लोकतंत्र पर हमला शायद ऐसे ही समय के लिए कहा गया होगा जब लोकतांत्रिक रूप से चुनी हुई सरकार पर मुहर लगाने वाली आखिरी वोटिंग को रोकने के लिए हज़ारों की भीड़ हमला कर दे. हमला करने वाले रिपब्लिकन थे या नहीं पता नहीं लेकिन ट्रंप समर्थक ज़रूर थे जो ट्रंप के कहने पर ही एकजुट हुए और कैपिटल हिल पर चढ़ाई कर दी थी. घटना के तीन चार घंटों के बाद अब वाशिंगटन में कर्फ्यू है. तेरह लोग गिरफ्तार किए गए हैं.
रिपब्लिकन पार्टी के नेताओं ने कड़ी आलोचना की है ट्रंप की. वाशिंगटन के कैपिटल हिल के आसपास एफबीआई और नेशनल गार्ड की तैनाती हुई है जिसके लिए ट्रंप ने अनुमति नहीं दी थी बल्कि उपराष्ट्रपति माइक पेंस ने अनुमति दी है.
माइक पेंस पहले ही मान चुके हैं कि जो बाइडेन जीत गए हैं. ट्रंप ने फिलहाल कहा है अपने समर्थकों से कि वो ये दिन याद रखें.ज़रूरी है कि जो बाइडेन राष्ट्रपति बनते ही ट्रंप के खिलाफ राष्ट्रद्रोह का मामला दर्ज़ करें. फिलहाल सोचा ये भी जाना चाहिए कि अगर अफ्रीका या एशिया के किसी देश में ऐसा हुआ होता तो अब तक अमेरिका और यूएन का क्या रवैया होता. एक ट्रंप समर्थक नैन्सी पेलोसी के दफ्तर में घुसा हुआ है. पेलोसी के दफ्तर में बहुत तोड़फोड़ की गई है.यह तस्वीर भी कुछ महीने पहले के कैपिटल हिल की है जब ब्लैक लाइव्स मैटर वालों का प्रोटेस्ट था तो सेना तैनात थी. लेकिन आज जब गोरे लोग थे तो पुलिस तैनात थी जिसने गोली तक नहीं चलाई.
जे सुशील की टिपण्णी
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