शत्रु के पिछड़ने का सिलसिला जारी

गोवा की आजादी में लोहिया का योगदान पत्रकारों पर हमले के खिलाफ पटना में नागरिक प्रतिवाद सीएम के पीछे सीबीआई ठाकुर का कुआं'पर बवाल रूकने का नाम नहीं ले रहा भाजपा ने बिधूड़ी का कद और बढ़ाया आखिर मोदी है, तो मुमकिन है बिधूड़ी की सदस्य्ता रद्द करने की मांग रमेश बिधूडी तो मोहरा है आरएसएस ने महिला आरक्षण विधेयक का दबाव डाला और रविशंकर , हर्षवर्धन हंस रहे थे संजय गांधी अस्पताल के चार सौ कर्मचारी बेरोजगार महिला आरक्षण को तत्काल लागू करने से कौन रोक रहा है? स्मृति ईरानी और सोनिया गांधी आमने-सामने देवभूमि में समाजवादी शंखनाद भाजपाई तो उत्पात की तैयारी में हैं . दीपंकर भट्टाचार्य घोषी का उद्घोष , न रहे कोई मदहोश! भाजपा हटाओ-देश बचाओ अभियान की गई समीक्षा आचार्य विनोबा भावे को याद किया स्कीम वर्करों का पहला राष्ट्रीय सम्मेलन संपन्न क्या सोच रहे हैं मोदी ?

शत्रु के पिछड़ने का सिलसिला जारी

आलोक कुमार 

पटना.पटना साहिब लोकसभा सीट से बॉलीवुड कलाकार शत्रुघ्न सिन्हा,लखनऊ लोकसभा सीट से पूनम सिन्हा और बांकीपुर विधानसभा से लव सिन्हा पराजित हो गये. पति, पत्नी और पुत्र हार की घूंट पीने को बाध्य हैं.यह सब शत्रुघ्न सिन्हा को भाजपा के शत्रु बनने का नतीजा है.सबसे मोदी-अमित से पंगा लिये हैं एक बार भी शत्रुघ्न सिन्हा चुनाव और उसके परिवार के लोग चुनाव जीत नहीं पाये हैं.भाजपा से कांग्रेस में आने से शत्रुघ्न सिन्हा को पराजित कर इस सीट पर हैट्रिक लगाने का उनका सपना टूटा था.

बता दें कि पटना साहिब लोकसभा सीट से भाजपा प्रत्याशी रविशंकर प्रसाद रिकॉर्ड 2 लाख 84 हजार 657 मतों से विजयी रहे. उन्होंने कांग्रेस के प्रत्याशी शत्रुघ्न सिन्हा को पराजित कर इस सीट पर हैट्रिक लगाने का उनका सपना तोड़ दिया. बता दें कि पटना साहिब में सातवें चरण में मतदान हुआ है. इस बार पटना साहिब में 43.54 प्रतिशत वोटिंग हुई. जो पिछली बार से 1.82 प्रतिशत कम इस बार हुआ


बता दें शत्रुघ्न सिन्हा ने अपने राजनीतिक जीवन की शुरुआत 1992 में की. नई दिल्ली लोकसभा सीट से राजेश खन्ना के खिलाफ़. यहां उपचुनाव हो रहे थे. लालकृष्ण आडवाणी ने गांधीनगर और नई दिल्ली दोनों सीटें जीती थीं. उन्होंने गांधी नगर की सीट रख कर, नई दिल्ली की छोड़ दी. उनकी जगह शत्रुघ्न सिन्हा को राजेश खन्ना के खिलाफ़ उतारा गया. शत्रुघ्न सिन्हा ने एक इंटरव्यू में कहा था कि अपने दोस्त राजेश खन्ना के खिलाफ़ चुनाव लड़ना उनकी ज़िंदगी का सबसे बड़ा रिग्रेट है.इस उपचुनाव में राजेश खन्ना ने शत्रुघ्न सिन्हा को करीब 25,000 वोटों से हराया. जीत के बावजूद राजेश खन्ना के दिल से शत्रुघ्न सिन्हा के लिए नाराज़गी नहीं गई और उसके बाद उन्होंने कभी शत्रुघ्न सिन्हा से बात नहीं की. शत्रुघ्न सिन्हा ने फिर से दोस्ती की काफी कोशिश की, लेकिन ये मुमकिन न हो सका. राजेश खन्ना की 2012 में हुई मौत तक उनकी बात बिगड़ी ही रही.



