जुड़ांगे, लड़ांगे, जीतांगे!

गोवा की आजादी में लोहिया का योगदान पत्रकारों पर हमले के खिलाफ पटना में नागरिक प्रतिवाद सीएम के पीछे सीबीआई ठाकुर का कुआं'पर बवाल रूकने का नाम नहीं ले रहा भाजपा ने बिधूड़ी का कद और बढ़ाया आखिर मोदी है, तो मुमकिन है बिधूड़ी की सदस्य्ता रद्द करने की मांग रमेश बिधूडी तो मोहरा है आरएसएस ने महिला आरक्षण विधेयक का दबाव डाला और रविशंकर , हर्षवर्धन हंस रहे थे संजय गांधी अस्पताल के चार सौ कर्मचारी बेरोजगार महिला आरक्षण को तत्काल लागू करने से कौन रोक रहा है? स्मृति ईरानी और सोनिया गांधी आमने-सामने देवभूमि में समाजवादी शंखनाद भाजपाई तो उत्पात की तैयारी में हैं . दीपंकर भट्टाचार्य घोषी का उद्घोष , न रहे कोई मदहोश! भाजपा हटाओ-देश बचाओ अभियान की गई समीक्षा आचार्य विनोबा भावे को याद किया स्कीम वर्करों का पहला राष्ट्रीय सम्मेलन संपन्न क्या सोच रहे हैं मोदी ?

जुड़ांगे, लड़ांगे, जीतांगे!

यह हेड लाइन है आंदोलन कर रहे किसानो के अख़बार ट्राली टाइम्स की .जो गुरमुखी और हिंदी में भी है . ट्रॉली टाइम्स का पहला संस्करण बृहस्पतिवार रात छापा गया, और देर रात उसे सिंघू और टिकरी बॉर्डर पहुंचा दिया गया. शुक्रवार सुबह उसे आंदोलनकारी किसानों के बीच बांट दिया गया.इसके प्रकाशन में लगी टीम के मुताबिक दो हजार प्रतियां प्रकाशित करने में बारह हजार रूपये लगे जो किसानो ने ही दिया .

वर्ष 1988 में जब बोट क्लब पर पांच लाख किसानों का धरना चल रहा था तब जनसत्ता में खबरों की जगह कम पड़ गई .खुद मैं ही आंदोलन की सात आठ खबर लिखता .इसे देखते हुए जनसत्ता के संपादक प्रभाष जोशी ने किसान आंदोलन के लिए दोपहर का जनसत्ता निकाल दिया था जो सिर्फ किसान आंदोलन की खबर देता था .एक वो दौर था आज किसान आंदोलन को मीडिया का बड़ा हिस्सा ही बदनाम करने में जुट गया तो धरने पर बैठे किसानों ने ट्राली टाइम्स अखबार निकाल दिया है.अब मीडिया अपना अखबार खुद निकाले खुद पढ़े .किसान अपना अखबार पढ़ रहा है .पत्रकार अंबरीश कुमार की फेसबुक पोस्ट से 

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