आलोक कुमार
पटना.बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार जी कभी पत्रकारों को कहते हैं कि आपका सवाल सही नहीं है! अनुपयुक्त है! अब सोशल मीडिया पर आवाज़ बुलंद करने वालों के आवाज़ को दबाने के लिए तुगलकी फरमान जारी कर दिये हैं.यानी जो बातें नीतीश जी को पसंद है,उसी तरह की बातें बिहार के लोग किया करें.
नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव ने कहा है कि 60 घोटालों के सृजनकर्ता नीतीश कुमार भ्रष्टाचार हैं.वे भीष्म पितामह, दुर्दांत अपराधियों के संरक्षकर्ता, अनैतिक और अवैध सरकार के कमजोर मुखिया हैं. बिहार पुलिस शराब बेचती है. अपराधियों को बचाती है निर्दोषों को फँसाती है.कहते हैं कि मैं को चुनौती देता हूँ- अब करो इस आदेश के तहत मुझे गिरफ़्तार.
डॉ.बालेंद्र कुमार यादव कहते हैं कि माननीय नेता प्रतिपक्ष श्री तेजस्वी यादव जी आप अकेले गिरफ्तारी नहीं देंगे,आपके साथ पूरा बिहार गिरफ्तारी देने के लिए खड़ा है.यह देश लोकतांत्रिक परंपरा के अनुसार संविधान से चलेगा ना कि सरकार के तुगलकी फरमान से चलेगा.जदयू के नेता डॉ.अजय आलोक कहते हैं कि उम्र में छोटे हो इसलिए एक सलाह दे रहा हूँ “ सरकार की चुनौती नहीं देते हैं और साँड़ को लाल कपड़ा नहीं दिखाते “ अपना नुक़सान होता हैं , भ्रष्टाचार के भीष्म पितामह और अपराधियों के संरक्षक होतवार जेल में बंद हैं और दुर्योधन हो के आप ज्ञान बाँट रहे हैं.
राज प्रकाश कहते हैं कि अजय आलोक जी क्या बच्चा जैसा टिप्पणी कर रहे आप, 2015 के पहले तक ही न लालू जी भ्रष्टाचार और अपराध के पितामह थे, 15 में तो गंगा नहा ही लिए थे, और 2016 तो वो पूरा गंगा में डुबकी ही लगाकर बिता दिए, उसके बाद भी आप लोग जो मन मे आता है बोल देते है.
इर्शादुल हक कहते हैं कि छोटा भाई कहते हैं,सरकार को चुनौती नहीं देते और सांढ़ को लाल कपड़ा नहीं दिखाते'.मैं कहता हूँ लोकतंत्र में यही होता है, होता रहेगा.चुनौती देने का मौलिक अधिकार और सांढ़ को लाल और काला कपड़ा दोनों दिखाना जरूरी है.काला कपड़ा दिखाने का अनुभव नियोजित शिक्षकों को खूब है.
महागठबंधन में पुरजोर इसका विरोध किया जा रहा है.राजद नेता तेजस्वी यादव के बाद अब कांग्रेस नेता प्रेमचंद्र मिश्रा ने कहा है कि तत्काल सरकार को यह पत्र वापस लेना होगा क्योंकि सबसे ज्यादा अगर कोई सोशल मीडिया पर भड़काऊ खबरें फैल आती है तो वह है एनडीए की सरकार में उन्होंने कई नेताओं के नाम ही लिए हैं उन्होंने ने कहा है कि सबसे पहले नीरज कुमार सुशील कुमार मोदी और गिरिराज सिंह पर कार्रवाई करनी चाहिए जो आए दिन कमेंट करते हैं चाहे वह कांग्रेस की हो या आरजेडी की सबसे पहले सरकार उन पर कार्रवाई करें अगर ऐसा नहीं करती है तो यह पत्र वापस लेना होगा यह सरकार डरी हुई है और अपनी नाकामी को छुपाना चाहती है.
भाकपा-माले राज्य सचिव कुणाल ने कहा है कि बिहार सरकार की ओर से मीडिया/इंटरनेट के माध्यम से सरकार, मंत्रीगण, सांसद, विधायक एवं सरकारी पदाधिकारियों के संबंध में आपत्तिजनक/अभद्र एवं भ्रांतिपूर्ण टिप्पणियों पर रोक लगाने के लिए लाया गया नया आदेश दरअसल सोशल मीडिया की स्वतंत्रता को खत्म कर देने की साजिश है.
आगे कहा कि आज बिहार में अपराध व अन्याय एक बार फिर से बढ़ रहा है. भाजपा-जदयू की सरकार द्वारा चुनाव में जो 19 लाख रोजगार के वादे किए गए थे, उसे युवाओं को प्रदान करने की बजाए सरकार अभ्यर्थियों-बेरोजगारों पर लाठियां चला रही है. बिहार की जनता न्यायपसंद व जिम्मेवार शासन की उम्मीद कर रही है, लेकिन भाजपा-जदयू की सरकार उनकी अभिव्यक्ति की आजादी को कुचलने का काम कर रही है.
उन्होंने कहा कि बिहार सरकार का यह आदेश जगन्नाथ मिश्रा के दौर के कुख्यात 1982 के प्रेस बिल की याद दिला रहा है. जिसके खिलाफ न केवल पत्रकार समुदाय बल्कि बिहार के ग्रामीणा गरीबों के साथ-साथ जनवादी-लोकतांत्रिक जमात के बड़े हिस्से ने ऐतिहासिक प्रतिवाद दर्ज किया था और सरकार को काला कानून वापस लेने के लिए मजबूर होना पड़ा था. नीतीश कुमार का यह नया आदेश उसी तरह का आदेश है.
हमारी मांग है कि सरकार अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का हन बंद करे, आदेश को तत्काल वापस ले और सोशल मीडिया की स्वतंत्रता बहाल करे.
बिहार में सोशल मीडिया पर मंत्री, सांसद, विधायक, अधिकारी और कर्मचारी के साथ किसी अन्य व्यक्ति के खिलाफ अनाप-शनाप टिप्पणी पर अब कानूनी कार्रवाई होगी.प्रतिष्ठा हनन या छवि धूमिल करने के आरोप में आईटी एक्ट की धाराओं के तहत मामला दर्ज होगा और जांच की जाएगी.आर्थिक अपराध इकाई ने बिहार के सभी विभागों के प्रधान सचिव व सचिव को पत्र लिखकर ऐसे किसी पोस्ट की शिकायत करने को कहा है.आर्थिक अपराध ईकाई के इस पत्र के बाद बिहार में बवाल मच गया है. विपक्षी दलों ने इस आदेश को तुगलकी फरमान बताया है सरकार पर आवाज दबाने की कोशिश करने का आरोप लगाया है.
सरकार की तरफ से सफाई
विपक्ष के हमलावर रूख के बाद सरकार की तरफ से सफाई आ गई है.ईओयू जिसकी तरफ से इस संबंध में आदेश जारी किया गया उसके ADG सफाई में आगे आये हैं.उन्होंने कहा है कि आर्थिक अपराध इकाई की तरफ से जो पत्र जारी की गई है वह सिर्फ जानकारी देने के लिए भेजा गया है. अगर मामला बनेगा तब ही कार्रवाई होगी. ADG नैयर हसनैन खान ने बताया कि विभाग के अधिकारी नोडल एजेंसी को अप्रोच कर सकते हैं.कानून सम्मत कार्रवाई उन्ही मामलों में होगी जो संज्ञेय अपराध की श्रेणी में आते हैं. इसके अलावे किसी दूसरे मामले में कोई एक्शन नहीं होगा.
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