सुशील मोदी का कद बढ़ा या घटा ?

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सुशील मोदी का कद बढ़ा या घटा ?

आलोक कुमार 

पटना.भारतीय जनता पार्टी केंद्रीय कार्यालय से राष्ट्रीय महासचिव एवं मुख्यालय प्रभारी अरूण सिंह ने आज प्रेस विज्ञप्ति जारी कर कहा है कि केंद्रीय चुनाव समिति ने बिहार में होने वाले आगामी राज्य सभा उप-चुनाव 2020 के लिए एक नाम सुशील कुमार मोदी को स्वीकृति प्रदान की है.इसके साथ ही अटकलों में विराम लग गया है.

बिहार के पूर्व उप-मुख्यमंत्री और बीजेपी नेता सुशील मोदी राज्यसभा भेजे जाएंगे. बीजेपी ने उन्हें बिहार से उम्मीदवार बनाया है. एलजेपी नेता रामविलास पासवान के निधन के बाद बिहार की सीट खाली हुई है. इस बार उन्हें बिहार का डिप्टी सीएम नहीं बनाया गया था. बिहार विधान परिषद के आचार समिति के अध्यक्ष बना दिया गया. तब से ही इस बात की चर्चा थी कि उन्हें पार्टी नई जिम्मेदारी दे सकती है.भारतीय जनता पार्टी ने ऐलान कर दिया है. भाजपा ने बिहार के पूर्व डिप्‍टी सीएम सुशील कुमार मोदी को राज्‍य सभा उम्‍मीदवार बनाया है.ये सीट रामविलास पासवान के निधन के बाद खाली हुई थी. हाल ही में एलजेपी के बिहार चुनाव में अलग लड़ने के बाद बीजेपी ने उसे साइड लाइन कर दिया है. अगर ऐसा नहीं होता तो ये सीट एलजेपी के खाते में जानी चाहिए थी. 

इधर, बीजेपी सुशील कुमार मोदी का कद बढ़ाने की तैयारी में है. सुशील मोदी अब राज्यसभा के रास्ते केंद्र में जा सकते हैं, जहां उन्हें बड़ी जिम्मेदारी देने की चर्चाएं हैं. बता दें कि बिहार विधानसभा चुनाव-2020 में एनडीए सरकार बनने के बाद सुशील मोदी की डिप्टी सीएम के पद से छुट्टी हो गई थी.  इस बार विधानसभा चुनाव के बाद बीजेपी ने उन्हें उपमुख्यमंत्री ना बनाकर ताराकिशोर प्रसाद और रेणु देवी को बनाया है. इसके बाद से कयास लगाए जा रहे थे कि बीजेपी उन्हें केंद्र में सेट करना चाहती है. 



सुशील मोदी के सियासत की शुरुआत छात्रसंघ की राजनीति से हुई. 1973 में सुशील मोदी पटना कॉलेज में छात्रसंघ के महामंत्री और लालू यादव अध्यक्ष बनें. इसके बाद वह बिहार प्रदेश छात्र संघर्ष समिति के सदस्य 1974 में बने. यहीं से वह जय प्रकाश नारायण के आंदोलन जिसे 'जेपी मूवमेंट' या 'संपूर्ण क्रांति आंदोलन' कहा जाता है उससे जुड़ गए. इस दौरान उन्होंने आंदोलन में बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया. सुशील मोदी 1990 में सक्रिय राजनीति में आए और पटना सेंट्रल विधानसभा सीट से चुने गए. 1995 और 2000 में भी वे विधानसभा पहुंचे. 1996 से 2004 के बीच वे बिहार विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष रहे. पटना हाई कोर्ट में उन्होंने लालू प्रसाद के खिलाफ जनहित याचिका डाली जिसका खुलासा चर्चित चारा घोटाले के रूप में हुआ था. 2004 में सुशील मोदी ने लोकसभा का चुनाव लड़ा और भागलपुर से विजयी रहे.

2005 में बिहार चुनावों में एनडीए को बहुमत मिला. नीतीश कुमार मुख्यमंत्री बने तो सुशील मोदी को उपमुख्यमंत्री की जिम्मेदारी मिली. साथ में वित्त मंत्रालय और कई अन्य विभागों की जिम्मेदारी संभाली थी. 2010 में एनडीए की फिर जीत हुई और नीतीश सरकार में सुशील मोदी फिर उपमुख्यमंत्री बने. वित्त मंत्री के रूप में जुलाई 2011 में सुशील मोदी को GST पर बनी राज्यों के वित्त मंत्रियों की समिति का चेयरमैन बनाया गया था. वहीं, 2020 के चुनाव में भी सुशील मोदी बीजेपी का सबसे बड़े चेहरा रहे. बीजेपी इस बार बड़े भाई की भूमिका है. जेडीयू इस बार 43 सीटों पर जीती है जबकि बीजेपी को 74 सीटें मिली हैं. 

समझा जाता है कि बिहार विधानसभा में एनडीए और महागठबंधन के स्पीकर पोस्ट पर उम्मीदवार खड़ा कर देने से पांच दशक के बाद चुनाव की नौबत आ गयी.कुल 125 सदस्यों के बल एनडीए सत्ता में है.110 सदस्य रहते महागठबंधन विपक्ष में हैं.एनडीए सदस्यों के बीच में सेंधमारी न हो तो व्हीप लागू कर दिया गया.


इस बीच बिहार की राजनीति में एक कथित फोन कॉल के बाद भूचाल मचा हुआ है. भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) नेता सुशील मोदी ने आरोप लगाया कि राष्ट्रीय जनता दल (आरजेडी) चीफ लालू प्रसाद यादव रांची से फोन करके एनडीए के विधायकों को तोड़ने की कोशिश कर रहे हैं. सुशील मोदी के बाद अब मुकेश सहनी और जीतनराम मांझी ने भी यही आरोप लगाया है.


इस आरोप-प्रत्यारोप के बीच में स्पीकर पोस्ट का चुनाव हुआ.एनडीए की संख्या 125 से बढ़कर 126 विधायकों का समर्थन प्राप्त है.वहीं 110 से बढ़कर महागठबंधन को 114 तक पहुंच गये. जादुई बहुमत 122 से मात्र 8 कदम दूर हैं. हालांकि महागठबंधन की ओर से राजद के अवध बिहारी चौधरी मैदान में थे और पराजित हो गये परंतु उम्मीद छोड़ गये. नतीजों के बाद एनडीए के उम्मीदवार विजय सिन्हा को मुख्यमंत्री नीतीश कुमार, विपक्ष के नेता तेजस्वी यादव ने स्पीकर को उनकी कुर्सी तक पहुंचाया और बधाई दी. बिहार में ऐसा पांच दशक के बाद हुआ है, जब स्पीकर पद के लिए चुनाव हुआ.इसका पुरस्कार सुशील कुमार मोदी को मिला. खुद सुशील बताएंगे कि पदोन्नति है कि पदावनति ?

आपको बता दें कि 14 दिसंबर को राज्यसभा सीट के लिए चुनाव होना है. 3 दिसंबर से राज्यसभा चुनाव के लिए प्रक्रिया शुरू होगी. सुशील मोदी बिहार की राजनीति में कई दशकों से सक्रिय हैं. राज्यसभा में उनका जाना निश्चित है.इस बीच नीतिन अभिषेक ने राज्यसभा प्रत्याशी सुशील मोदी को  बुके देकर बधाई एवं दी शुभकामनाएं.


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