सातवीं बार नीतीश कुमार की ताजपोशी

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सातवीं बार नीतीश कुमार की ताजपोशी

पटना.राजग की ओर से मुख्यमंत्री का चेहरा हैं नीतीश कुमार. इनको पहले ही से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, केंद्रीय गृह मंत्री अमित साह, केंद्रीय गृह राज्य मंत्री नित्यानंद राय, केंद्रीय कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद,भाजपा अध्यक्ष जयप्रकाश नड्डा,भाजपा प्रदेश अध्यक्ष डॉ. संजय जायसवाल, पूर्व उप मुख्यमंत्री सुशील कुमार आदि नेताओं ने स्पष्ट रूप से कह दिये थे, जीतने के बाद नीतीश कुमार ही मुख्यमंत्री होंगे.इस बीच भाजपा प्रदेश अनुसूचित जाति मोर्चा के अध्यक्ष के अजीत चौधरी ने गुगली मारकर गुप्त एजेंडा को खोलकर राष्ट्रीय चर्चा में आ गये.चुनाव में अधिक सीट लाने वाले भाजपा का ही मुख्यमंत्री बनें.

नैतिकता का तकाजा है कि नीतीश कुमार भाजपा को सीएम पद ऑफर करें.वहीं भाजपा को भय सताने लगा कि सीएम को लेकर अड़ंगा लगाने से नीतीश महागठबंधन के साथ बंधने को तैयार हो जाएंगे.इसी कारण अजीत कुमार की गुगली को बेहतर ढंग से खेल दिया. 


 इसके अलावे एक बार फिर से उनकी ताजपोशी होनी है. नीतीश कुमार मुख्यमंत्री पद की शपथ लेने के बाद कीर्तिमान उनके नाम पर बनेगा.अपने ही कीर्तिमान चौका व छक्का मारकर तोड़ने वाले नीतीश कुमार  सातवीं बार मुख्यमंत्री होंगे. राजनीति में कोई व्यवधान नहीं होने पर इस बार की तरह अगले पांच साल तक मुख्यमंत्री पद पर काबिज रहेंगे.सभी तरह की रूकावटों को किनारे कर सीएम बनने का रास्ता साफ हो गया है.

  बिहार के वर्तमान मुख्यमंत्री नीतीश कुमार का जन्म 1 मार्च, 1951 को पटना (बिहार) के एक गांव बख्तियारपुर में हुआ था. नीतीश कुमार के पिता राम लखन सिंह स्वत्रंता सेनानी और विख्यात गांधीवादी नेता और भारत की संविधान सभा के सदस्य डॉ. अनुराग नारायण सिन्हा के करीबियों में से एक थे. सिन्हा को बिहार विभूति की उपाधि से भी नवाजा गया था. नीतीश कुमार का पारिवारिक नाम मुन्ना है. वह शराब और सिगरेट जैसे नशों से स्वयं को दूर रखते हैं. नीतीश कुमार ने बिहार कॉलेज ऑफ इंजीनियरिंग, पटना से अभियांत्रिकी में स्नातक की पढ़ाई संपन्न की. वर्ष 1973 में इन्होंने पेशे से अध्यापिका मंजू कुमारी सिन्हा से विवाह किया. इन दोनों का एक बेटा भी है. लेकिन वर्ष 2007 में 53 वर्ष की उम्र में इनकी पत्नी का देहांत हो गया.


नीतीश कुमार प्रगतिवादी और व्यवहारिक सोच वाले नेता हैं. वह जनता दल यूनाइटेड के एक अग्रणी और प्रतिष्ठित नेता हैं. वह नई विचारधारा से प्रभावित लेकिन गंभीर व्यक्तित्व के स्वामी हैं.नीतीश कुमार समाजवादी राजनीतिज्ञों की श्रेणी से संबंध रखते हैं. इन्होंने राम मनोहर लोहिया, जयप्रकाश नारायण, वी.पी सिंह जैसे राजनैतिक दिग्गजों की देख-रेख में राजनीति के सभी पक्षों को ध्यान से समझा है.  नीतीश कुमार ने वर्ष 1974 से 1977 तक चले जयप्रकाश नारायण के आंदोलन में बढ़-चढ़ कर अपनी भागीदारी निभाई. नीतीश कुमार अनुराग सिन्हा के पुत्र और बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री सत्येन्द्र नारायण सिन्हा के करीबी थे. उन्होंने सबसे पहले वर्ष 1985 में निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में बिहार विधानसभा में प्रदार्पण किया. 

