गुपकर की यह कैसी हार और भाजपा की कितनी जीत ?

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गुपकर की यह कैसी हार और भाजपा की कितनी जीत ?

पंकज चतुर्वेदी 

नई दिल्ली .जम्मू कश्मीर जिला विकास परिषद चुनाव न हिंदी टी वी चैनल मूर्खता ही हद तक चापलूसी कर रहे  हैं . लोकतंत्र में जनता की आवाज़ को ताकत के आगे बेच रहे हैं ये जान लें लेह लद्दाख के अलग होने के बाद बचे जम्मू कश्मीर में कुल बीस जिले हैं और हर जिले में जिला विकास  परिषद की १४ -१४ सीटें .जम्मू क्षेत्र में आबादी ज्यादा है और घाटी में कम . जम्मू में हिंदू व सिख का बहुमत है तो घाटी में मुस्लिम . 

जम्मू बीजेपी का मजबूत दुर्ग माना जाता है, क्योंकि यहां की बड़ी आबादी हिंदू और सिख समुदाय की है. 2019 के लोकसभा चुनाव में जम्मू क्षेत्र की दोनों सीटें बीजेपी जीतने में कामयाब रही थी. राज्य की कुल 280 जिला विकास परिषद सीटों में से जम्मू क्षेत्र में 140 सीटें आती हैं, जिनमें से बीजेपी महज 71 सीटें ही जीत सकी. वहीं, गुपकार गठबंधन कश्मीर ही नहीं बल्कि जम्मू इलाके की सीटें भी कब्जाने में कामयाब रहा है. गुपकार गठबंधन की अगुवाई करने वाले फारुक अब्दुल्ला की पार्टी नेशनल कॉफ्रेंस ने जम्मू क्षेत्र की 25 सीटों पर जीत दर्ज की है. इसके अलावा एक सीट पीडीपी को भी जम्मू इलाके की मिली है.

कांग्रेस भी जम्मू क्षेत्र की 17 सीटें जीतने में कामयाब रही है जबकि दो सीटें पैंथर्स पार्टी और एक बसपा ने जीती है. जम्मू इलाके की सीटों पर गुपकार गठबंधन का ऐसे समय में जीतना जब राज्य से 370 को खत्म कर दिया गया है और राज्य को दो हिस्सा में बांट दिया है, ये बीजेपी के लिए किसी सियासी झटके से कम नहीं है, क्योंकि डीडीसी चुनाव को भविष्य में होने वाले विधानसभा चुनाव का लिटमस लेस्ट माना जा रहा है.

कश्मीर घाटी मुस्लिम बहुल इलाका है, जहां 140 डीडीसी की सीटें हैं. घाटी में पीडीपी और नेशनल कॉफ्रेंस सहित गुपकार गठबंधन में शामिल पार्टियों को जबरदस्त जीत मिली है. वहीं, कश्मीर की इन 140 सीटों में से बीजेपी ने 53 सीटों पर चुनाव लड़ा था, जिनमें से महज तीन सीटें ही जीत सकी है जबकि केंद्रीय मंत्री जितेंद्र सिंह से लेकर मुख्तार अब्बास नकवी और अनुराग ठाकुर सहित तमाम केंद्रीय मंत्रियों ने चुनाव प्रचार की कमान संभाल रखी थी. इसके बाद भी नेशनल कॉफ्रेंस ने कश्मीर रीजन की 42 सीटें जीती है और 26 सीटों पर पीडीपी को जीत मिली है. इसके अलावा बाकी सहयोगी दलों को सीटें मिली हैं.

डीडीसी चुनाव के बीच ही राज्य में गुपकार गठबंधन को लेकर खासी गहमा-गहमी रही. केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह सहित बीजेपी के तमाम नेताओं ने इसे गुपकार गैंग बताया था और कहा था कि कांग्रेस और गुपकार गैंग जम्मू-कश्मीर को आतंकवाद और उथल-पुथल वाले दौर में वापस ले जाना चाहता है. इसके बाद भी घाटी की जनता ने बीजेपी के बजाय नेशनल कॉफ्रेंस और पीडीपी सहित स्थानीय पार्टी को ही खास तवज्जो दी है.यह जो सबसे बड़ी पार्टी, सबसे बड़ा विपक्ष , घाटी में धमक जैसे जो नारे चल रहे हैं , उनकी हकीकत यह है कि अभी भी घाटी में अब्दुल्ला ही दीवाना है. फोटो और लेख साभार 


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