नवाबी दौर की मिठाई की दूकान

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नवाबी दौर की मिठाई की दूकान

डा शारिक अहमद खान 

लखनऊ की राम आसरे स्वीट्स नवाबी दौर सन् 1805 से मिठाई प्रेमियों की सेवा करती आ रही है.राम आसरे के 'मलाई के पान' और काली गाजर का हलवा बहुत मशहूर है.गर्मियों में ठंडे मलाई के पान ख़ूब पसंद किए जाते हैं और सर्दियों में काली गाजर का गर्मागर्म हलवा मिठाई प्रेमी बहुत चाव से खाते हैं.वैसे तो हम मिठाई प्रेमी नहीं हैं लेकिन फिर भी आज राम आसरे स्वीट्स गए,वजह कि हमारे साथ एक मिठाई प्रेमी साथी भी थे.क़रीब पांच-सात बरस बाद आज जाना हुआ.राम आसरे स्वीट्स लखनऊ के चौक की सँकरी सी गली 'बान वाली गली' में है,जिसमें या तो पैदल जाया जा सकता है या फिर दोपहिया गाड़ी से,हम लोग पैदल गए.दुकान पर काली गाजर का गर्मागर्म हलवा तैयार था जो नोश फ़रमाया.वाकई लज़्ज़तदार था,राम आसरे स्वीट्स का यूँ ही नाम नहीं है.राम आसरे स्वीट्स ने काली गाजर को लखनवी नफ़ासत दी,वरना हमारे गाँव में गाजर के मौसम में काली गाजर का इस्तेमाल भैंस को खिलाने के लिए होता है,काली गाजर खाने से भैंस ज़्यादा दूध देती है.ये बात हमने राम आसरे स्वीट्स वाले से भी कही,उन्होंने कहा कि हमें इस बारे में नहीं मालूम था,हमने ये भी कहा कि हमारे आज़मगढ़ में सफ़ेद गाजर का हलवा भी बनता है,मुबारकपुर में एक दुकान सफ़ेद गाजर के हलवे की मशहूर है और घर में भी लोग सफ़ेद गाजर का हलवा बनाते हैं(एक बार हमने फ़ेसबुक पर इस बारे में लिखा भी था और सफ़ेद गाजर का हलवा दिखाया था )हाँ तो हमने जब सफ़ेद गाजर के हलवे का नाम लिया तो राम आसरे स्वीट्स वाले सफ़ेद गाजर से परिचित नहीं थे,कहने लगे हमने कभी नहीं देखी,इधर नहीं होती,सफ़ेद बैंगन हमने देखा है.बहरहाल,कभी लखनऊ आएं तो गर्मियों में राम आसरे का मलाई का पान और सर्दियों में उनकी दुकान का काली गाजर का हलवा ज़रूर खाएं,राम आसरे स्वीट्स भी लखनवी तहज़ीब और खानपान के कल्चर की एक पहचान है.तस्वीर में मेरे कैमरे से काली गाजर का हलवा,राम आसरे स्वीट्स की दुकान और लखनऊ के चौक की बान वाली गली.फोटो साभार फेसबुक से 

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