पटना.पटना में महागठबंधन के सभी दलों के विधायकों और नेताओं की संयुक्त बैठक में माले महासचिव दीपांकर भट्टाचार्य, बिहार राज्य सचिव कुणाल एवम पोलित ब्यूरो सदस्यों कविता कृष्णन व धीरेंद्र झा भी बैठक में थे.बिहार विधानसभा चुनावों में वाम दलों की कामयाबी ने सबका ध्यान अपनी ओर खींचा है. वाम दलों ने इस बार के चुनाव में 16 सीटें जीतीं, सीपीआई माले जिसने 19 सीटों पर अपने प्रत्याशी उतारे थे उसे 12 सीटों पर कामयाबी मिली है. ऐसा बताया जा रहा है कि बिहार में 30 से भी ज्यादा सालों बाद वाम दलों का प्रदर्शन इतना अच्छा रहा है. पटना के करीब पालीगंज सीट से सीपीआई माले के संदीप सौरभ ने अपने पहले ही विधानसभा चुनाव में जेडीयू प्रत्याशी और वर्तमान विधायकसे दोगुने वोट हासिल किए.
पटना पार्टी कार्यालय में उपस्थित पार्टी के नवनिर्वाचित विधायक और वरिष्ठ नेतागण में कामरेड महबूब आलम शहीद साथी उमेश जी के शहादत दिवस के कार्यक्रम में शामिल होने के कारण नहीं आ सके. कामरेड अरुण जी अस्वस्थ्य हैं, और कामरेड अमरजीत कुशवाहा जेल में हैं.कविता कृष्णन, कुणाल, दीपांकर भट्टाचार्य, स्वदेश भट्टाचार्य, धीरेन्द्र झा, मीरा जी, अमर जी.गोपाल रविदास, संदीप सौरभ, सत्यदेव राम, अजित कुशवाहा, राम बली सिंह, वीरेंद्र गुप्ता, मनोज मंज़िल, सुदामा प्रसाद एवम महानंद सिंह.बलरामपुर विधानसभा की तमाम जनता को महागठबंधन के जीत की हार्दिक बधाई!महागठबंधन व भाकपा माले के तमाम साथियों ने इस चुनाव को जनांदोलन बना दिया यह जनता की सबसे बड़ी जीत है.
भाकपा माले के प्रतिनिधि मंडल ने सीईओ बिहार से मिल कर भोरे सीट पर पुनः मतगणना करवाने की मांग की है.प्रतिनिधि मंडल में पार्टी की पोलित ब्यूरो सदस्य कविता कृष्णन, संदीप सौरभ और एन. साई बालाजी शामिल थे. भोरे सीट पर 'विजयी' घोषित जेडीयू उम्मीदवार की जीत का अंतर गिने गए पोस्टल बैलट के आधार पर किया गया है. जबकि कैंडीडेट हैंडबुक के नियम 16.23.18 के अनुसार ऐसी परिस्थिति में मतों की पुनर्गणना स्वतः ही होनी चाहिए. दूसरे, मतगणना हॉल में अनधिकृत रूप में उपस्थित जेडीयू सांसद क्या कर रहे थे?
पटना शहरी क्षेत्र की ऐसी शशि यादव प्रत्याशी थी,जो चुनाव हार गयी हैं.उन्होंने कहा कि पार्टी के नवनिर्वाचित विधायक ही समस्या और मुद्धों को सड़क से लेकर सदन तक लड़ेंगे और उठाएंगे.वहीं साथी रंजीत राम समस्तीपुर जिले के कल्याणपुर विधानसभा से के प्रत्याशी थे.रंजीत जी को इस शानदार लड़ाई के लिए बहुत बहुत बधाई !रंजीत जी छात्र जीवन से ही सामाजिक बदलाव के लिए समर्पित कार्यकर्ता रहे हैं.
देश को साम्प्रदायिक आग में झोंकने की मुहिम चला रहे आडवाणी को काला झंडा दिखाने के लिए इनपर देशद्रोह का मुकदमा चलाया गया.बिना विचलित हुए रंजीत छात्रों-नौजवानों के सवालों पर आंदोलन करते रहे. अभी रंजीत जी के दरभंगा जिले के नेता हैं और स्थानीय कोर्ट में प्रैक्टिस करते हैं.आप चुनाव जीत नहीं पाए लेकिन अपने क्षेत्र के हज्जरों नौजवानों का दिल जीता है. नौजवानों ने शिक्षा-रोजगार, बिहार की तरक्की व बदलाव के लिए आपको अपना नेता माना है. उम्मीद है आप इस लड़ाई को आगे भी बहादुरी से लड़ते रहेंगे. आगे की लड़ाई के लिए आपको शुभकामनाएं .
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