आलोक कुमार
पटना.महासचिव, भाकपा-माले के दीपंकर भट्टाचार्य ने किसान आन्दोलन पर दमन के लिए मोदी राज की भर्त्सना की है.उन्होंने कहा कि 26 जनवरी को देश के सभी कोने -कोने से आये लाखाें किसानों ने अश्रु गैस के गोले, पुलिसिया लाठीचार्ज समेत भारी दमन के बीच अपने ट्रैक्टरों पर सवार हो शान से तिरंगा लहराते हुए सड़कों पर आ भारत गणराज्य की लोकतांत्रिक भावना का उत्सव मनाया है. इस हिम्मत और दृढ़ निश्चय के लिए देश के किसान बधाई के पात्र हैं. हम पुलिस दमन की भर्त्सना करते हैं जिसमें एक किसान की जान चली गई.
महासचिव, भाकपा-माले के दीपंकर भट्टाचार्य ने कहा कि बैनर और तिरंगे से सजे दसियों हजार ट्रैक्टरों ने दिल्ली की सड़कों पर मार्च किया. जहां तक नजर जाती किसानों की परेड ही दिखाई दे रही थी जिसका दिल्ली के नागरिकों ने सड़कों के दोनों ओर खड़े होकर स्वागत किया, जगह-जगह उनके लिए पानी और स्वल्पाहार आदि की व्यवस्था की, उनके ऊपर फूलों की बरसात की. यह खूबसूरत छवि दिल्ली वासियों के हृदय में अनन्त काल के लिए दर्ज हो चुकी है.
इस शानदार तस्वीर को कुछ छिटपुट घटनाओं से खराब करने की कोशिश की है, जिसके लिए प्राथमिक रूप से मोदी सरकार का अड़ियल रूख और किसानों पर किया गया पुलिस दमन जिम्मेदार हैं. कड़ाके की ठण्ड में मोदी सरकार ने किसानों को दो महीनों से दिल्ली के बाॅर्डर पर कैम्प करने को मजबूर कर दिया है जिसमें अब तक 70 से ज्यादा किसानों की मौतें हो चुकी हैं. फिर भी इस आन्दोलन ने, यदा-कदा व्यग्रता में हुई कुछ घटनाओं के बावजूद, अभूतपूर्व रूप से धीरज और संयम से काम लिया है.
मोदी सरकार व प्रशासन को मनगढ़ंत विमर्ष गढ़ कर किसानों को दोषी बताने की इजाजत हरगिज नहीं दी जा सकती. तीन कृषि कानूनों को रद्द करने की मांग से जनता का ध्यान भटकाने की इस साजिश को कामयाब नहीं होने दिया जा सकता। हमारी किसानों से अपील है कि वे बिना किसी उकसावे और ध्यान बंटाने की चाजबाजी में फंसे अपने आन्दोलन को पूर्ववत जारी रखें. इस न्याय संगत आन्दोलन के लिए हमारा पूरा समर्थन व सहयोग रहेगा. किसानों का यह प्रतिरोध आन्दोलन हमारे संविधान, हमारे लोकतंत्र की अवधारणा और जन अधिकारों की रक्षा के लिए भारतीय जनता के संघर्ष की आधारशिला बन गया है. अपनी शुभेच्छाओं, उम्मीदों और एकजुटता के साथ हमें इस आन्दोलन का समर्थन करना चाहिए.
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