आलोक कुमार
पटना.डिप्टी सीएम की कुर्सी जाने के बाद सुशील कुमार मोदी को विधान परिषद में नई जिम्मेदारी दी गई है. सुशील मोदी को बिहार विधान परिषद के आचार समिति अध्यक्ष बनाया गया है.ऐसे में अब नई जिम्मेदारी मिलने के बाद सुशील मोदी एमएलसी का आचार-विचार परख सकते हैं.बिहार विधान परिषद के आचार समिति अध्यक्ष बनाए जाने के बाद आज सुशील मोदी ने पदभार ग्रहण किया और कार्यकारी सभापति अवधेश नारायण सिंह से मुलाकात की. इसके बाद सुशील मोदी ने अपने कार्यालय कक्ष का निरीक्षण किया.
बिहार विधान परिषद की आचार समिति बेहद महत्वपूर्ण समिति मानी जाती है यह एक स्थायी समिति है और मुख्यमंत्री के निर्देश के बाद इसका गठन किया गया था. परिषद से आने वाले सदस्यों के अनुशासन के साथ-साथ उनके आचार को लेकर यह समिति काम करती है. किसी भी तरह की अनुशासनहीनता या आपत्तिजनक आचरण के मामले इसी समिति के पास पहुंचते हैं.
बता दें कि जीतन राम मांझी को मुख्यमंत्री बनाए जाने के बाद आचार समिति के अध्यक्ष नीतीश कुमार बनाए गए थे. इससे पहले आचार समिति के अध्यक्ष पूर्व शिक्षा मंत्री पीके शाही और विधान परिषद के पूर्व वरिष्ठ सदस्य रामबचन राय रह चुके हैं. अवधेश नारायण सिंह के पहल से विधान भवन में अस्थाई रूप से बैठने का ठिकाना मिल गया है.
बता दें कि विधान परिषद के वरिष्ठ सदस्य सुशील मोदी को आचार समिति का अध्यक्ष बनाया गया है तो वहीं पूर्व जलसंसाधन मंत्री संजय झा को याचिका समिति का सदस्य बनाया गया है. विधान परिषद के कार्यकारी सभापति अवधेश नारायण सिंह ने इस संबंध में आदेश जारी कर दिया है. दोनों समितियां विधान परिषद की स्थाई है और महत्वपूर्ण समितियां हैं.
बता दें कि बिहार विधानसभा की सदस्य संख्या बढ़ सकती है.अभी कुल 75 सदस्य हैं. संविधान की धारा 171 के अनुसार विधानसभा में कुल सदस्य संख्या के अधिकतम एक तिहाई सदस्य विधान परिषद में हो सकते हैं. इस लिहाज से 243 सीटों वाली बिहार विधान सभा के एक तिहाई यानि 81 सदस्य परिषद में हो सकते हैं.यानि अभी छह सीटों की गुंजाइश है.
बताया गया कि बिहार पुनर्गठन विधेयक के तहत अविभाजित बिहार विधान परिषद के 96 में से 75 सदस्य विभाजित बिहार विधान परिषद में रह गए.उन्होंने कहा कि पहले भी 325 सदस्यीय विधानसभा के एक तिहाई यानि 108 सदस्य विधान परिषद में हो सकते थे.यह तो बिहार के साथ शुरू से ही हुई हकमारी को दर्शाता है क्योंकि विधानमंडल की सदस्य संख्या निर्धारित करने का अधिकार संसद को ही है.कहा गया कि अभी विधान परिषद की मौजूदा सदस्य संख्या को बढ़ाने पर विचार चल रहा है. प्रक्रिया पर मंथन विधान परिषद की सदस्य संख्या बढ़ाने का प्रस्ताव किस रूप में केंद्र को भेजा जाए, इस पर मंथन चल रहा है.
जानकारों के मुताबिक बिहार पुनर्गठन विधेयक के तहत बिहार विधान परिषद की मौजूदा संख्या निर्धारित हुई थी, इसलिए उक्त विधेयक में भी संशोधन करना होगा. इसके पहले राज्य कैबिनेट में प्रस्ताव पारित कराकर दोनों सदनों से पारित कराने की प्रक्रिया करनी पड़ सकती है. हालांकि विधि विशेषज्ञों की राय के बाद ही प्रक्रिया पर अंतिम निर्णय होगा. क्यों हुई जरूरत अभी विधान परिषद में स्नातक और शिक्षक निर्वाचन क्षेत्रों में प्रत्येक के 6 यानि 12, स्थानीय निकायों से निर्वाचित 24, राज्यपाल द्वारा मनोनीत विभिन्न क्षेत्रों में विशिष्टता रखने वाले 12 और विधानसभा सदस्यों से निर्वाचित होनेवाले 27 सदस्य होते हैं.15 नवंबर 2000 को बिहार बंटवारे के बाद एंग्लो इंडियन समुदाय से मनोनीत होनेवाले एक सदस्य का कोटा झारखंड चला गया. इस समुदाय को विप में प्रतिनिधित्व देने की मांग हो रही है. अधिवक्ताओं, किसानों समेत दूसरे वर्ग से प्रतिनिधित्व देने की मांग उठ रही है.
बता दें कि पिछले महीने आठ सीटों के लिए चुनाव हुआ था.बिहार विधान परिषद के शिक्षक एवं स्नातक निर्वाचन क्षेत्रों की इन चार—चार सीटों के मतगणना का काम बृहस्पतिवार को शुरू हुआ था जो शुक्रवार की देर रात समाप्त हुआ.जद (यू) के नीरज कुमार एवं देवेश चंद्र ठाकुर, भाजपा के एन के यादव एवं नवल किशोर यादव, भाकपा के केदरानाथ पांडेय तथा संजय कुमार सिंह और कांग्रेस के मदन मोहन झा ने अपना कब्जा बरकार रखा जबकि दरभंगा स्नातक क्षेत्र से नीतीश कुमार के नेतृत्व वाले जद (यू) के कार्यकारी अध्यक्ष अशोक चौधरी के करीबी दिलीप चौधरी अपनी सीट नहीं बचा पाए और निर्दलीय प्रत्याशी सर्वेश कुमार ने उन्हें पराजित कर दिया.सूचना एवं जनसंपर्क मंत्री रहे नीरज के साथ देवेश एवं एन के यादव क्रमश: पटना, कोशी एवं त्रिहुत स्नातक निर्वाचन क्षेत्रों तथा नवल, मदन, संजय एवं केदरानाथ क्रमश: पटना, दरभंगा, त्रिहुत एवं सारण शिक्षक निर्वाचन क्षेत्र से चुनाव मैदान में थे.कोविड-19 महामारी के कारण इन सीटों के लिए चुनाव कुछ महीनों के लिए स्थगित कर दिया गया था. इन सीटों के लिए गत 22 अक्टूबर को मतदान हुआ था.बिहार विधान परिषद में कुल 75 सीटें है और विपक्ष के नेता के लिए 8 सीटें होनी चाहिए.
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