वर्ष 1987 में नीतीश  कुमार युवा लोक दल के अध्यक्ष बनाए गए. इसके बाद वर्ष 1989 में वह बिहार में जनता दल इकाई के महासचिव और नौवीं लोकसभा के सदस्य बनाए गए. लोकसभा में अपने पहले कार्यकाल के दौरान नीतीश  कुमार केन्द्रीय राज्य मंत्री बनाए गए. उन्हें भूतल परिवहन और रेलवे मंत्रालय का भार सौंपा गया. लेकिन गैसल में हुई भीषण ट्रेन दुर्घटना के बाद उन्होंने इस पद से इस्तीफा से दिया और कृषि मंत्री बने. वर्ष 1991 में नीतीश कुमार दोबारा लोकसभा के लिए चुने गए और साथ ही राष्ट्रीय स्तर के महासचिव बनाए गए. उन्होंने लगातार वर्ष 1989 से 2004 तक बाढ़ निर्वाचन क्षेत्र से लोकसभा का चुनाव जीता. वर्ष 2001 से 2004 के बीच एनडीए की सरकार के कार्यकाल के दौरान नीतीश कुमार ने कैबिनेट मंत्री के तौर पर रेल मंत्रालय संभाला. वर्ष 2004 में नीतीश   कुमार ने नालंदा और बाढ़ दोनों जगहों से चुनाव लड़ा, जिसमें उन्हें नालंदा निर्वाचन क्षेत्र में तो जीत प्राप्त हुई लेकिन वह अपने पारंपरिक क्षेत्र बाढ़ में हार गए. नीतीश कुमार तीन बार बिहार के मुख्यमंत्री बनाए गए. पहली बार मार्च 2000 में वह मुख्यमंत्री पद पर आसीन हुए लेकिन बहुमत साबित ना कर पाने के कारण केवल 7 दिनों में ही उन्हें इस्तीफा देना पड़ा. लेकिन जब वर्ष 2005 में लालू यादव के पंद्रह वर्ष से चले आ रहे एकाधिकार को समाप्त कर नीतीश कुमार ने एनडीए गठबंधन को बिहार विधानसभा चुनाव में जीत दिलवाई तब उन्हें ही प्रदेश का मुख्यमंत्री निर्वाचित किया गया. उन्होंने अपना यह कार्यकाल सफलतापूर्वक पूरा किया. मुख्यमंत्री के रूप में उनका तीसरा कार्यकाल 26 नवंबर, 2010 से अभी तक चल रहा है.


नीतीश कुमार ने मुख्यमंत्री पद पर रहते हुए बिहार में सूचना के अधिकार के इलेक्ट्रॉनिक संस्करण की शुरुआत की.उन्होंने मनरेगा के तहत ई-शक्ति कार्यक्रम की शुरुआत की, जिसके तहत फोन पर ही रोजगार से जुड़े समाचार उपलब्ध कराए जाते हैं.इनके कार्यकाल के दौरान बिहार में फैस्ट ट्रैक न्यायालयों के तहत पहले की अपेक्षा कहीं ज्यादा आपराधिक मामलों का निपटारा किया गया.नीतीश कुमार ने अपने कार्यकाल के दौरान प्रत्येक स्कूल जाने वाली लड़की को साइकिल उपलब्ध कराने की योजना भी शुरू की, जिसके परिणाम स्वरूप ज्यादा से ज्यादा लड़कियों ने स्कूल जाना शुरू किया और पहले की अपेक्षा अधिक परिवारों ने भी अपनी बच्चियों को स्कूल से निकालना कम किया.


