जन दबाव में झुके नीतीश

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जन दबाव में झुके नीतीश

आलोक कुमार

पटना.आखिरकार बिहार सरकार के शिक्षा मंत्री मेवालाल चौधरी ने इस्तीफा दे ही दिया.बड़े बेआबरू होकर तेरे कूचे से हम निकले.बहुत निकले मेरे अरमान लेकिन फिर भी कम निकले.शायर की यह पंक्तियां शिक्षा मंत्री मेवालाल चौधरी पर सटीक बैठती हैं.10 नवम्बर को विधायक बने थे.मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से मिलने के बाद इस्तीफा दिया.आज ही पदभार  ग्रहण किया था.

बुधवार को सीएम आवास पर मेवालाल ने की थी नीतीश से मुलाकात.भ्रष्टाचार के लग रहे आरोपों के बीच बिहार के नवनियुक्त शिक्षा मंत्री मेवालाल चौधरी बुधवार शाम मुख्यमंत्री आवास यानि एक अणे मार्ग पहुंचे थे. इस दौरान उनकी मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के साथ करीब आधे घंटे की मुलाकात हुई. इस मुलाकात के बाद से ही ये कयास लग रहे थे आखिर उनके बीच क्या बात हुई.इसी बीच गुरुवार को मेवालाल चौधरी ने मंत्री पद से इस्तीफा दे दिया.मेवालाल चौधरी पर सबौर विश्वविद्यालय का कुलपति रहते हुए नियुक्ति घोटाले में मामला दर्ज हुआ था. ये केस विचाराधीन है और फिलहाल चार्जशीट का इंतजार किया जा रहा है.मेवालाल चौधरी 2015 में पहली बार जेडीयू विधायक बने थे जबकि, इससे पहले तक वो शिक्षक के तौर पर सेवा दे रहे थे.उनके कुलपति रहते कृषि विश्वविद्यालय में साल 2012 में सहायक प्राध्यापक और जूनियर वैज्ञानिकों की बहाली हुई थी.बताया जाता है कि उस नियुक्ति में धांधली की गई थी. कृषि विश्वविद्यालय में नियुक्ति घोटाले का मामला सबौर थाने में 2017 में दर्ज किया गया था.हालांकि इस मामले में उन्होंने कोर्ट से अग्रिम जमानत मिल गई थी और अभी तक कोर्ट में उनके खिलाफ चार्जशीट दाखिल नहीं की गई है.

इस बीच नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव ने कहा कि मैंने कहा था ना आप थक चुके है इसलिए आपकी सोचने-समझने की शक्ति क्षीण हो चुकी है.जानबूझकर भ्रष्टाचारी को मंत्री बनाया.थू-थू के बावजूद पदभार ग्रहण कराया.घंटे बाद इस्तीफ़े का नाटक रचाया. मुख्यमंत्री का नाम न लेकर कहा कि असली गुनाहगार आप है.आपने मंत्री क्यों बनाया??आपका दोहरापन और नौटंकी अब चलने नहीं दी जाएगी? 

 मेवालाल  के केस में तेजस्वी को सार्वजनिक रूप से सफाई देनी चाहिए कि नहीं? अगर आप चाहे तो  मेवालाल के संबंध में आपके सामने मैं सबूत सहित सफाई ही नहीं बल्कि गाँधी जी के सात सिद्धांतों के साथ विस्तृत विमर्श भी कर सकता हूँ.आपके जवाब का इंतज़ार है.


इससे पूर्व बुधवार को महागठबंधन के नेता तेजस्वी प्रसाद यादव ने शिक्षा मंत्री पर भ्रष्टाचार का आरोप लगाते हुए राज्य सरकार पर निशाना साधा.दूसरी ओर, शिक्षा मंत्री मेवालाल चौधरी ने विपक्ष के आरोपों को बेबुनियाद बताते हुए कहा कि आरोप लगाने वाले दल के सुप्रीमो भ्रष्टाचार के मामले में जेल में हैं तो दूसरे जेल के दरवाजे पर खड़े हैं.इसी क्रम में राजद के सांसद अशफाक करीम ने शिक्षा मंत्री से मिलकर उन्हें बधाई दी तो इसके कई सियासी मायने लगाए जाने लगेहालांकि राजद सांसद ने इसे महज शिष्टाचार मुलाकात बताया.


