सलाद खाएं पर सावधान भी रहें

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सलाद खाएं पर सावधान भी रहें

जनादेश ब्यूरो 

नई दिल्ली .खानपान में सलाद का प्रचलन बढ़ा है. कुछ तो सेहत का ध्यान रखने के लिए सलाद का इस्तेमाल करते हैं तो सलाद एक फैशन भी बन गया है. खास कर दावतों में तो सलाद के बिना बात ही नहीं बनती. सलाद को लेकर तरह-तरह की बातें की जाती हैं. लोग सलाद का गुणगान करने में किसी तरह की कोताही नहीं करते. लेकिन सलाद के अपने फायदे हैं तो कुछ नुकसान भी है. सलाद को लेकर बहुत भ्रांतियां हैं, क्या खाएं, कब खाएं और कितना खाएं. क्या सिर्फ शाक प्याज टमाटर खीरा ककड़ी ही सलाद होता है, या फिर दालों का भी सलाद बनता है जैसे दक्षिण भारत में. जनादेश लाइव के साप्ताहिक कार्यक्रम भोजन के बाद-भोजन की बात में सलाद पर चर्चा हुई. सलाद की खूबियों और खामियों को लेकर हुई चर्चा में शामिल रहे वरिष्ठ पत्रकार आलोक जोशी, खानपान की जानकार पूर्णिमा अरुण, शेफ अन्नया खरे, शिल्पा दीक्षित शुक्ल और जनादेश के संपादक अंबरीश कुमार.

आलोक जोशी ने चर्चा की शुरुआत करते हुए कहा कि सलाद पर चर्चा होनी चाहिए क्योंकि मौसम है. जैसे कि अभी गाजर काफी अच्छा मिल रहा है. तो यह मौसम गाजर का मौसम है. ऐसी बहुत सारी चीजें इस मौसम में आती हैं, जिन्हें हम कच्चा खा सकते हैं, सलाद बना कर खा सकते हैं. हम जिसे सलाद कहते हैं तो अंग्रेज इसे सलैड कहते हैं. हम लोग तो टमाटर, खीरे, प्याज, मूली और गाजर को काट लेने को ही सलाद मानते थे लेकिन अब सलाद तो किस्म-किस्म के होते हैं. रशियन सलाद जब पहली बार देखा तो समझ में नहीं आया मुझे कि क्या चीज है, लेकिन एक वक्त उसका भी क्रेज था. कुछ साल पहले दिल्ली में मेरे एक दोस्त ने मुझसे कहा कि चलते हैं, सलैड खाएंगे, तो मैंने सोचा खाने का वक्त है, सलाद खिलाने की बात कर रहे हैं, क्या इरादा है. कनाट प्लेस में निरुला का एक सलाद बार है, वहां सिर्फ सूप और सलाद था और करीब सौ तरह की चीजें रखीं थीं. मैं वहां जाकर चमतकृत हो गया पहली बार इतनी चीजें देखीं थीं सलाद को लेकर.