मुफ्त दवाइयां, चिकित्सीय सेवाएं और किसानों को ऋण देने जैसी सेवाएं भी शुरू की गईं.पूर्व राष्ट्रपति अबुल कलाम और नितीश कुमार की पहल के कारण नालंदा अंतरराष्ट्रीय यूनिवर्सिटी प्रोजेक्ट की शुरुआत हुई.रेल मंत्री रहते हुए उन्होंने रेल सेवा को सुचारू रूप से चलाने और टिकटों की बुकिंग को आसान बनाने के लिए इंटरनेट टिकट बुकिंग और तत्काल सेवा प्रारंभ की. इसके अलावा नीतीश कुमार ने टिकट बुक कराने के लिए भी प्रचुर मात्रा में रेलवे टिकट काउंटर खुलवाए.ऐसा माना जाता है कि नीतीश कुमार के प्रयासों के द्वारा ही दिवालिया होती भारतीय रेल सेवा फिर से तीव्र गति से विकास करने लगी.


नीतीश कुमार को दिए गए सम्मान.वर्ष 2010 में एनडीटीवी इंडियन ऑफ द ईयर,2010 में फोर्ब्स इंडिया पर्सन ऑफ द ईयर,वर्ष 2010 में सीएनएन और वर्ष 2009 में एनडीटीवी ने राजनीति के क्षेत्र में नीतीश कुमार को इंडियन ऑफ द ईयर का खिताब दिया.वर्ष 2008 में सीएनएन–आईबीएन ने राजनीति के क्षेत्र में नितीश कुमार को महान भारतीय का सम्मान प्रदान.वर्ष 2007 में एक सर्वे के आधार पर सीएनएन-आईबीएन ने नीतीश कुमार को सर्वश्रेष्ठ मुख्यमंत्री की उपाधि से सम्मानित किया.   नीतीश  कुमार को बिहार के संदर्भ में समाज सुधारक कहा जाता है. उन्होंने बिहार में व्याप्त जातीय और लिंग के आधार पर भेदभाव को न्यूनतम करने जैसे महत्वपूर्ण प्रयास किए. उनकी साफ और निष्पक्ष छवि के कारण ही विपक्षी दलों के प्रतिष्ठित और अग्रणी नेता जैसे सोनिया गांधी, पी. चिदंबरम, राहुल गांधी ने उन्हें एक सफल, विकास के लिए प्रयासरत राजनेता और मुख्यमंत्री कहकर संबोधित किया है.



नीतीश कुमार पहली बार वर्ष 2000 में मुख्यमंत्री पद की शपथ ली थी. हालांकि उस वक्त उनकी पारी मात्र सात दिनों में ही खत्म हो गई थी. अगली बार 2005 में नीतीश कुमार ने भाजपा के साथ फिर गठबंधन कर चुनाव लड़े और पूर्ण बहुमत से सरकार में लौटे.तीसरी बार 2010 में बिहार ने फिर उनके नेतृत्व पर भरोसा किया. 2014 में लोकसभा चुनाव में बेहतर प्रदर्शन न कर पाने के चलते नीतीश कुमार ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया और अपने ही दल के जीतनराम मांझी को मुख्यमंत्री बनाया.हालांकि कुछ महीने के बाद ही दोनों वरिष्ठ नेताओं के बीच गलतफहमी पैदा हो जाने के कारण मांझी को इस्तीफा देना पड़ा.नाटकीय घटनाक्रम में जदयू विधायक दल ने नीतीश कुमार को मुख्यमंत्री के रूप में फिर आगे किया.भाजपा से अलग होने के बाद उन्होंने 2015 में राजद के साथ गठबंधन किया और अपने चेहरे पर सत्ता में वापसी की.नीतीश के नेतृत्व में चुनाव लड़ते हुए राजद ने भी अच्छा प्रदर्शन किया.हालांकि यह गठबंधन ज्यादा दिनों तक नहीं चल पाया.बीच में ही 27 जून 2017 में दोनों के संबंध टूट गए. भाजपा के साथ नीतीश कुमार ने बिहार में फिर से राजग को एक नई सरकार दी. छठी बार मुख्यमंत्री बने.2020 में नीतीश कुमार के नेतृत्व में बिहार के मतदाताओं ने फिर भरोसा जताया है. इस तरह वह मुख्यमंत्री पद की शपथ लेने वाले सातवें नेता हो सकते हैं.


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