आलोक कुमार
वैश्विक कोरोना काल में 25 दिसंबर को भारत समेत दुनिया के लगभग 160 देशों में बड़ी ही धूमधाम और उल्लास के साथ सेलिब्रेट किया जाएगा.इस साल में 24 दिसम्बर को अर्धरात्रि मिसा नहीं होगी.दुनियाभर में 25 दिसंबर को क्रिसमस डे के रूप में मनाया जाता है. क्रिसमस ईसाई धर्म का सबसे बड़ा त्योहार है, इसके लिए वह कई दिनों से तैयारी करते हैं.इस साल 24 दिसंबर की रात में मिस्सा नहीं होगी.शाम में ही हैप्पी क्रिसमस और मैरी क्रिसमस की बधाइयों का सिलसिला शुरू कर देंगे.इस अवसर पर एक-दूसरे को केक खिलाकर खुशियां बांटते हैं.जगह-जगह क्रिसमस ट्री सजाए जाते हैं और सांता उपहार देते हैं.क्रिसमस वैसे तो ईसाई धर्म के मानने वाले लोगों का त्योहार है लेकिन अन्य धर्म के लोग भी इस त्योहार को बहुत धूमधाम से मनाते हैं.
बड़ा दिन (Bada Din) के नाम से मशहूर क्रिसमस (Christmas Day) का त्योहार 25 दिसंबर को मनाया जाता है. इस दिन घरों और घरों के बाहर एक से बढ़कर एक सजावट दिखेगी. सैंटा क्लॉज़ की ड्रेस पहने लोग दिखेंगे. घरों में एक-दूसरे को केक खिलाया जाएगा, तोहफे दिए जाएंगे. क्रिश्चियन्स चर्च में जाकर प्रेयर करेंगे और रात में पूरा परिवार और दोस्त आपस में मिलकर पार्टी करेंगे. इससे ठीक सातवें दिन नया साल 2020 (New Year 2020) शुरू हो जाएगा. यहां जानिए क्रिसमस ट्री से लेकर मोज़े में गिफ्ट देने के चलन से जुड़ी कुछ बेहद ही खास बातें.
बाइबल में जीसस की कोई बर्थ डेट नहीं दी गई है, लेकिन फिर भी 25 दिसंबर को ही हर साल क्रिसमस मनाया जाता है. इस तारीख को लेकर कई बार विवाद भी हुआ. लेकिन 336 ई. पूर्व में रोमन के पहले ईसाई रोमन सम्राट (First Christian Roman Emperor) के समय में सबसे पहले क्रिसमस 25 दिसंबर को मनाया गया. इसके कुछ सालों बाद पोप जुलियस (Pop Julius) ने आधिकारिक तौर पर जीसस के जन्म को 25 दिसंबर को ही मनाने का ऐलान किया.
क्रिसमस ट्री की शुरुआत उत्तरी यूरोप में हज़ारों सालों पहले हुई. उस दौरान 'Fir' नाम के पेड़ को सजाकर इस विंटर फेस्टिवल को मनाया जाता था. इसके अलावा लोग चेरी के पेड़ (Cherry Plant) की टहनियों को भी क्रिसमस के वक्त सजाया करते थे. जो लोग इन पौधों को खरीद नहीं पाते थे वो लकड़ी को पिरामिड का शेप देकर क्रिसमस मनाया करते थे. धीरे-धीरे क्रिसमस ट्री का चलन हर जगह बढ़ा और अब हर कोई क्रिसमस के मौके पर इस पेड़ को अपने घर लाता है और इसे कैंडी, चॉकलेट्स, खिलौने, लाइट्स, बेल्स और गिफ्ट्स से सजाता है. 'FIR' नाम के पेड़ को सजाकर इस विंटर फेस्टिवल को मनाया जाता है.
