर्द्यटना में मारी गयी. शेखपुरा में स्थित इंदिरा गांधी आर्युविज्ञान संस्थान में सेवारत स्टाफ नर्स श्वेता रॉबर्ट की मौत कोरोना से हो हो गयी.


बिहार के सच में कोरोना वॉरियर्स हैं जो कोना में बैठकर रो रहे हैं. उनको दो माह का वेतन नहीं मिला है. एक माह के वेतन के रूप में प्रोत्साहन राशि नहीं मिला है. भोजन में 250 रू. और नास्ता में 100 रू. देने की घोषणा की गयी थी. जो गोल हो गया है. एक एएनएम ने आपबीती सुनायी कि उनके घर में कोरोना धावा बोल दिया है. उनके पतिदेव और दो बच्चे कोरोना पॉजिटिव हैं. इसके बाद वह एएनएम ने खुद कोरोना टेस्ट करवायी. उसकी जांच रिपोर्टिग निगेटिव हैं. वह कहती हैं कि इसी हालात में जबरन ड्यूटि करवायी जा रही है. प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र,पटना सदर के अधिकारी नौकरी निकाला की धमकी देकर काम करने को बाध्य कर रहे है.एक रात्रि प्रहरी ने कहा कि कोरोना जांच केन्द्र में काम करने के कारण घर नहीं जा रहा है, ताकि घर के लोगों को संक्रमण न लग जाए. हालांकि वह कोरोना जांच में निगेटिव निकला है. वह दुकान से खाना खाकर कोरोना से लड़ रहा है.

केंद्र सरकार ने लोकसभा को बताया था कि ड्यूटी के दौरान कोरोना वायरस से संक्रमित होने या अपनी जान गंवाने वाले स्वास्थ्यकर्मियों की संख्या का आंकड़ा स्वास्थ्य मंत्रालय द्वारा केंद्रीय स्तर पर तैयार नहीं किया गया है.

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