अंबरीश कुमार ने कहा कि मौसम की वजह से ही आजकी चर्चा के लिए सलाद का विषय चुना क्योंकि अगर आप सब्जी लेने जाएं तो बहुत हरियाली दिखाई देगी. सोया, मेथी, पालक, बथुआ सारे साग इस समय उपलब्ध हैं. दरअसल सलाद की जब बात होती है तो हमलोगों के यहां प्याज, टमाटर व खीरा काट लिया और बन गया सलाद. बहुत हुआ तो गाजर काट लिया. लेकिन सलाद तो पूरा भोजन हो गया है और जो नई भोजन व्यवस्था है वहां बहुत सारे लोग वजन कम करने के लिए सलाद पर निर्भर हो जाते हैं. इसलिए हम भारत में सलादों के प्रचलन और इसकी खूबियों खामियों पर चर्चा करने की सोची. पूर्णिमा अरुण ने बात को आगे बढ़ाते हुए कहा कि परंपरा में हमारे यहां कच्ची चीजें खाई जातीं थीं. लेकिन सलाद में पहले प्याज खा लिया, या मौसम का खीरा खा लिया या मौसम की मूली खा ली. बस इतना ही था. मेरा मानना है कि खाने के साथ यह खाना जरूरी नहीं था. कच्ची मूली जब बाजार से आती है या बहुत सारे लग खेतों से मूली उखाड़ कर ही खा लेते हैं तो उसके लिए जरूरी नहीं है. गाजर भी इसी तरह खाई जाती थी. यहां तक कि मटर भी जब छीलने बैठते हैं तो कच्चे मटर भी मुंह में चले जाते हैं. कच्चा खाना कोई बुरी बात नहीं है और आदमी को छोड़ दिया जाए तो साला प्राणि जगत है वह कच्चा ही खाता है. कच्चा खाना शरीर के लिए फायदेमंद है क्योंकि उसकी न्यूट्रिशियन वैल्यू सौ फीसद है. लेकिन हमने इसे धीरे-धीरे खाने से जोड़ लिया है. यह कालांतर में हुआ है. नए फैशन में तो बहुत ही ज्यादा हो गया है. कुछ लोगों को यह गलतफहमी है कि ज्यादा सलाद खाने से ज्यादा फायदा होगा, ऐसी बात नहीं है. फायदा तो देखें जो अनाज, दूध और घी है उसी से होता है. वही शरीर को बनाता है, सलाद से आपको मिनरल और विटामीन मिल जाएंगी लेकिन बाकी चीजें तो घी-दूध से ही मिलेंगी. हां वजन कम करने वालों के लिए सलाद अच्छी चीज है कि वे अनाज की जगह सलाद खाएं. लेकिन मेरा मानना है कि सलाद खाने के साथ नहीं खाएं क्योंकि पका हुआ और कच्चा खाना साथ खाते हैं तो वह पाचन के लिए ठीक नहीं होता है.

शिप्रा दीक्षित शुक्ला ने चर्चा में हिस्सा लेते हुए कहा कि दक्षिण भारतीय खानों में आमतौर पर रोटी नहीं होतीं हैं. चावल और दूसरी चीजें खाई जाती हैं. अगर आपने थाली खाई है तो आप पाएंगे कि एक किनारे छोटा सा मिश्रण जैसा होता है, जिसमें दालें होतीं हैं, कुछ सब्जियां होती हैं और एक-दो फल होता है. वह कौशांबरी होती है. यह कर्नाटक की डिश है और वहां उसे भगवान को भी चढ़ाया जाता है. कौशांबरी मूंग या चने दाल से बनती है. इसमें बाकी दूसरी चीजों को हटा भी सकते हैं. आंध्रप्रदेश में इसे वरापट्टू बोला जाता है. इसका काफी महत्त्व होता है और पारंपरिक खाना इसके बिना नहीं होता है. वैसे पारंपरिक खाने में और किसी तरह का सलाद इस्तेमाल नहीं होता है. अन्नया खरे ने सलाद का जिक्र करते हुए बताया कि सलाद पूरे देश में खाया जाता है. हर जगह का अपना पारंपरिक सलाद होता है. कशमीर की बात करें तो मूजीचटिन सलाद परोसा जाता है जो मूली से बनता है. मूली में राई का छौंक लगा कर वे खाते हैं. फिर पंजाब की तरफ आते हैं तो वहां कचूंबर सलाद मिलता है. जो सब्जियों को छोटे-छोटे टुकड़े में काट कर उसे लेमन या हरी मिर्च के साथ परोसा जाता है. बंगाल में भी इसी तरह कई तरह के सलाद बनते हैं. नानवेज का भी सलाद बनता है. लोग चिकन डाल कर भी सलाद खाना पसंद करते हैं. वैसे पूर्णिमा जी ने बताया कि दावतों में जो सलाद परोसा जाता है उसके फायदे कम नुकसान ज्यादा हैं.


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