सतीश जायसवाल
किन्हीं मौसमी पंछियों की तरह, गोवा के समुद्र तट लोग भी यहां आते हैं और धूप के मौसम में देह का उत्सव मनाते हैं. यूरोप की तरफ से आने वाले इन लोगों में रूस की तरफ के लोग अधिक होते हैं. इनके पास धूप कम और देह प्रचुर होती है. धूप के मौसम में यहां आकर ये लोग देह का उत्सव मनाते हैं.
यहां से वापस जाते हैं तो अपने साथ धूप ले जाते हैं और यहां देह-ताप छोड़ जाते हैं.कलंगूट का समुद्र तट इनके आने का रास्ता देखा करता है. रास्ता देखता हुआ समुद्र तट पहले नारियल और सुपाड़ी के घने हरे पेड़ों और झुरमुटों की ओट से झांकता है. फिर अपने विस्तार में खुलता है. तब धूप में देह घुलती हैं और आंखों में अतृप्तियां..
फ्ली मार्केट
उस भयानक रूपवती ने मुझे डांटा..
हाथ-कारीगरी के रंग-बिरंगे कपड़ों की अपनी दुकान सजाकर बाजार में बैठी हुई वह औरत अपने पर इतने सारे कपड़े डाले हुई थी कि खुद ही एक दुकान नज़र आ रही थी. वहां ठहर कर उसे देखना, फिर उसकी फोटो उतार लेना मेरे लिए एक सहज कुतूहल ही था. लेकिन उसने मुझे जोर से डांटा -- फोटो क्यों उतार रहा है ?"
मुझे डर लगा कि कहीं यह पुरानी कहानियों से निकल कर गोआ के इस फ्ली मार्किट में चली आयी कोई.दुष्ट जादूगरनी तो नहीं ? यहां अपना रूप बदलकर आयी है और दुकान पर बैठी हुई है ! यह सचमुच, एक डरावनी बात थी.गोआ में आने वाले पर्यटकों के लिए अंजुना का फ्ली मार्किट देसी सामानों की खरीदारी की एक पसंदीदा जगह है. यहां ग्राहकों में देसी कम विदेशी पर्यटक अधिक होते हैं.
एक तरह से यह अंतरराष्ट्रीय ग्राहकों का बाजार है.हफ्ते में एक दिन, बुधवार को भरने वाला यह बाजार एक छोटा-मोटा मेला ही है. ऐसा ही एक और बाजार रास्ते में दिखा. शनिवार का वह बाजार रात में भरता है--
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