मोहन भागवत के देशभक्त हिंदू !

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मोहन भागवत के देशभक्त हिंदू !

हिसाम सिद्दीक़ी 

आरएसएस चीफ मोहन भागवत ने कहा ‘हिन्दू तो कभी देशद्रोही हो ही नही सकता’.कुछ साल पहले उन्होने कहा था ‘हिन्दू हिंसक नहीं होता.’ वह चूंकि आरएसएस के चीफ हैं इसीलिए शायद उनकी जिम्मेदारी भी है कि वह आम हिन्दुओं की तारीफ करें.हिन्दू हिंसक नहीं होता या देशद्रोही नहीं होता, यह गारंटी कोई नहीं ले सकता.हां, यह जरूर मुमकिन है कि तकरीबन अस्सी करोड़ हिन्दुओं में ऐसे लोगांे की तादाद कम है लेकिन हैं ही नहीं यह नहीं हो सकता.मोहन भागवत के बयान के तीसरे दिन ही गाजियाबाद जिले के मुरादनगर में बने श्मशान घाट की मंे गैलरी की छत और गार्डर गिर गए जिसमें दब कर ढाई दर्जन से ज्यादा लोग मौत के मुंह में चले गए.मकामी लोगों और एडमिनिस्टेªशन दोनों ने बाद में एक ही बात कही कि जो छत और गार्डर के लिए पिलर बनाए गए थे वह जमीन के अंदर बुनियाद डालकर बनाए जाने के बजाए जमीन के ऊपर ही ईटें रखकर बना दिए गए.छत पिलर और गार्ड्र्स तीनों में ही घटिया सामान का इस्तेमाल किया गया.इस काम में ठेकेदार और सरकारी अफसरान सभी मिले हुए थे.क्या मोहन भागवत यह बात पूरे यकीन से कह सकते हैं कि श्मशान घाट में तामीर कराने वाला ठेकेदार और सरकारी अफसरान हिन्दू नहीं थे? या वह इतने बड़े जुर्म को देशद्रोह नहीं मानते.

हर साल होली, दीवाली और दूसरे त्यौहारों पर देश का एक बड़ा व्यापारी तबका हजारों करोड़ का नकली खोया और वाशिंग पाउडर से बना दूध आम लोगों केा खिलाता है.क्या मोहन भागवत ऐसे व्यापारियों को देशभक्त मानते हैं क्योंकि वह हिन्दू हैं.हिन्दुस्तान दुनिया का अकेला मुल्क है जहां सबसे ज्यादा नकली दवाएं बनती हैं और लोग इस जहर को खाते हैं.एक अंदाजे के मुताबिक हिन्दुस्तान में बिकने वाली दवाओं मंे तकरीबन तीन-चैथाई दवाएं नकली होती है.मोहन भागवत इन नकली दवा बनाने और बेचने वालों को भी देशभक्त मानते हैं और वह भी सिर्फ इसलिए कि इस किस्म का धंधा करने वाले लोग ही बीजेपी को सबसे ज्यादा चंदा देते है और एलक्शन में पार्टी को जिताने में मदद करते है.इसीलिए नकली दवाएं बेचने के बावजूद मोहन भागवत उन्हें देशभक्त मानते हैं.

नीरव मोदी और वजीर-ए-आजम नरेन्द्र मोदी जिस मेहुल चोकसी को ‘मेहुल भाई’ कह कर मुखातिब करते थे वह और उनके अलावा गुजरात के कम से कम पच्चीस लोग और यूबी ग्रुप के विजय माल्या जैसे लोग बैंकों का लाखों करोड़ रूपया लेकर विदेश भाग गए, क्या मोेहन भागवत की नजर में यह लोग हिन्दू नहीं हैं या इतनी बड़ी चोट लगाने के लिए उन्हंे देशभक्त कहा जाएगा.इस मजमून में हमने चंद लोगों का जिक्र किया है ऐसे देशभक्तों की तादाद एक-दो नहीं करोड़ों में है और भागवत साहब की जानकारी के लिए बता दूं कि यह जो करोड़ों लोग हैं उनमें अक्सरियत उन ‘देशभक्तों’ की है जो इत्तेफाक से भागवत के ही मानने वाले हैं.

मुंबई समेत देश के कई इंटरनेशनल एयरपोर्ट जिनकी कीमत लाखों करोड़ है वह सारे अहम एयरपोर्ट वजीर-ए-आजम नरेन्द्र मोदी ने अपने दोस्त गौतम अडानी को सौंप दिए.अडानी ने एक पैसा नहीं लगाया, सिर्फ एयरपोर्ट के बाहर अपना नाम लिखवा दिया और रोजाना करोड़ों की कमाई करने लगे.मोहन भागवत साहब खुद ही तय करें कि वजीर-ए-आजम नरेन्द्र मोदी का यह फैसला देश के फायदे में आता है या नुक्सान में और अगर नुक्सान में आता है तो यह फैसला करने और कराने वालों को वह किस जुमरे (श्रेणी) में रखेंगे.

हिन्दू देशद्रोही नहीं हो सकता हिन्दू हिंसक नहीं हो सकता इस बात की गारंटी कोई नहीं ले सकता.देश में रहने वाले हर समाज और हर तबके में अच्छे और बुरे दोनों तरह के लोग होते हैं कहीं अच्छों की तादाद ज्यादा होती है कहीं बुरे लोगों की.लेकिन किसी भी तबके में सारे लोग अच्छे और नेक होते हों यह तो मुमकिन ही नहीं है.मोहन भागवत तो सरकार के कंट्रोलर हैं जो मुंह में आता है बोल देते हैं.उन्होने कई साल पहले कहा था कि हिन्दू हिंसक नहीं हो सकता.अब उनसे कौन पूछे कि क्या धृतराष्ट्र और बाकी कौरव हिन्दू नहीं थे क्या वह अहिंसा के पुजारी थे.देश का सबसे पहला दहशतगर्द नाथूराम गोडसे क्या हिन्दू नहीं था, वह तो बहुत बड़ा हिन्दू था जिन गुण्डों ने छः दिसम्बर 1992 को अयोध्या में इकट्ठा होकर बाबरी मस्जिद तोड़ी थी वह कौन थे? और जो गुण्डे आज जय श्रीराम का नारा लगाकर मध्य प्रदेश में मस्जिदें तोड़ते फिर रहे हैं वह हिन्दू हंैं या नहीं हैं.इसलिए मोहन भागवत साहब को चाहिए कि बहुत सोच समझ कर बयान दिया करें.उनके इस तरह के बयान से समाज में अच्छाई नहीं बल्कि कशीदगी ही पैदा होती है.साभार जदीद मरकज़


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