लखनऊ। भाकपा (माले) की राज्य इकाई ने केंद्र सरकार की नीतियों के खिलाफ केंद्रीय ट्रेड यूनियनों की गुरुवार 26 नवंबर की राष्ट्रीय हड़ताल और अखिल भारतीय किसान संघर्ष समन्वय समिति (एआईकेएससीसी) के 26-27 नवंबर को दो दिवसीय देशव्यापी विरोध प्रदर्शन के आह्वान का सक्रिय समर्थन किया है।
इसके अलावा, पार्टी ने बुधवार को तीसरे पहर लखनऊ के लालबाग इलाके में महिला मुद्दों को लेकर पर्चा बांटने पर ऐपवा नेता मीना, एडवा नेता मधु गर्ग, महिला अधिकार कार्यकर्ता नाइस हसन आदि महिला नेताओं की गिरफ्तारी की कड़ी निंदा की है। माले ने इसे योगी सरकार की लोकतंत्र का गला दबाने वाली कार्रवाई बताते हुई बिना शर्त रिहाई की मांग की। महिला नेताओं को पुलिस इको गार्डन ले गई।
भाकपा (माले) के राज्य सचिव सुधाकर यादव ने एक बयान में कहा कि 26 व 27 नवंबर को मजदूरों-किसानों का आंदोलन केंद्र की मोदी सरकार द्वारा श्रम कानूनों में श्रमिक-विरोधी बदलाव कर लाये गए चार लेबर कोड और खेती को किसानों के बजाय कारपोरेट के नियंत्रण में करने वाले तीन कृषि अध्यादेशों के खिलाफ है। उन्होंने कहा कि मजदूर और किसान बचेगा, तभी देश बचेगा। मोदी सरकार दशकों के संघर्ष से हासिल ट्रेड यूनियन अधिकारों को छीन लेना चाहती है और देश की कृषि और उद्योग को मुट्ठीभर पूंजीपतियों के हवाले करना चाहती है। लेकिन देश से प्यार करने और लोकतंत्र को पसंद करने वाली शक्तियां कभी ऐसा नहीं होने देंगी।
राज्य सचिव ने कहा कि 26-27 नवंबर को भाकपा (माले) और जनसंगठनों के कार्यकर्ता मजदूरों-किसानों के आंदोलन के समर्थन में प्रदेश में जिला से लेकर तहसील मुख्यालयों तक सड़कों पर उतरेंगे और धरना-प्रदर्शन करेंगे।
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