अंबरीश कुमार
कैंडोलिम से निकले तो कुछ ही समय में हम नेरुल नदी के किनारे थे .यह नदी बहुत छोटी है पर प्राकृतिक सौंदर्य देखने वाला है .नारियल के जंगल के बगल से गुजरते हुए यह कब अरब सागर में उतर जाती है पता नहीं चलता .पर किनारे पर बहुत सी नाव थी .पहले मन हुआ कि कुछ देर चप्पू वाली नाव से आगे चला जाए .पर धूप बरस रही थी और हमे एक छोटी सी पहाड़ी पर चढ़ना था .यह पहाड़ी जंगल से घिरी हुई थी .पर जैसे ही जंगल के रास्ते से ऊपर आए सामने एक तरफ बड़ा सा किला और समुद्र नजर आया .इस किले को तो पहले भी देखा था पर मधुलिमये की जीवनी पढने के बाद इसे नए सिरे से देखने का मन था .
जब यहां पहुंचे तो पहली इच्छा थी कि उस बैरक को देखा जाए जिसमें मधु लिमये रहे . धूप भरपूर थीं और मौसम गर्म हो चुका था .फिर भी काफी देर रहे .यह गोवा का आगुदा फोर्ट है जो गोवा की आजादी की लड़ाई के समय जेल बना दिया गया था .इसमें करीब छह महीने समाजवादी नेता मधु लिमये भी रहे .उन्हें खूब यातना दी जाती .गोवा की आजादी के लिए सत्याग्रह करते हुए वे सीमा के जैसे ही भीतर गए उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया .गिरफ्तारी के समय पुर्तगाली सुरक्षा बल ने उन्हें काफी प्रताड़ित भी किया .बाद में बारह साल की सजा हुई .तब वे इसी जेल में लाए .एक झरोखा भी था जिससे बाहर समुद्र की लहरे दिखती थी . इन्ही लहरों को देखकर जेल की यातना कुछ कम हो जाती होगी .पुर्तगालियों ने वर्ष 1612 में आगुदा किला गोवा के कैंडोलिम समुद्र तट पर बनवाया था .यह किला डच और मराठा हमलावरों से बचाने के लिए बनवाया था .सामने अरब सागर है तो बगल में नेरुल नदी .पर यह किला मशहूर हुआ अपने नाम की वजह से .पुर्तगाली में आग्वाद का अर्थ वह जगह जहां पानी हो .इस किले में तब 23 लाख छिहत्तर हजार गैलन पानी क्षमता वाली टंकी थी .इसलिए इसका नाम आगुदा फोर्ट पड़ा .समुद्र किनारे पानी का यह किला बहुत खूबसूरत लगता है गोवा की आजादी की लड़ाई
आजादी की लड़ाई सिर्फ अंग्रेजों से ही तो नहीं लड़ी गई .कई और भी मोर्चे थे . फ़्रांस का उपनिवेश था तो पुर्तगाल का भी .इनसे भी संघर्ष हुआ .पुर्तगाली सैनिक भी दमन उत्पीडन में किसी से कम नहीं थे .यह गोवा का आगुदा फोर्ट है जो गोवा की आजादी की लड़ाई के समय जेल बना दिया गया था .कभी मौका मिले तो इस जेल को भी देखना चाहिए .वैसे तो उन सभी जेलों को देखना चाहिए जहां आजादी की लड़ाई लड़ने वाले सेनानी रहे हैं .इस जेल में गोवा की आजादी की लड़ाई लड़ने वाले लोग थे .यातना देने में पुर्तगाली भी कम नहीं थे .जिसका जिक्र कई पुस्तकों में भी मिलता है .ये सब आजादी की लड़ाई के वे स्मारक हैं जिन्हें नई पीढ़ी को देखना समझना चाहिए .खैर लड़ाई के अलावा जो महत्वपूर्ण योगदान इस किले का था वह पानी को लेकर था .दरअसल यह किला पुर्तगालियों ने डच और मराठा सैनिकों के हमले से बचने के लिए बनवाया था .
अगुआड़ा किला पुर्तगाली निर्माण और इंजीनियरिंग का एक नायाब स्मारक है. हालांकि इसके कुछ हिस्से समय के साथ नष्ट हो गए हैं लेकिन इसका अधिकांश हिस्सा बरकरार है . आज भी भारत में सबसे अच्छा संरक्षित पुर्तगाली किला माना जाता है .वर्ष 1609 से 1612 के बीच यह बना था . पुर्तगालियों को डच और मराठा हमले से बचाता भी रहा .
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