रांची.आज झारखंड विधानसभा का विशेष सत्र आयोजित किया गया. विधानसभा में सर्वसम्मति से सरना आदिवासी धर्मकोड प्रस्ताव पारित कर दिया. इस प्रस्ताव के पारित होने के बाद इसे केंद्र सरकार को भेजा जाना है. झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने इस संदर्भ में पहल की है. झारखंड के इतिहास में पहली बार सरना धर्म कोड को लेकर झारखंड विधानसभा का विशेष सत्र आयोजित किया गया.
झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने टि्वटर पर ट्वीट कर जानकारी दी है कि सरना आदिवासी धर्मकोड को लेकर कई दिनों से प्रस्ताव विधानसभा से पारित कराकर केंद्र सरकार को भेजने पर विचार विमर्श हो रहा था.विधानसभा से सरना आदिवासी धर्म कोड का प्रस्ताव पारित होने के उपरांत सुखद अनुभूति हो रही है.इससे मन को शांति व दिल को सुकून मिला है.
झारखंड विधानसभा के एक दिवसीय विशेष सत्र में बुधवार को 'सरना आदिवासी धर्म कोड' का प्रस्ताव सर्वसम्मति से पारित कर दिया गया, जिसे अब राज्य सरकार केन्द्र के पास विचार के लिए भेजेगी. इससे वर्ष 2021 की जनगणना में सरना आदिवासी धर्म कोड का अलग से कॉलम शामिल किया जा सकेगा. राज्य सरकार द्वारा बुधवार को बुलाये गये झारखंड विधानसभा के विशेष सत्र में विपक्ष के कुछ संशोधनों के साथ सरना आदिवासी धर्म कोड का प्रस्ताव सर्वसम्मति से पारित कर दिया गया.
मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने कहा कि राज्य सरकार अब यह प्रस्ताव केंद्र सरकार को शीघ्र भेजकर 2021 की जनगणना में सरना आदिवासी धर्म कोड का अलग कॉलम शामिल करने का अनुरोध करेगी. मुख्य विपक्षी भारतीय जनता पार्टी की ओर से पूर्व विधान सभाध्यक्ष सीपी सिंह एवं नीलकंठ सिंह मुंडा ने प्रस्ताव पारित करने से पूर्व इस पर समग्र चर्चा कराये जाने की मांग की जिस पर विधानसभाध्यक्ष भी हीलाहवाली करते नजर आये, लेकिन विपक्ष का दबाव बढ़ता देखकर अंततः सोरेन ने हस्तक्षेप किया और कहा कि इस मुद्दे पर चर्चा कराने से सरकार को कोई परहेज नहीं है.
विधान सभाध्यक्ष रवीन्द्र नाथ महतो ने इस प्रस्ताव पर पहले चर्चा के विपक्ष की मांग को स्वीकार कर इस पर चर्चा प्रारंभ करायी. चर्चा शुरू होने पर विपक्ष से भाजपा के विधायक नीलकंठ सिंह मुंडा, सीपी सिंह और अमर कुमार बाउड़ी सहित अन्य विधायकों ने इस प्रस्ताव से ‘सरना अथवा आदिवासी’ शब्दों को हटाने के लिए संशोधन पेश किया. उन्होंने कांग्रेस पर निशाना साधते हुए कहा कि 1961 में उनके शासन काल के समय ही जनगणना के कॉलम में अन्य का विकल्प हटाया गया था.
कांग्रेस के विधायक बंधु तिर्की ने भी प्रस्ताव से आदिवासी शब्द हटाने की भाजपा की मांग का समर्थन किया. सत्ता पक्ष और विपक्ष के बीच आरोप-प्रत्यारोप के बाद मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने कहा की सरकार संवेदनशील है और जन भावनाओं को देखते हुए विपक्ष के संशोधन को स्वीकार करने को राजी है. जिसके बाद संशोधित आदिवासी सरना धर्म कोड प्रस्तुत किया गया जिसे विधानसभा में सर्वसम्मति से पारित कर दिया गया.
सोरेन ने कहा कि इस सरना आदिवासी धर्म कोड को जनगणना 2021 में शामिल कराने के लिए सत्ता पक्ष के सभी विधायक केंद्र सरकार और गृह मंत्री से मिलकर अनुरोध करेंगे जिससे पूरे देश में यह संदेश जाएगा कि झारखंड की सरकार देश के आदिवासियों के लिए संवेदनशील है. भाजपा की ओर से सीपी सिंह, नीलकंठ सिंह मुंडा, अनंत ओझा और विरंची नारायण ने प्रस्ताव के पक्ष में अपनी बातें रखीं. पार्टी ने इस संशोधित प्रस्ताव का पूरी तरह समर्थन किया.
कुजूर बेलखाश ने कहा कि सरना कोड दिलाने के लिए हेमंत सरकार के पहल का आदिवासी समाज स्वागत करता है। प्रस्ताव को झामुमो, कांग्रेस, भाजपा सहित अन्य सभी राजनीतिक राजनीतिक दलों ने सर्वसम्मति से पारित किया जो ऐतिहासिक है,अब केन्द्र सरकार अविलंब इसे स्वीकार कर जनगणना विभाग को कारवाई के लिए भेज देना चाहिए।
मो.इरफान हमें उमीद है सर आप इसी तरह से झारखण्ड वासियो को अपना हक मिलेगा पुरे झारखण्ड की तरफ से आपको बहुत बहुत बधाई एवं शुभकामनाएं दी है.
भारत के कैथोलिक बिशपाें ने अगले वर्ष की जनगणना में सरना कोड की मांग की है. कैथोलिक बिशपाें ने झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन से अपील की है कि सरना या आदिवासी धर्म को मान्यता एवं पहचान दी जाए. 19 सितम्बर के पत्र में राँची महाधर्मप्रांत के बिशपाें ने मुख्यमंत्री को याद दिलाया कि संविधान के तहत आदिवासी लोगों को विशेष दर्जा दिया गया था.
राँची के आर्कबिशप फेलिक्स टोप्पो द्वारा मुख्यमंत्री को भेजें अपने पत्र में कहा है कि भारतीय संविधान के अनुच्छेद 25, 29 और 342 में आदिवासी समुदाय के अधिकार, उनकी भाषा, धर्म, संस्कृति और अलग पहचान की गारंटी दी गई है.अतः उन्हें अलग सरना कोड दिया जाना चाहिए. उन्होंने कहा है, हम झारखंड सरकार से मांग करते हैं कि चल रहे विधानसभा सत्र में, आदिवासियों की पहचान की रक्षा को लेकर एक विधेयक पास किया जाए तथा 2021 में सरना कोड को जनगणना में शामिल करने के लिए प्रस्ताव पारित कर संघीय सरकार को भेजा जाए.
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