रेल-यात्रा को किताबों से जोड़ने वाले एएच व्हीलर बुक स्टोर के लिए लॉकडाउन के दिन बेहद ख़राब साबित हुए हैं.रेल के सफ़र को किताबों, उपन्यासों और पत्र-पत्रिकाओं से जोड़ने वाले एएच व्हीलर बुक स्टोर को अब 143 वर्ष पूरे हो रहे हैं. एएच व्हीलर की स्थापना का श्रेय फ्रांसीसी व्यापारी और किताबों के मुरीद एमिल एडुअर्ड मोरो को जाता है, जिन्होंने 1877 में इलाहाबाद में इस बुकस्टोर चेन की शुरुआत की. मोरो ने अपने मित्र और लंदन में बुक स्टोर चलाने वाले आर्थर हेनरी व्हीलर के नाम पर इस बुकस्टोर का नाम ए.एच. व्हीलर रखा था.
ए.एच. व्हीलर की तरह ही ख़ुद एमिल एडुअर्ड मोरो की जीवन-यात्रा भी काफ़ी दिलचस्प रही थी. वर्ष 1856 में फ्रांस में पैदा हुए एमिल मोरो महज सत्रह वर्ष की उम्र में हिंदुस्तान आए. यहाँ उन्होंने बर्ड एंड कं. में काम करना शुरू किया. जिसके मालिक सैम और पॉल बर्ड उनके चाचा थे. बर्ड एंड कं. के कर्मचारी के रूप में मोरो ने कलकत्ता, गाजीपुर और बनारस में काम किया.
भारत आने के चार साल बाद 1877 में एमिल मोरो ने ए.एच. व्हीलर बुक स्टोर की स्थापना. उल्लेखनीय है कि तब मोरो महज 21 साल के थे. मोरो की इस बुकस्टोर चेन से उनके आर्थर व्हीलर और भारतीय व्यापारी टीके बनर्जी भी जुड़े थे. बाद में, बनर्जी परिवार का ‘ए.एच. व्हीलर बुक स्टोर’ पर स्वामित्व स्थापित हुआ.
ए.एच. व्हीलर बुक स्टोर की स्थापना के ग्यारह साल बाद मोरो ने इलाहाबाद से ही ‘इंडियन रेलवे लाइब्रेरी’ नाम से पुस्तकों की एक शृंखला का प्रकाशन शुरू किया. उल्लेखनीय है कि ए.एच. व्हीलर बुक स्टोर ही रुडयार्ड किपलिंग की किताबों के पहला प्रकाशक था. इस शृंखला के अंतर्गत 1888 में किपलिंग की छह पुस्तकों का प्रकाशन हुआ, जिनकी क़ीमत एक रुपए रखी गई. ये किताबें थीं : सोल्जर्स थ्री, द स्टोरी ऑफ गैड्सबीज़, इन ब्लैक एंड व्हाइट, अंडर द देवदार्स, द फैन्टम रिक्शा एंड अदर इरी टेल्स, वी विली विंकी एंड अदर चाइल्ड स्टोरीज़.
रेल-यात्रा को किताबों से जोड़ने वाले ए.एच. व्हीलर बुक स्टोर के लिए लॉकडाउन के दिन बेहद ख़राब साबित हुए. रेलवे स्टेशनों के प्लेटफॉर्म पर बने एएच व्हीलर के बुक स्टोर मार्च 2020 में लॉकडाउन घोषित होने के बाद से ही बंद पड़े हैं. जहाँ दूसरे सभी व्यावसायिक प्रतिष्ठानों को खुलने की अनुमति मिल चुकी है और वे धड़ल्ले से खुल रहे हैं. वहीं ए.एच. व्हीलर बुक स्टोर आठ महीने बाद बीत जाने के बाद भी अभी बंद पड़े हैं. रेलवे को इस पर विचार करना चाहिए और ए.एच. व्हीलर बुक स्टोरों को खोलने की अनुमति देनी चाहिए.
शुभनीत कौशिक
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