बेग़म अख़्तर की मज़ार पर

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बेग़म अख़्तर की मज़ार पर

डा शारिक़ अहमद ख़ान

एै मोहब्बत तेरे अंजाम पे रोना आया'--आज अपनी पसंदीदा गायिका मल्लिका-ए-ग़ज़ल बेग़म अख़्तर की मज़ार पर जाकर गुलपोशी करने की ठानी थी.लिहाज़ा आज शाम लखनऊ के ठाकुरगंज के पसंदबाग़ में अपनी आख़िरी आरामगाह में कयाम कर रहीं बेग़म अख़्तर की मज़ार पर गुलपोशी करने के लिए एक डॉक्टर साहिबा के साथ उनके वाहन से निकले,डॉक्टर साहिबा मेरी दोस्त भी हैं.सबसे पहले गुलाब के फूल शाहमीना मज़ार केजीएमयू के सामने की एक फूलों की दुकान से लिए और बढ़े तो हम लोग बालागंज चौक से आगे निकल गए.बेग़म अख़्तर की मज़ार वाला साइनबोर्ड हम देखते जा रहे थे जो दिखा ही नहीं.हम भूल गए कि किधर मज़ार थी.जबकि एक बार पांच बरस पहले भी गए थे,जब हम लोग एरा मेडिकल कॉलेज पहुंचे तो हमने कहा कि अब गाड़ी रोकिए,इसके आगे मज़ार नहीं है,पीछे ही छूट गई,कई लोगों से पसंदबाग़ के बारे में पूछा भी लेकिन कोई बता नहीं पाया.

अब हमने कहा कि हम अंदाज़े से पता करेंगे,बैक कर गाड़ी धीरे-धीरे बढ़ाइये,अब लक्ष्मीबाई चौक से भी आगे आए,तभी हमें एक गली को देख ऐसा लगा कि यही बेग़म अख़्तर की मज़ार वाली गली है,लेकिन गली के ऊपर लगा साइनबोर्ड अब मौजूद नहीं था,कई लोगों से पूछा कि बेग़म अख़्तर की मज़ार पर क्या यही गली जाती है लेकिन कोई बता नहीं पा रहा था,तब एक युवा क़साई जो बकरा काट रहा था उसने बताया कि हाँ एक मज़ार तो है अंदर,बेग़म हज़रतमहल आपने बताया,हमने कहा नहीं,बेग़म अख़्तर,कसाई ने कहा हाँ-हाँ वही नाम है.यही सामने की गली है,अब हम लोग ठाकुरगंज की उस गली के मुहाने पर पहुंचे जहाँ से बेग़म अख़्तर की मज़ार को रास्ता जाता है.

गली तंग थी और डॉक्टर साहिबा की कार ज़रा चौड़ी,ऐसे में गली में कार ले जा पाना संभव नहीं था,मुख्य मार्ग से बेग़म अख़्तर की मज़ार ज़रा दूर भी है,ऐसे में पैदल चलना भी मुनासिब नहीं था,लिहाज़ा डॉक्टर साहिबा ने अपने एक कर्मचारी को बाइक लाने के लिए फ़ोन किया,कर्मचारी थोड़ी देर में बुलेट बाइक लेकर आ गया,डॉक्टर साहिबा ने हमसे कहा कि आप चलाइये,हमने कहा मेरा मूड नहीं है,आप चलाएं,हम पीछे बैठेंगे,अब हम लोग बाइक से चले,तंग गलियाँ एक-दूसरे से जुड़ी हुईं थीं और उसमें इतने कट थे कि कई लोगों से रास्ता पूछने के बाद भी हम लोग भटक गए,पहले दूसरी गली में चले गए,वापस हुए तो बेग़म अख़्तर वाली गली में पहुंचे. लेकिन मज़ार से आगे निकल गए,लौटकर वापस आए तो पता चला कि इस गली की भी एक गली में बेग़म अख़्तर की मज़ार है,अब आख़िर में बेग़म अख़्तर की मज़ार पर पहुँच ही गए.मज़ार के परिसर में एक वृद्धा बैठकर आग ताप रहीं थीं.वजह कि आज लखनऊ में सर्दी काफ़ी है,बगल के घर से एक बच्ची ने हम लोगों को देखा तो अपने घर में चिल्लाती भागी कि कोई आया है.तभी एक अधेड़ महिला उस घर से निकलीं और आकर हम लोगों से कहा कि आप लोग अंदर आएं,हम लोग पहुंचे तो महिला ने बताया कि मेरा नाम चंदा है,मैं मज़ार की केयरटेकर हूँ,ये बच्ची मेरी बेटी है और जो वृद्धा बैठी हैं वो मेरी सास हैं.हमें सनतकदा संस्था की मैडम ने यहाँ रखा है.वही तनख़्वाह देती हैं.हमने कहा अच्छा वो जो सिल्क फ़ेस्टिवल लगाती हैं.चंदा जी ने बताया हाँ वही मैडम,उन्हीं की संस्था ने क़रीब सात बरस पहले बेग़म अख़्तर की मज़ार का रेनोवेशन कराया,वरना मज़ार के नाम पर कच्ची मज़ार थी और झाड़ी यहाँ पर थी.हमने कहा हाँ हमें मालूम है.जब मज़ार बनी तो हम कुछ समय बाद यहाँ आए थे.अब मज़ार पर गुलपोशी की गई,फूलों को बेग़म अख़्तर की मज़ार पर समर्पित कर हमने अपनी पसंदीदा ग़ज़ल गायिका और मल्लिका-ए-ग़ज़ल बेग़म अख़्तर का जादुई आवाज़ रूपी तोहफ़ा दुनिया को देने के लिए आभार प्रकट किया.बेग़म अख़्तर की मज़ार के बगल में उनकी माँ मुश्तरी साहिबा की भी मज़ार है.उस मज़ार पर भी फूल रखे.

मुश्तरी साहिबा ने ही बेग़म अख़्तर को जन्म दिया था,वो भी फूलों की हक़दार थीं.जब मज़ार से निकलने लगे तो हमने पूछा कि क्या यहाँ कोई दान पेटिका है,हम मज़ार के रखरखाव के लिए कुछ चंदा देना चाहते हैं,चंदा जी ने बताया कि दानपेटिका नहीं है,हमने कहा कि तब आप ही रख लीजिए,ये कहते हुए हमने कुछ पैसे निकाले,चंदा जी ने कहा कि साहब ये आप क्या कर रहे हैं,हम नहीं ले सकते,आप सीधे संस्था जाकर मैडम को चंदा दे दीजिए,हमने कहा अब हम वहाँ चंदा देने नहीं जा रहे,फिर हम भूल जाएंगे,ये कहते हुए हमने पैसे चंदा जी की सास की तरफ़ बढ़ा दिए,उन्होंने कहा कि ठीक है,आपकी ख़ुशी इसमें है तो हम ले लेते हैं,उन्होंने पैसे ले लिए.हमने कहा कि अपनी मैडम से कहिएगा कि मेन रोड पर फिर से साइनबोर्ड लगवाएं,ताकि कोई भटके नहीं और आसानी से बेग़म अख़्तर की मज़ार तक आ सके,चंदा जी ने कहा कि आप ये काग़ज़ पर लिख दीजिए,हमने कहा हम कभी मिलने पर कह देंगे.ख़ैर,बेग़म अख़्तर के बारे में सबको मालूम है लिहाज़ा हम इस लेख में उनका जीवन परिचय नहीं दे रहे.आप लोग बेग़म अख़्तर को यूट्यूब पर सुन सकते हैं.

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