भीमताल .पानी किसी एक देश का नहीं होता यह बात रविवार को यहां हुई पानी पंचायत में उभर कर आई .उत्तराखण्ड विज्ञान शिक्षा एवं अनुसंधान केन्द्र (यूसर्क), देहरादून की तरफ से यह पंचायत बुलाई गई थी .भीमताल में पानी पंचायत (हिमालय क्षेत्र में जल विषयक मुद्दों पर दक्षिण एशियाई पहलें) विषय पर एक दिवसीय कार्यशाला का आयोजन शीतजल मत्स्यकी अनुसंधान निदेशालय, भीमताल के सभागार में किया गया. कार्यशाला में पानी के ज्वलंत विषयों पर तो चर्चा हुई ही इसके साथ ही पर्यावरण कि विभिन्न मुद्दों पर विमर्श हुआ.
यूसर्क के निदेशक डा. दुर्गेश पंत ने कहा कि यूसर्क उत्तराखण्ड में कई ऐसी पहलों का सहयोग कर रहा है जो विज्ञान को स्थानीय जन समुदाय के साथ जोड़ने का प्रयास कर रहा है. संस्थान में काम कर रहे वैज्ञानिकों द्वारा अनेक ऐसे वैज्ञानिक यंत्र बनाये गये है जिसके माध्यम से पर्यावरण पड़ रहे प्रभाव को बड़ी सरलता से देखा जा सकता है और इस संबंध में डाटा एकत्र किया जा सकता है. यह डाटा इस संबंध में बन रही योजनाओं में और रणनीति बनाने में उपयोग किया जा सकता है. उदाहरण स्वरूप उन्होंने यूसर्क के सहयोग से बिरला इस्ट्टीयूट ऑफ एपलाइड साइंस्स बनाया गया एक यंत्र का प्रदर्शन भी किया जिसके माध्यम से किसी भी जल स्रोत की गुणवत्ता को प्रति दिन के हिसाब से मापा जा सकता है और बिना किसी हस्तक्षेप के यह डाटा सभी के लिए उपलब्ध होगा.
दिल्ली से वरिष्ठ समाजवादी श्री विजयप्रताप ने कहा कि हमें अपने अपनी बातों को राजनैतिक हलकों में कैसे ले जायें और इसे राजनैतिक मुद्दा कैसे बनाया जाये इस पर रणनीति बनाने की आवश्यकता है. सभा को सम्बोधित करते हुए श्री भुवन पाठक ने कहा कि पानी किसी क्षेत्र, राज्य या किसी देश विशेष की सम्पत्ति नहीं है यह सम्पूर्ण दक्षिण ऐशियाई देशों की साझी सम्पदा है. हम पाकिस्तान का या नेपाल का पानी रोक देंगे यह विचार ही व्यवहारिक नहीं है.
गुजरात से आये अनिरुद्ध जडेजा ने बताया किस प्रकार उन्होंने विभिन्न आंदोलनों और हाई कोर्ट और सुप्रीम कोर्ट के माध्यम जनमानस के लिए पानी की लड़ाई लड़ी है और लगभग सभी सफलता भी पायी है. अल्मोड़ा से अजीम प्रेम जी फाउंडेशन से आये संदीप ने कहा कि पानी कोई स्वतंत्र मुद्दा नहीं है यह अन्य समस्त सामाजिक विषयों से जुड़ा है इसे समग्रता से देखने की आवश्यकता है. रानीखेत से गजेन्द्र पाठक ने बताया कि उन्होंने पानी पर बनी अनेक सरकारी योजनाओ का अध्ययन किया है जिसमें उन्होंने देखा कि योजनाओं में आपसी द्वंद्ध हैं और स्पष्टता का अभाव है. गणाई गंगोली से आये राजेन्द्र बिष्ट ने पानी के उनके द्वारा किये गंगोलीघाट क्षेत्र में किये गये अद्वितीय प्रयोगों के बारे में बताया जहाँ उन्होंने 75 गांवों को पानी के मुद्दे पर आत्मनिर्भर बना दिया है. उत्तरकाशी से आये श्री द्वारिका सेमवाल से अपने ‘बीज बम’ अभियान के बारे में सदन को बताया जिसमें उन्होंने बताया कि वे जगलों को फलों और सब्जियों के बीज लगा रहे हैं जिससे जंगली जानवरों को जंगल में ही भोजन मिल पायेगा और वन्यजीव और मानव के मध्य का संघर्ष कुछ नियंत्रित कर पायेगें.
कार्यक्रम में कार्यक्रम संयोजक भुवन पाठक, कार्यक्रम समन्वयक डा. भवतोष शर्मा, हिमालय ग्राम विकास समिति के श्री राजेन्द्र विष्ट, गजेन्द्र पाठक, नौला फाउन्डेशन के श्री विशन सिंह के साथ वरिष्ठ पत्रकार अंबरीश कुमार,अजीत अंजुम ,आलोक जोशी और संजीव पालीवाल भी थे .मंदाकिनी की आवाज के मानवेन्द्र नेगी, डा. हेमन्त के. जोशी, डा. आशुतोष भटृट सहित 75 लोगों ने इसमें हिस्सा लिया .
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