सीक्रेट सैंटा और उनके मोज़े में गिफ्ट की कहानी
प्रचलित कहानियों के अनुसार चौथी शताब्दी में एशिया माइनर की एक जगह मायरा (अब तुर्की) में सेंट निकोलस (St. Nicholas) नाम का एक शख्स रहता था. जो बहुत अमीर था, लेकिन उनके माता-पिता का देहांत हो चुका था. वो हमेशा गरीबों की चुपके से मदद करता था. उन्हें सीक्रेट गिफ्ट देकर खुश करने की कोशिश करता रहता है.
इस परिस्थिति को ध्यान में रखते हुए धर्माध्यक्ष रोएरमोंद हेरी स्मीत्स ने परिवारवालों के साथ पर्व मनाने के लिए एक रचनात्मक प्रयास किया है और निश्चय किया है कि क्रिसमस की पूर्व संख्या 24 दिसम्बर के ख्रीस्तयाग को कार के अंदर से ही मनाया जाएगा.दक्षिण में लैंडग्राफ शहर में यह आयोजन एक विशाल स्थान में किया गया है। धर्मप्रांत ने जानकारी दी है कि मिस्सा में भाग लेने हेतु कार पार्किंग के लिए 500 टिकट बांटे जा चुके हैं.
धर्मप्रांत द्वारा विश्वासियों को सूचित करने हेतु जारी एक विज्ञप्ति में कहा गया है कि वे पोडियम पर स्थापित दो मेगा-स्क्रीन के माध्यम से अपने कार के अंदर एवं कार रेडियो के द्वारा मिस्सा में भाग ले पायेंगे. मिस्सा के समय उन्हें कार के ही अंदर रहने का निर्देश दिया गया है। मिस्सा के स्थान पर भी कड़े सुरक्षा नियम का पालन किया जाएगा. मिस्सा में परमप्रसाद का वितरण नहीं किया जाएगा ताकि दूसरे लोगों के साथ किसी तरह का सम्पर्क न हो.
सूचना में कहा गया है कि मिस्सा के दौरान कार के इंजन और बत्तियाँ बुझा दी जायेंगी जिसके कार को गर्म करने का सिस्टम भी बंद हो जाएगा अतः लोगों को पर्याप्त गर्म कपड़े पहनने की सलाह दी गई है. "विश्वभर में फैली महामारी से लायी गई परिस्थिति को देखते हुए, संत पापा फ्राँसिस द्वारा इस धर्मसंघ को दिए संकायों के आधार पर, एवं कोविड-19 वायरस से संक्रमित होने की स्थिति पर गौर करते हुए हम स्थानीय धर्माध्यक्षों को सहर्ष छूट देते हैं कि वे अपने धर्मप्रांतों में क्रिसमस काल में पुरोहितों को चार मिस्सा अर्पित करने की अनुमति दें.
क्रिसमस के दिन (25 दिसम्बर), माता मरियम ईश्वर की माता का महापर्व (1 जनवरी) और प्रभु प्रकाश महापर्व (6 जनवरी) के लिए है. यह छूट विश्वासियों के लाभ के लिए आवश्यकता पड़ने पर दी गई है. प्रारंभ में एक बार ही मिस्सा कर सकते थे.इसमें परिवर्तन कर दो बार मिस्सा करने का अधिकार दिया।इसके बाद आवश्यक होने पर अधिकतम तीन बार कर दिया गया.यह कैनन लॉ में प्रावधान है.इस बार क्रिसमस मिलन समारोह का शोर नहीं..
वैश्विक कोरोना वायरस का कहर क्रिसमस त्योहार पर पड़ने लगा हैं. ईसाई समुदाय के लोग बच के बचाकर त्योहार मनाने की तैयारी में लग गये हैं.युवाओं को दरकिनार क्रिसमस कैरोल सॉग पेश किया गया.पूर्व की तरह द्वार-द्वार न जाकर मोहल्ला के नुक्कड़ पर परम्परागत गीत प्रस्तुत किये.
