पटना.बिहार विधानसभा चुनाव के तीसरे चरण की 78 सीटों पर आज शनिवार को वोटिंग हो रही है और नतीजे 10 नवंबर को आएंगे. इस बीच नीतीश सरकार के दो मंत्रियों की कैबिनेट से छुट्टी हो गई है, जिनमें जेडीयू के कार्यकारी अध्यक्ष अशोक चौधरी और नीरज कुमार शामिल हैं. ये दोनों मंत्री विधान परिषद सदस्य थे, जिनका कार्यकाल 6 मई को ही पूरा हो गया था. छह महीने गुजर जाने के बाद दोनों नेता किसी भी सदन के सदस्य नहीं चुने जा सके हैं, जिसके चलते अब उन्हें मंत्री पद से इस्तीफा देना पड़ा.
दरअसल कांग्रेस एमएलसी प्रेमचंद मिश्र ने एक ट्वीट कर दोनों मंत्रियों के कैबिनेट में बने रहने को असंवैधानिक बताया और राज्यपाल से दोनों को हटाने की मांग उठायी थी. ऐसे में राज्य सरकार के मंत्रिमंडल समन्वय विभाग ने गुरुवार को नोटिफिकेशन जारी कर साफ कर दिया कि दोनों मंत्री अब कैबिनेट का हिस्सा नहीं हैं.
इस बीच बिहार सरकार के मंत्रिमंडल सचिवालय विभाग ने अधिसूचना जारी कर दी है. अधिसूचना में लिखा गया है कि अशोक चौधरी, माननीय मंत्री, भवन निर्माण विभाग की विधान परिषद की सदस्यता दिनांक 06.05.2020 को समाप्त हो गई है.भारत के संविधान के अुनच्छेद 164 (4) में निहित प्रावधान के अंतर्गत अशोक चौधरी, दिनांक 06.11.2020 से राज्य के मंत्री एवं मंत्रिपरिषद के सदस्य नहीं रहेंगे.
नीतीश सरकार के भवन निर्माण मंत्री डॉ. अशोक चौधरी और सूचना व जनसंपर्क मंत्री नीरज कुमार 2014 में विधान परिषद सदस्य चुने गए थे.नीरज कुमार स्नातक कोटे से सदस्य थे जबकि अशोक चौधरी विधायक कोटे से चुने गए थे. नीरज कुमार एक बार फिर से पटना क्षेत्र से स्नातक सीट से एनडीए प्रत्याशी के तौर चुनावी मैदान में उतरे हैं, जिसका नतीजा 12 नंवबर को आएगा. वहीं, अशोक चौधरी के एमएलसी मनोनीत होने की संभावना थी, जो आचार संहित लागू हो जाने के चलते नहीं हो सकी. यही वजह है कि अब इन दोनों नेताओं का कार्यकाल खत्म हुए 6 महीने पूरे हो गए हैं, जिसके चलते उन्हें कैबिनेट से हटना पड़ा है.
दरअसल, बिना किसी की सदन के सदस्य रहते हुए मंत्री पद रखने के लिए संविधान की धारा 164 (4) के अनुसार 6 माह में राज्य के किसी सदन विधानसभा या फिर विधान परिषद का सदस्य होना अनिवार्य है. ऐसे में अशोक चौधरी और नीरज कुमार कार्यकाल पूरा होने के बाद छह माह बाद भी किसी सदन के सदस्य चुने नहीं जा सके. बिहार की स्नातक कोटे की सीट पर कोरोना संक्रमण के चलते समय से चुनाव नहीं सके, जिसके चलते नीरज कुमार को कुर्सी छोड़नी.
वहीं, अशोक चौधरी को मनोनीत होना था, लेकिन एनडीए के सहयोगी दलों के बीच सहमति नहीं बन सकी. एमएलसी की 12 मनोनीत सीटों पर का फैसला होता है, उससे पहले चुनाव की घोषणा हो गई. इसकी वजह से अब इन पर चुनाव के बाद ही फैसला होना है. ऐसे में अशोक चौधरी को मंत्री पद छोड़ना पड़ा है.