1999 में एनडीए की सरकार बनी और अटल बिहारी वाजपेयी तीसरी बार प्रधानमंत्री बने. इस सरकार के कार्यकाल में 2002 में मंत्रिमंडल में फेरबदल हुए. शत्रुघ्न सिन्हा को कैबिनेट मिनिस्टर बनाया गया. मई 2006 में उन्हें बीजेपी के कला और संस्कृति विभाग का मुखिया भी बनाया गया.2009 में बिहार की पटना साहिब विधानसभा सीट से शत्रुघ्न सिन्हा ने सांसदी के लिए चुनाव लड़ा. कांग्रेस ने उनके खिलाफ़ ऐक्टर शेखर सुमन को उतारा था. शत्रुघ्न सिन्हा को चुनाव जीतने में कोई ज़्यादा मेहनत नहीं करनी पड़ी. शेखर सुमन तीसरे नंबर पर रहे. अपने तमाम विरोधी उम्मीदवारों के टोटल से ज़्यादा वोट (करीब 57 प्रतिशत) ले गए शत्रुघ्न सिन्हा. गौरतलब है कि पहले सिर्फ पटना की लोकसभा सीट हुआ करती थी. 2008 में हुए परिसीमन के बाद पाटलिपुत्र और पटना साहिब की दो सीटें वजूद में आईं. इस लोकसभा सीट से अब तक हुए दोनों चुनाव शत्रुघ्न सिन्हा ने जीते हैं.


2014 में जब दोबारा यहां चुनाव हुए तब भी शत्रुघ्न ही विजयी रहे. उन्होंने कांग्रेस के कुणाल सिंह को हराया. मत प्रतिशत इस बार भी पचास प्रतिशत से पार रहा. 55 परसेंट वोट बटोर ले गए शत्रुघ्न सिन्हा. इन चुनावों की एक दिलचस्प बात है. बहुचर्चित VVPAT मशीन का इस्तेमाल पहली बार इन्हीं चुनावों में हुआ था. पटना साहिब की सीट उन चुनिंदा सीटों में थी, जहां VVPAT मशीनों का इस्तेमाल हुआ. कहने का मतलब ये कि यहां से हुई शत्रुघ्न सिन्हा की बंपर जीत पर केजरीवाल तक सवाल नहीं उठा सकते.



अपनी बेबाकी के लिए मशहूर शत्रुघ्न सिन्हा ने कई बार ऐसी बातें कहीं या की हैं, जो पार्टी लाइन के विपरीत रही हैं. या जिनके निशाने पर बीजेपी या उसके नेता रहे हैं.जब कीर्ति आज़ाद ने डीडीसीए में भ्रष्टाचार के आरोप लगाए थे और उसकी ज़द में अरुण जेटली आये थे, तो शत्रुघ्न सिन्हा ने खुले तौर पर कीर्ति आज़ाद का समर्थन किया था. कीर्ति आज़ाद को ‘हीरो’ बताया था. कहा था कि ‘बीजेपी पार्टी विथ डिफरेंस’ की जगह ‘पार्टी विथ डिफरेंसेस’ बन गई है.



2014 में जब लोकसभा चुनाव होने थे, तब ऐसी सुगबुगाहट थी कि भाजपा शत्रुघ्न सिन्हा की जगह रविशंकर प्रसाद को पटना साहिब सीट से उतारेगी. इन्हीं सरगोशियों के बीच शत्रुघ्न सिन्हा नीतीश कुमार से मिलने पहुंच गए. उनके टूटे अंगूठे की मिजाज़पुर्सी के बहाने. बीजेपी ने इशारा कैच कर लिया. जैसे इतना ही काफी नहीं हो, शत्रुघ्न सिन्हा ने नीतीश को ‘पीएम मटेरियल’ कह डाला. बात साफ़ थी. शत्रुघ्न सिन्हा पाला बदल भी सकते थे. हालांकि ये उन्होंने अपने मुंह से कभी नहीं कहा, लेकिन बीजेपी डर तो गई ही थी. उन्होंने पटना साहिब से शत्रुघ्न सिन्हा को ही उतारा, जिन्होंने ढाई लाख से ज़्यादा वोटों के अंतर से जीत हासिल की.


