पटना.केंद्र सरकार की नीतियों के खिलाफ विभिन्न ट्रेड यूनियनों और श्रमिक फेडरेशनों द्वारा आहूत 26 नवंबर के देशव्यापी हड़ताल को सीपीआई (एम) ने अपना समर्थन दिया है.बिहार राज्य आशा कार्यकर्ता संघ की अध्यक्ष शशि यादव ने कहा है कि सभी पीएचसी में एक दिनी हड़ताल को पूर्ण सफल बनाना है.उस दिन कार्य बहिष्कार कर पीएचसी पर धरना-प्रदर्शन का कार्यक्रम करना है और जिला मुख्यालय में आहूत संयुक्त कार्यक्रमों में भी हमारी दिखने लायक भागीदारी भी होना चाहिए. यह सब आशाओं/फैसिलिटरों को स्वास्थ्य विभाग का कर्मचारी घोषित करने,21हज़ार मासिक मानदेय की घोषणा करने.बिहार सरकार द्वारा घोषित 1000 रुपये की मासिक राशि/कोरोना भत्ता सहित अन्य लंबित बकायों के भुगतान करने और अक्षम स्वास्थ्य मंत्री मंगल पांडे को इस्तीफा दिलवाने के लिए करना है.यह सब हमलोगों की मांग भी है.
बिहार राज्य आशा कार्यकर्ता संघ की अध्यक्ष व प्रत्याशी शशि यादव ने कहा कि सभी आशा बहनों को बधाई देते हैं.! बधाई इसलिये कि हमारे आंदोलन व मांगों की अनुगूंज इस बार बिहार विधानसभा के चुनाव में मजबूती से सुनाई पड़ी.महागठबंधन और इससे जुड़ी पार्टियों ने हमारी मांगों को प्रमुखता से घोषणा पत्रों में शामिल किया.विधानसभा चुनाव में उठी यह आवाज़ पूरे देश में गूंजी है. 26 नवंबर की हड़ताल में हमारी मजबूत भागीदारी हमारी मांगों को और आगे बढ़ाएगा.समय बहुत कम है.इस लिये ज़िला और प्रखंड के नेताओं-कार्यकर्ताओं को मजबूती से हड़ताल की तैयारी में उतरना होगा.
बता दें कि ऑल इंडिया स्कीम वर्कर्स फेडरेशन के बैनर तले देश भर के आशा कर्मी अपनी कई मांगों को लेकर 7 अगस्त को दो दिन की हड़ताल पर थे.आशा कर्मी वेतन में बढ़ोतरी, समय पर वेतन देने, बीमा और जोखिम भत्ता जैसी सुविधाएं मुहैया कराने की मांग कर रहे थे.बिहार के करीब एक लाख आशा कर्मी हड़ताल पर थे.आशा संयुक्त संघर्ष मंच की नेता व फेडरेशन की राष्ट्रीय संयोजिका सह बिहार राज्य आशा कार्यकर्ता संघ अध्यक्ष शशि यादव, आशा संघर्ष समिति नेता विश्वनाथ सिंह, आशा संघ नेता कौशलेंद्र कुमार वर्मा, महासंघ गोप गुट अध्यक्ष रामबली प्रसाद ने साझा बयान में कहा कि पूरे राज्य में आशा कर्मियो को हड़ताल को शत प्रतिशत सफल बनाना है. नेताओं ने कहा कि हड़ताल की सफलता से राज्य की नीतीश व केंद्र की मोदी सरकार की वादाखिलाफी की पोल खोल देनी है. दोनों सरकारों की वादाखिलाफी को लेकर आशाओं में जबरदस्त आक्रोश व्याप्त है, जिसका विस्फोट हड़ताल में देखने को मिलेगा.
नेताओं ने नीतीश कुमार से जनवरी 2019 में हुए समझौता के उक्त निर्णयों को अविलंब लागू नहीं किया गया है. 7 सूत्री मांगों में से आशाओं सहित सभी स्कीम वर्करों को 10 हजार रू० कोरोना-लॉकडाउन भत्ता भुगतान, उड़ीसा की तरह ऐसे मृत कर्मियों के आश्रित को विशेष मासिक भुगतान करने, कोविड कार्य में लगे आशाओं सहित सभी स्कीम वर्करों को 50 लाख का जीवन बीमा और 10 लाख का स्वास्थ्य बीमा लागू करने व कोरोना ड्यूटी के क्रम में मृत लगभग दर्जन भर आशाओं- स्कीम वर्करों के आश्रितों को देय 50 लाख का बीमा और 4 लाख का अनुग्रह अनुदान लाभ तुरन्त भुगतान करने की मांग की है.
बिहार राज्य आशा कार्यकर्ता संघ की अध्यक्ष शशि यादव ने कहा कि प्रति महीना देय 1000 रुपये की लंबित राशि का भुगतान भी नहीं हो रहा है और आशाओं के मासिक मानदेय के सवाल पर दिल्ली व पटना की सरकार मौन है. लंबित पारितोषिक व अन्य भुगतान नहीं होने के कारण आशाकर्मियों के परिवार भुखमरी और तंगहाली की स्थिति में पहुंच गए हैं.जिस मंत्री ने हमारी न्यायपूर्ण मांगों के साथ अनदेखी की है,वही फिर मंत्री बन गया है,इसलिये उसके इस्तीफा के सवाल को हड़ताल में मजबूती से उठाना है.आशा ही नही पूर्ण विश्वास है कि आप सभी एकजुट होकर हड़ताल को सफल बनाएंगी और अपनी मांगों को बुलंद करेंगी!
पूरे राज्य के विभिन्न जिलों में संघ की महासचिव विद्यावती पांडे, सचिव शब्या पांडे, कविता कुमारी, कुसुम कुमारी, अनिता सिंह, तरन्नुम फैजी, पूनम कुमारी, रीना कुमारी, उषा सिंह, श्याम कर्ण, सबिता कुमारी, निर्मला कुमारी, सुनीता सिन्हा, गीता कुमारी, चंद्रकला कुमारी और प्रमिला कुमारी के नेतृत्व में हड़ताल को सफल बनाने के लिये जनसम्पर्क अभियान जारी है.
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