तेजस्वी ने ट्वीट कर आरोप लगाया है कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने असिस्टेंट प्रोफेसर की नियुक्ति और भवन निर्माण में भ्रष्टाचार के गंभीर मामलों के आरोपी को शिक्षा मंत्री बनाया है.उन पर आईपीसी की धारा 409,420,467, 468,471 और 120 बी के तहत मुकदमा दर्ज है.राज्य सरकार से सवाल पूछा कि क्या मेवालाल चौधरी को शिक्षा मंत्री बनाकर क्या भ्रष्टाचार करने का इनाम और लूटने की खुली छूट दी गई है

 एक अन्य ट्वीट में तेजस्वी ने कहा कि इस बार नीतीश सरकार में अल्पसंख्यक समुदायों में से किसी को भी मंत्री नहीं बनाया गया.सरकार पर तंज कसा कि क्राइम, करप्शन व कम्यूनलिज्म की बात करते रहेंगे या उस पर अमल भी करेंगे.मेवालाल पर भागलपुर कृषि विश्वविद्यालय का कुलपति रहते हुए सहायक प्रोफेसर और कनिष्ठ वैज्ञानिक के पदों पर नियुक्तियों में हुए भ्रष्टाचार और अनियमितताओं से जुड़े आरोप लगे हैं. ऐसे में ऐसे नेता को ही शिक्षामंत्री बनाए जाने के फैसले ने नीतीश कुमार की और ज्यादा भद्द पिटवा दी.

यहां तक कि चौधरी को 2017 में जेडीयू से निलंबित कर दिया गया था, लेकिन बाद में फिर से शामिल कर लिया गया. दिलचस्प बात यह है कि उस समय बीजेपी ने विपक्ष में रहते हुए चौधरी की गिरफ्तारी की मांग की थी. राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद उस वक्त बिहार राज्यपाल हुआ करते थे. उन्होंने मेवालाल चौधरी के खिलाफ आपराधिक मामला दायर करने की मंजूरी दी थी. वैसे अभी तक मेवालाल के खिलाफ चार्जशीट दर्ज नहीं की गई है.


इधर भाकपा-माले के बिहार राज्य सचिव कुणाल ने नीतीश - 4 सरकार के गठन के तीन दिन के अंदर शिक्षा मंत्री मेवालाल चौधरी को मंत्रिमंडल से हटाए जाने पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कहा कि यह जनदबाव का नतीजा है और जनता की जीत है. पहले ही दिन से भाकपा-माले, पूरा विपक्ष और बिहार की जनता दागी व्यक्ति को शिक्षा मंत्री जैसा पोस्ट दिए जाने का विरोध कर रही थी. नीतीश कुमार को इसकी बखूबी जानकारी थी कि मेवालाल चौधरी कृषि विश्वविद्यालय घोटाले के मुख्य आरोपी हैं, फिर भी मंत्री बनाया. जब पूरे बिहार में इसका प्रतिवाद हुआ तो मजबूरन उन्हें मेवालाल चौधरी को पद से हटाना पड़ा है.

माले राज्य सचिव ने यह भी कहा कि मेवालाल चौधरी के बाद मंगल पांडेय जैसे नकारा मंत्रियों को भी तत्काल मंत्रिमंडल से बाहर करने की जरूरत है. पिछले दिनों लाॅकडाउन के समय में मंगल पांडेय अव्वल दर्जे के नकारा मंत्री साबित हुए हैं. पूरा बिहार लगातार उनकी बर्खास्तगी की मांग उठाता रहा. उनके मंत्रित्व में स्वास्थ्य व्यवस्था की हालत चरमाराते गई, लेकिन सरकार ने उन्हें फिर से इसी मंत्रालय की जिम्मेदारी दी है. सरकार को बिहार की जनता की आवाज सुननी चाहिए.

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