छात्रों पर राजद्रोह का केस लोकतंत्र का हनन है -माले

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छात्रों पर राजद्रोह का केस लोकतंत्र का हनन है -माले

लखनऊ. भाकपा (माले) की राज्य इकाई ने अयोध्या (फैजाबाद) में साकेत डिग्री कालेज के छह छात्रों पर राजद्रोह का मुकदमा लगाने की योगी सरकार की कार्रवाई की कड़ी निंदा की है. पार्टी ने इसे लोकतंत्र का हनन और अधिकारों का दुरुपयोग बताते हुए छात्रों के खिलाफ दमनात्मक कार्रवाइयां निरस्त करने की मांग की है. पार्टी राज्य सचिव सुधाकर यादव ने सोमवार को जारी बयान में कहा कि सिर्फ नारे लगाने पर राजद्रोह का मामला बना देना सर्वोच्च न्यायालय के निर्देशों का खुला उल्लंघन है. छात्रसंघ चुनाव नहीं कराने के कालेज प्रशासन के निर्णय का विरोध कर रहे छात्रों द्वारा आजादी का नारा लगाने पर उनके खिलाफ पुलिस द्वारा बिना सोचे-समझे राजद्रोह का मुकदमा दर्ज किया जाना हास्यास्पद है. छात्रों के संरक्षक कहे जाने वाले प्राचार्य द्वारा लोकतंत्र की मांग कर रहे छात्रों के खिलाफ आजादी के नारे को राष्ट्रविरोधी बताते हुए पुलिस में इस तरह की शिकायत भेजना और निकट में रामजन्म भूमि स्थल होने का संदर्भ बताना 'अनुचित व बीमार मानसिकता' का परिचायक है. माले नेता ने कहा कि आरोपी छात्रों पर राजद्रोह के बाद अब मीडिया के एक हिस्से में रासुका (एनएसए) लगाने की खबर आ रही है. यदि ऐसा है, तो यह छात्रों पर और भी ज्यादती है. लगता है, डॉ. कफील खान प्रकरण में न्यायालय से मुंह की खाने के बाद भी प्रदेश सरकार ने कोई सबक नहीं लिया है. जबकि नारे लगाने वाले छात्रों - सुमित तिवारी, शेष नारायण पांडेय, इमरान हाशमी, सात्विक पांडेय, मोहित यादव और मनोज मिश्रा - के अनुसार, वे देश से आजादी नहीं, बल्कि भ्रष्ट कालेज प्रशासन से आजादी व छुटकारे की मांग कर रहे थे. जो भी हो, छात्रों के साथ यह व्यवहार उत्तर प्रदेश में एक दमनकारी सरकार के होने और लोकतंत्र के अनुपस्थित होने का प्रमाण है, जो दरअसल जंगलराज है.

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