नई दिल्ली .दिल्ली में पत्रकार मनदीप पुनिया कई घंटे लापता हैं.उनके आलावा एक और पत्रकार धर्मेंद्र सिंह का भी पता नहीं चल रहा हैं . एक पर आईपीसी की धारा 186, 332, 353 में एफआइआर की पुष्ट सूचना है. अंतरराष्ट्रीय एजेंसी कमेटी टु प्रोटेक्ट जर्नलिस्ट्स (सीपीजे) ने देर रात अलर्ट जारी किया है.
पत्रकार मुरारी त्रिपाठी ने लिखा है ,मेरे क्लासमेट और एक बेहतरीन पत्रकार मनदीप पुनिया को दिल्ली पुलिस ने उठा लिया है. शाम को करीब सात बजे. मनदीप ने आज ही एक फेसबुक लाइव किया था. जिसमें उसने कल सिंघु बॉर्डर पर किसानों के ऊपर पत्थरबाजी करने वाले उपद्रवियों और दिल्ली पुलिस के गठजोड़ का खुलासा किया था. उसने फैक्ट्स और फोटोज के माध्यम से बताया कि कैसे दिल्ली पुलिस ने उपद्रवियों की मदद की और वे उपद्रवी असल में बीजेपी के नेता और कार्यकर्ता थे, जो खुद को स्थानीय बता रहे थे.
इससे पहले भी मनदीप लगातार किसान आंदोलन की रिपोर्टिंग कर रहा था. उसकी रिपोर्ट्स जनपथ और कारवां में छपीं। इन रिपोर्ट्स में सरकारी मशीनरी और मेनस्ट्रीम मीडिया के प्रोपगैंडा से इतर जमीनी हकीकत का काउंटर नैरेटिव है. यह जानकारी मिली है कि पुलिस मनदीप को एक वीडियो बनाने के आरोप में उठाकर ले गई. ऐसा कहा जा रहा है कि उसके साथ मारपीट भी की गई .
पत्रकार श्याम मीरा सिंह ने पोस्ट में लिखा है मनदीप पूनिया एक फ्रीलांस पत्रकार है, उसने साल 2017-18 में IIMC (Indian Institute of mass communication) से पढ़ाई की. साल 2018 में मनदीप IIMC प्रशासन के खिलाफ 'हॉस्टल' की मांग को लेकर भूख हड़ताल पर बैठे थे. तीन दिन तक चली उस भूख हड़ताल के बाद प्रशासन को पीछे हटना पड़ा और आने वाले बैच के लिए होस्टल देना पड़ा. आज उस हॉस्टल में 42 बच्चों को रहने के लिए जगह मिलती है. चूंकि मैं भी उनके साथ पढ़ा हूँ. हम दोनों क्लासमेट थे. मनदीप को मैं बहुत नजदीक से जानता हूँ. उसे पैसों का मोह नहीं है, IIMC से पढ़ने के बाद मनदीप ने बहुत जगह जॉब नहीं देखीं, उसने मीडिया में चुनिंदा जगहों को ही अपने काम के लायक समझा. वह मीडिया से निराश था ही कि
इसी बीच उसके पिता दुनिया छोड़कर चले गए, मीडिया की हालत देखकर मनदीप अपने गांव लौट गया और वहां जाकर खेती करने लगा. लेकिन खेती सिर्फ इसलिए की ताकि पेट भरता रहे और और जहां-तहां आंदोलनों की रिपोर्ट करने के लिए आने-जाने का किराया आ जाया करे. मनदीप ने खेती की लेकिन मीडिया नहीं छोड़ी, उसने उन ऑनलाइन पोर्टलों के लिए कम पैसों में लिखा जो जन पत्रकारिता कर रहे हैं. जो हर अत्याचार के खिलाफ मुखर होकर बोलते हैं. मनदीप ने अंग्रेजी की प्रतिष्टित मैगज़ीन 'CARAVAN' के लिए भी एक से एक संवेदनशील रिपोर्ट लिखी, जिसमें छपना न जाने कितनों का सपना होता है. लेकिन बीते दो महीनों से वो केवल और केवल किसानों के मुद्दों पर लिख रहा है. वह आमतौर पर किसान आंदोलनों के टैंटों में ही सोता, वहीं खाता. और वहीं से किसानों पर हो रहे सरकारी अत्याचार के बारे में पल-पल की अपडेट देता रहा. कल भाजपा के गुंडे 'स्थानीय लोगों' के भेष में किसानों पर पत्थर बरसाने पहुंचे. मनदीप उस वक्त मंच के पास ही मौजूद था. चूंकि वह वहीं हरियाणा का ही रहने वाला है इसलिए आसपास के नेताओं, विधायकों, उनके चमचों और गुंडों को पहचानता है. कल भी उसने भाजपा के गुंडों को पहचान लिया. आज सुबह उसने फेसबुक पर लाइव करके उन सबके नाम ले लेकर उन्हें एक्सपोज किया और ये भी बताया कि वे भाजपा में किस पद पर हैं. स्वभाविक है जिन-जिन भाजपा नेताओं और गुंडों के नाम लिए गए मनदीप उनके निशाने पर आ गया. मनदीप ने ये भी खुलासा किया कि उसने अपनी आँखों से देखा कि किस तरह पुलिस खड़े होकर भाजपा के गुंडों से निहत्थे किसानों पर पत्थर बरसा रही है. मनदीप ने ये सब बाकायदा सबूतों, फोटो और विडियो के आधार पर एक्सपोज किया. स्वभाविक है मनदीप पुलिस के भी टारगेट पर आ गया था. सुबह मनदीप ने विडियो बनाई और आज शाम को पुलिस ने सिंघु बॉर्डर से मनदीप को अरेस्ट कर लिया. और अभी तक ये नहीं पता है कि पुलिस उसे कहाँ ले गई है. पुलिस उसके बारे में कोई जानकारी नहीं दे रही है. जिस जगह से उसे गिरफ्तार किया गया है. वहां के आसपास के दोनों थानों पर दबाव बना लिया, लेकिन पुलिस मनदीप का पता नहीं बता रही . उसके साथ क्या किया जा रहा है हमें कुछ भी नहीं पता है.
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