फ़रवरी 2015 में दिल्ली चुनावों के नतीजे आने के ज़रा पहले उन्होंने कहा था,“हार या जीत जो भी होगी, मोदी की होगी. मोदी कैप्टन हैं.”ना सिर्फ यही, बल्कि अरविंद केजरीवाल को ‘अच्छा आदमी’ कह दिया था.

बिहार के विधानसभा चुनावों से पहले उन्होंने खुले तौर पर इस बात की आलोचना की थी कि भाजपा मुख्यमंत्री पद के लिए कैंडिडेट का ऐलान किए बगैर चुनाव लड़ रही है. उन्होंने नीतीश कुमार के लिए अपना स्नेह पब्लिकली जता कर भाजपा नेताओं को असहज कर दिया था.कहा जाता है कि उन्होंने एक बार एक न्यूज़ एजेंसी से यहां तक कह दिया था कि वो मोदी कैबिनेट में मंत्री न बनाए जाने से हैरान हैं. जबकि वो वरिष्ठता, अनुभव और पॉपुलैरिटी में कई लोगों से आगे हैं.



अमित शाह की खुल के आलोचना करती एक बात तो आपको शुरू में ही बता चुके हैं. इसके अलावा वो एक बार पटना में अमित शाह से होने वाली एक पब्लिक मीटिंग भी जानबूझकर मिस कर चुके हैं. बाद में उन्होंने कहा था कि उन्हें न्योता नहीं मिला था. बहरहाल, राजनीतिक हलकों में दबी ज़ुबान में ये चर्चा आम है कि अपने संसदीय क्षेत्र से अमूमन गायब रहने का खामियाज़ा शत्रुघ्न सिन्हा को भुगतना पड़ सकता है. 2014 की उनकी दूसरी जीत का सेहरा मोदी मैजिक के सर बांधने वाले राजनीतिक पंडितों का कहना था कि 2019 में तीसरी बार ये कर दिखाना उनके लिए मुश्किल होगा. बीजेपी उनको तीसरी बार उतारना कबूल नहीं हुआ.


बीजेपी व अमित शाह के खिलाफ अपनी मुखरता का खामियाज़ा भी तो भुगतना पड़ रहा है.हाल यह है कि पूनम सिन्हा कोई राजनीतिक पार्टी ज्वाइन नहीं की थी लेकिन लखनऊ संसदीय क्षेत्र से राजनाथ सिंह के खिलाफ खड़ा किया.वहीं हाल हुआ जो शत्रुध्न के साथ हुआ. सपा से लगातार शत्रुघ्न सिन्हा संपर्क में रहे फिर भी पूनम सिन्हा पराजित हो गयी.वह अपने करियर की शुरुआत 70 के दशक में माॅडलिंग से की थी.1968 में मिस यंग इंडिया का खिताब जीतने के बाद उन्होंने मॉडलिंग की दुनिया में कदम रखा था। उसके बाद वे बॉलीवुड में आ गईं.लखनऊ लोकसभा सीट पर बीजेपी प्रत्याशी और गृह मंत्री राजनाथ सिंह ने गठबंधन की तरफ से लड़ रहीं एसपी प्रत्याशी पूनम सिन्हा को करीब तीन लाख 40 हजार वोटों से हराया। सिंह ने एसपी प्रत्याशी पूनम सिन्हा को तीन लाख 47 हजार 302 वोटों से शिकस्त दी.राजनाथ को कुल छह लाख 33 हजार 26 वोट मिले जबकि उनकी निकटतम प्रतिद्वद्वी पूनम सिन्हा को दो लाख 85 हजार 724 वोट मिले.कांग्रेस प्रत्याशी प्रमोद कृष्णम को महज एक लाख 80 हजार 11 वोटो से संतोष करना पड़ा.

बिहार की वीवीआईपी सीट बांकीपुर विधानसभा में बीजेपी के नितिन नवीन चुनाव जीत गए हैं. नितिन नवीन ने कांग्रेस नेता शत्रुघ्न सिन्हा के बेटे लव सिन्हा को 39 हजार 36 वोटों से मात दी है. नितिन नवीन भारतीय जनता पार्टी के युवा मोर्चा के बिहार प्रदेश अध्यक्ष हैं. कांग्रेस के टिकट पर लड़ रहे लव सिन्हा मशहूर अभिनेता और नेता शत्रुघ्न सिन्हा के बेटे हैं.फोटो साभार 

  • |

Comments

Subscribe

Receive updates and latest news direct from our team. Simply enter your email below :