आज से आगामी क्रिसमस डे के अवसर बालक येसु के जन्म लेने के पैगाम को हर्षोल्लास के साथ कैरोल गीत पेश किया गया. बालक येसु के जन्म लेने के पैगाम देने टोलियों में लोग बंट गये. लोकधर्मी एस. के. लॉरेंस के अनुसार लगभग दस-दस वयस्क धर्मियों की कई टोली ईसाई बहुल इलाकों में निकल पड़ी है.इस सन्दर्भ में शनिवार के दिन एक टोली टीचर्स एन्कलेव कॉलोनी,शिवाजी नगर , दीघा में पहुंची.जिसका कॉलोनी के सभी भक्त जनों ने उनका स्वागत करते हुए इस कर्णप्रिय भक्तिमय कैरोल गीत के कार्यक्रम में सहर्ष सम्मिलित हो भक्तिमय बना दिया.
इस बीच पटना महाधर्मप्रांत के महाधर्माध्यक्ष है सेबास्टियन कल्लूपुरा.उनके निर्देशानुसार ख्रीस्त जयंती के अवसर पर निम्नलिखित कार्यक्रम तय किये गये हैं.काेराना महामारी से उत्पन्न परिस्थितियाें के आलोक में ख्रीस्त जयंती का मिस्सा क्षेत्रवार किया जायेगा. सभी भक्ताें से अनुराेध किया गया है कि आप अपने क्षेत्र के मुताबिक ही मिस्सा के लिए आयें ताकि चर्च में भीड़ की संभावनाआें को कम किया जा सके.
इस बार क्रिसमस त्योहार के अवसर पर 24 दिसंबर को अर्घरात्रि त्योहारी मिस्सा न करके त्योहार की पूर्व संध्या पर पहला मिस्सा शाम छह बजे से किया जाएगा.इस मिस्सा में बालूपर, शिवाजी नगर, गंगा विहार काॅलाेनी के श्रद्धालु भाग लेंगे.दूसरा त्योहारी मिस्सा शाम आठ बजे से होगा.इस मिस्सा में कुर्जी क्रिश्चियन काॅलोनी, मगध काॅलाेनी, आर.बी. आई. बैंक काॅलाेनी, विकास नगर व काेठिया के भक्तगण शामिल होंगे.
वहीं क्रिसमस के दिन 25 दिसंबर को पहला मिस्सा सुबह सात बजे से होगा. इस मिस्सा में फेयर फील्ड कॉलोनी, बाँसकाेठी, मखदुमपुर, हमीदपुर, संत माइकल कॉलोनी व बुजुर्ग दीघा के लोग शामिल होंगे.दूसरा मिस्सा सुबह साढ़े आठ बजे से हाेगा.इसमें पल्ली के बीमार और बुजुर्गों लोगों काे प्राथमिकता देते हुए और छुटे हुए लोगाें के लिए मिस्सा होगा.
कोरोना के मद्देनजर 25 दिसंबर को सुबह मिस्सा के तुरंत बाद गिरजाघर के परिसर का मुख्य द्वार बंद कर दिया जायेगा और दर्शकों के लिए नहीं खोला जायेगा.आप सभी लोगों ने काफी त्याग करके पल्ली समुदाय के कार्यक्रमों काे संचालित करने राँची के धर्माध्यक्षों ने कहा है कि ख्रीस्त जयन्ती को गरीबों के साथ मिलकर मनाया जाएगा जिसके लिए 27 दिसम्बर का दिन निश्चित किया गया है.क्रिसमस के नाम पर इस दिन प्रत्येक पल्ली में जाति, धर्म और पंथ का भेदभाव किये बिना गरीबों को भोजन परोसा जाएगा। विश्वासियों को प्रोत्साहन दिया गया है कि वे लोगों के घरों में जाकर कैरोल के द्वारा प्रभु येसु के जन्म का संदेश दें. साथ ही, आर्चबिशप हाऊस में केक, उपहार और फूल आदि भेंट करने से मना किया गया है. कहा गया है कि इसके बदले बचाये गए पैसे दान किए जा सकते हैं.फोटो साभार
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