बता दें कि नीतीश सरकार के 31 मंत्रियों में 26 विधानसभा के सदस्य हैं, जिनमें से 24 मंत्री चुनाव लड़ रहे हैं. वहीं, मुख्यमंत्री नीतीश कुमार, उप मुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी, स्वास्थ्य मंत्री मंगल पांडेय एमएलसी हैं जबकि सूचना मंत्री नीरज कुमार मंत्री अशोक चौधरी के एमएलसी का कार्यकाल पूरा हो चुका है. बिहार चुनाव के पहले चरण में आठ और दूसरे चरण में चार मंत्री चुनाव मैदान में थे, जहां वोटिंग हो चुकी है. वहीं, तीसरे चरण में एक दर्जन मंत्री चुनाव लड़ रहे हैं, जिनमें 8 जेडीयू और चार बीजेपी कोटे के मंत्री हैं.
बिहार के भवन निर्माण मंत्री डॉ अशोक चौधरी जदयू के प्रदेश कार्यकारी अध्यक्ष बनाए गए हैं. जदयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष व बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के निर्देश पर प्रदेश जदयू अध्यक्ष व सांसद वशिष्ठ नारायण सिंह ने डॉ चौधरी को कार्यकारी अध्यक्ष नियुक्त किया है.प्रदेश अध्यक्ष सिंह ने जारी विज्ञप्ति में कहा है कि राष्ट्रीय अध्यक्ष नीतीश कुमार की सहमति से अशोक चौधरी मेरी अनुपस्थिति में बतौर कार्यकारी अध्यक्ष पार्टी का कामकाज देखेंगे.
गौरतलब है कि वर्ष 2017 में जब नीतीश कुमार महागठबंधन से अलग हुए तो 1 मार्च, 2018 को अशोक चौधरी ने जदयू की सदस्यता ली.पिछले साल उन्हें भवन निर्माण मंत्री बनाया गया था. फिलहाल जदयू के वर्चुअल आयोजनों में उनकी महती भूमिका रही है.डॉ अशोक चौधरी बिहार प्रदेश कांग्रेस के अध्यक्ष रहे चुके हैं.जदयू, राजद और कांग्रेस के महागठबंधन में वर्ष 2015 के विधान सभा चुनाव में अशोक चौधरी के नेतृत्व में ही कांग्रेस को 27 सीटों पर विजय मिली थी.वर्ष 2014 में वे बिहार विधान परिषद के सदस्य बने थे.महागठबंधन की सरकार बनने पर शिक्षा मंत्री बनाए गए. उनकी सांगठनिक दक्षता को देखते हुए जदयू ने ऐन चुनाव के समय यह महती जिम्मेदारी सौंपी.
इसके अलावा जेडीयू नेता नीरज कुमार की भी विधान परिषद की सदस्यता खत्म हो चुकी है. जारी अधिसूचना में लिखा गया है कि नीरज कुमार, माननीय मंत्री, सूचना एवं जनसंपर्क विभाग की बिहार विधान परिषद की सदस्यता दिनांक- 06.05.2020 को समाप्त हो गई है.भारत के संविधान के अनुच्छेद 164(4) में निहित प्रावधान के अंतर्गत नीरज कुमार दिनांक- 06.11.2020 के प्रभाव से राज्य के मंत्री तथा मंत्रिपरिषद के सदस्य नहीं रहेंगे.
बता दें कि संविधान के अनुसार मंत्री बनने के 6 महीने के भीतर विधानमंडल के किसी भी सदन का सदस्य होना जरूरी होता है. इसके मुताबिक दोनों ही मंत्री पहले विधानपरिषद थे जिसके बाद मंत्री बने लेकिन उनकी सदस्यता मई 2020 में ही समाप्त हो चुकी थी.
Copyright @ 2019 All Right Reserved | Powred by eMag Technologies Pvt. Ltd.
Comments