प्रभाकर मणि तिवारी
कोलकाता .केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के दो-दिवसीय पश्चिम बंगाल दौरे से पहले सत्तारुढ़ तृणमूल कांग्रेस में भगदड़ तेज हो गई है. शुक्रवार को उत्तर 24-परगना जिले में बैरकपुर के विधायक शीलभद्र दत्त ने भी पार्टी की प्राथमिक सदस्यता से इस्तीफा दे दिया. यह दो दिनों में तीसरे बड़े नेता का इस्तीफा है. शाह के दो-दिवसीय बंगाल दौरा शनिवार से शुरू होगा. इस दौरान पार्टी के कई अन्य नेताओं के भी इस्तीफा देकर बीजेपी में शामिल होने की चर्चा है.
इससे पहले बुधवार को नंदीग्राम के विधायक शुभेंदु अधिकारी और गुरुवार को आसनसोल के विधायक जितेंद्र तिवारी ने भी इस्तीफा दे दिया था. शीलभद्र ने मुख्यमंत्री और पार्टी अध्यक्ष ममता बनर्जी को भेजे पत्र में कहा है कि मौजूदा परिदृश्य में वे खुद का पार्टी में अनफिट महसूस कर रहे हैं. वे पहले चुनावी रणनीतिकार प्रशांत किशोर को लेकर भी नाराज़गी जाहिर कर चुके थे.
उन्होंने पत्रकारों से बातचीत में कहा कि वे विधायक पद से इस्तीफा नहीं देंगे. उनका सवाल था कि मैं आम लोगों के वोट से विधायक बना हूं. इससे इस्तीफा क्यों दूं? लोगों के भरोसे का क्या होगा? दत्त को पूर्व टीएमसी नेता और अब बीजेपी के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष मुकुल राय का करीबी माना जाता है.
राज्य सरकार में पूर्व परिवहन मंत्री शुभेंदु अधिकारी ने बुधवार को विधानसभा की सदस्यता औऱ पार्टी के सभी पदों से इस्तीफ़ा दे दिया था. उनके शाह के दौरे के समय बीजेपी में सामिल होने की संभावना है. शाह शनिवार को मेदिनीपुर में एक रैली को संबोधित करेंगे. शुभेंदु अधिकारी पश्चिम बंगाल के बड़े नेता माने जाते हैं. वह पूर्वी मिदनापुर जिले के एक प्रभावशाली राजनीतिक परिवार से आते हैं.
कभी ममता के सबसे करीबी नेताओं में गिने जाने वाले शुभेंदु अधिकारी मेदिनीपुर जिले की उस नंदीग्राम सीट से विधायक रहे हैं जिसने वर्ष 2007 में जमीन अधिग्रहण के ख़िलाफ़ हिंसक आंदोलन के जरिए सुर्खियां बटोरी थीं और टीएमसी के सत्ता में पहुंचने का रास्ता साफ किया था.
हाल ही में पश्चिम बंगाल के दौरे पर पहुंचे बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा के काफिले पर हुए पथराव के बाद राज्य की सियासत काफी गरमा गई है. बीजेपी ने अपने कार्यकर्ताओं की हत्या को लेकर राज्य में जबरदस्त आंदोलन छेड़ा हुआ है. अब अमित शाह के दौरे के बाद इस टकराव के औ तेज होने का अंदेशा है.
बीजेपी-टीएमसी की इस लड़ाई के बीच कुछ दिन पहले राज्यपाल जगदीप धनखड़ ने पाज्य सरकार के खिलाफ काफी हमलावर रुख अपनाया है. उन्होंने बीते सप्ताह कहा था कि ममता बनर्जी संवैधानिक बाध्यता के अधीन हैं और उन्हें संविधान के रास्ते पर चलना ही होगा.
धनखड़ ने कहा था कि राज्य में क़ानून व्यवस्था की स्थिति बेहद ख़राब हो चुकी है और वे कई बार मुख्यमंत्री, प्रशासन और पुलिस के सामने इसे लेकर चिंता व्यक्त कर चुके हैं. नड्डा के काफ़िले पर हमले को लेकर उन्होंने कहा था कि यह बेहद दुर्भाग्यपूर्ण घटना थी और इसने दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र को शर्मसार किया है.
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