जी ! हम बीमार गवर्नर नही है आडवाणी जी !

गोवा की आजादी में लोहिया का योगदान पत्रकारों पर हमले के खिलाफ पटना में नागरिक प्रतिवाद सीएम के पीछे सीबीआई ठाकुर का कुआं'पर बवाल रूकने का नाम नहीं ले रहा भाजपा ने बिधूड़ी का कद और बढ़ाया आखिर मोदी है, तो मुमकिन है बिधूड़ी की सदस्य्ता रद्द करने की मांग रमेश बिधूडी तो मोहरा है आरएसएस ने महिला आरक्षण विधेयक का दबाव डाला और रविशंकर , हर्षवर्धन हंस रहे थे संजय गांधी अस्पताल के चार सौ कर्मचारी बेरोजगार महिला आरक्षण को तत्काल लागू करने से कौन रोक रहा है? स्मृति ईरानी और सोनिया गांधी आमने-सामने देवभूमि में समाजवादी शंखनाद भाजपाई तो उत्पात की तैयारी में हैं . दीपंकर भट्टाचार्य घोषी का उद्घोष , न रहे कोई मदहोश! भाजपा हटाओ-देश बचाओ अभियान की गई समीक्षा आचार्य विनोबा भावे को याद किया स्कीम वर्करों का पहला राष्ट्रीय सम्मेलन संपन्न क्या सोच रहे हैं मोदी ?

जी ! हम बीमार गवर्नर नही है आडवाणी जी !

चंचल 

 वहां से शुरू करें -  '  दिनमान ' डूब चुका था .नए संपादक बने थे कन्हैया लाल नंदन .सुरेंद्र प्रताप सिंह दिल्ली आ गए थे या आने के जुगाड़ में थे .लेकिन  नमूदार दिल्ली थे  में  .चौथी दुनिया अपने उरूज़ पर था .संतोष भारतीय संपादक थे , जिम्मेदारी से इस रिसाले    को मकबूल करने में  जो लोग लगे थे उसमे सब एक से बढ़ कर एक थे .राम कृपाल , कमर वहीद नकवी , अजय चौधरी ( मरहूम ) धीरेंद्र अस्थाना , राजीव कटारा , अर्चना झा ,  आलोक पुराणिक , सुनीता , वगैरह .सुधेन्दु पटेल बाद में आये .इसी में यह खादिम भी जुड़ा रहा और जिम्मे था , मुख्तसर सा एक कालम था -  लंमरदार कहते भये ' / इस कालम में हमे छूट थी कि मनमाफिक लिखो .लिखा .जम कर लिखा .

   दिल्ली में उनदिनों पत्रकारों का ' राष्ट्रीय कार्यक्रम '  किन्ही वाजिब पत्रकार के घर पर ही आयोजित होता था .एक दिन की सांझ पत्रकार उदयन शर्मा के घर पर आयोजित थी .सुरेंद्र प्रताप , राम कृपाल , नकवी जी अक्षय उपाध्याय यह खादिम सब हाजिर .उस दिन मेजबानी मिली  थी राजीव शुक्ला को .इतने में तीन कांग्रेस के धुरंधर आ पहुचे .पंडित नारायण दत्त तिवारी , मुरली देवड़ा और तारिक अनवर .इनको देखते ही अक्षय उपाध्याय पर्दे के अंदर से ही चहके - वो  ssss !  आइये , न नर है न नारी है ,,,,, .जोर का ठहाका उठा और हसनेवालों में नारायण दत्त तिवारी जी सबसे ऊपर थे .फिर तिवारी जी बोले - कहाँ है समाजवादी ! चंचल भी हैं क्या ? हम बाहर निकले और पंडित जी प्रणाम किये .उन दिनों  अत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री थे नारायण दत्त तिवारी जी .हमारे बहुत  अच्छे रिश्ते रहे .वे वित्त मंत्रालय भी देखते थे.उन्होंने उत्तर प्रदेश का बजट पेश किया था , जिसपर हमने अपने मे लिखा था - 'उत्तर प्रदेश बजट : न नर है न नारी है , ये नारायण दत्त तिवारी है ।'  गो कि इस हेडिंग पर नकवी जी ने कहा था - चंचल जी ! इसमे कुछ तब्दीली आ सकती है ? हमने कहा बदला जा सकता है - उत्तर प्रदेश का बजट : गाय  गाभिन , बरधा भी गाभिन .राम कृपाल समेत जिसमे नकवी जी भी शामिल रहे जोर का ठहाका।लगा और पहली ही  हेडिंग ध्वनिमत से चौथी दुनिया मे चस्पा हो  गयी .वही मुख्यमंत्री सामने बैठे हैं .न कोई मलाल न 

रंज .तिवारी जी ने पूछा जौनपुर के क्या हाल हैं ? हमने कहा - कांग्रेस ने जौनपुर को सियासी नक़्शे से बाहर कर दिया .

    -  वो कैसे ?  

     - आपके  कैबिनेट में एक भी मंत्री जौनपुर से नही है 

     - कोई नाम बताओ जो होने के काबिल हों ? 

     - माता प्रसाद जी 

     - इधर तो ध्यान ही नही दिया .एक वायदा है मंत्रिमंडल  विस्तार में जिम्मेदार ओहदे पर होंगे माता प्रसाद जी .उनके साथ बहुत अन्याय होता रहा है .और माता प्रसाद जी मंत्री बने , इसका अर्थ यह मत लगाइए कि माता प्रसाद जी को चंचल ने मंत्री बनवाया .कांग्रेस को मंत्रमंडल बैलेंस करने के लिए एक पिछड़ी जाति को ऊपर लाना ही था सो माता प्रसाद जी को हरिजन होने का नीतिगत लाभ मिला और वे वित्त मंत्री बने .कालांतर में यही माता प्रसाद जी अरुणांचल प्रदेश के गवर्नर बने .

केंद्र से कांग्रेस की सरकार हटी और अटल जी सरकार के घरमंत्री बने आडवाणी जी  को जो  कई काम मिला ,  एक काम था , कांग्रेस के बनाये  राज्यपालों  को वापस बुलाने का .गिरोही आदत और चरित्र के अनुसार आडवाणी जी ने माता प्रसाद जी को फोन कर कहा कि आप स्वास्थ्य का बहाना बना कर इस्तीफा दे  दीजिए . माता प्रसाद जी का क्या जवाब था  - सबसे ऊपर  लिख दिया है पढ़ लें .ये रहे माता प्रसाद जी .हटते हटते गिरोह को उघार कर आये - 

      'हम बीमार गवर्नर नही हैं आडवाणी जी !  हमारा स्वास्थ्य ठीक है .धन्यवाद .' 

उस समय के  'आज तक ' ब्रेकिंग न्यूज .

    कल् शाम,  माता प्रसाद जी का स्वास्थ्य ही साथ छोड़  गया .

       अलविदा माता प्रसाद जी


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