आलोक कुमार
पटना.सुप्रीम कोर्ट ने पिछले कुछ सालों में लगातार लोकतंत्र में विरोध के अधिकार को लेकर अपनी राय जाहिर कर चुका है. पिछले साल भी दिसंबर के समय जब जंतर-मंतर के बाहर धरना - विरोध प्रदर्शन पर प्रतिबंध लगा दिया गया था, तब भी सुप्रीम कोर्ट ने उसे उठा लिया था. तब कोर्ट ने कहा था कि नागरिकों के सभा करने और विरोध करने के अधिकार पर पूरी तरह बंदिश नहीं लगाई जा सकती है.
विरोध करने का अधिकार संविधान के तहत हमारे मूलभूत अधिकारों में शामिल होता है लेकिन इसके साथ शर्त ये भी है कि शांतिपूर्ण हो और इससे आमलोगों और सरकारी मशीनरी के कामकाज में बाधा नहीं आए.इसके आलोक में बिहार के डीजीपी एस के सिंघल ने अपने अधीनस्थ पुलिस अधिकारियों को लंबा पत्र लिख कर चरित्र प्रमाण पत्र जारी करने का दिशा निर्देश दिया है. उस पत्र में मोटे अक्षरों में लिखे गये इस पाराग्राफ को पढ़िये “यदि कोई व्यक्ति विधि-व्यवस्था की स्थिति, विरोध प्रदर्शन, सड़क जाम, इत्यादि मामलों में संलिप्त होकर किसी आपराधिक कृत्य में शामिल होता है और उसे इस कार्य के लिए पुलिस द्वारा आरोप पत्रित किया जाता है तो उनके संबंध में चरित्र सत्यापन प्रतिवेदन में विशिष्ट एवं स्पष्ट रूप से प्रविष्टि की जाये. ऐसे व्यक्तियों को गंभीर परिणामों के लिए तैयार रहना होगा क्योंकि उन्हें सरकारी नौकरी/ठेके आदि नहीं मिल पायेंगे.”
इसको लेकर नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव ने कहा कि मुसोलिनी और हिटलर को चुनौती दे रहे नीतीश कुमार कहते है अगर किसी ने सत्ता व्यवस्था के विरुद्ध धरना-प्रदर्शन कर अपने लोकतांत्रिक अधिकार का प्रयोग किया तो आपको नौकरी नहीं मिलेगी.मतलब नौकरी भी नहीं देंगे और विरोध भी प्रकट नहीं करने देंगे.बेचारे 40सीट के मुख्यमंत्री कितने डर रहे है?
बिहार के डीजीपी एस के सिंघल ने पुलिस सत्यापन प्रतिवेदन तैयार करने के लिए संबंधित थाना द्वारा सभी अभिलेखों यथा अपराध अनुक्रमणी भाग-2 अल्फाबेटिकल पंजी,प्राथमिकी,आरोपपत्र एंव अन्य सभी आवश्यक अभिलेखों का अध्ययन किया जायेगा.किसी भी परिस्थिति में इसमें चूक नहीं होनी चाहिए.पुलिस सत्यापन प्रतिवेदन पूर्ण और सही-सही हो,यह संबंधित थानाध्यक्ष की व्यक्तिगत जिम्मेवारी होगी.
उल्लेखनीय है कि इन दिनों जेपी आंदोलन से निकले मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को विरोध प्रदर्शन और आलोचना पसंद नहीं है.जो तुमको हो पसंद, वही बात करेंगे,तुम दिन को अगर रात कहो, रात कहेंगे..ऐसा न करने पर सोशल मीडिया को नियंत्रित करना चाह रहे थे.काफी विरोध करने पर कभी लोकनायक जयप्रकाश नारायण के साथ सड़कों पर निकलकर धरना-प्रदर्शन कर सरकारी नीतियों का विरोध करने वाले बैकफुट पर आए थे.वैसे अब भी उन्हें पसंद नहीं है.इसलिए पहले सोशल मीडिया पर सरकार के विरोध में लिखने पर नकेल कसी गई थी और अब विरोध प्रदर्शनों पर. बिहार में अब अगर किसी ने सरकार विरोधी प्रदर्शन किया या सड़क जाम किया तो उसे सरकारी नौकरी नहीं मिलेगी. कोई ठेका-पट्टा भी नहीं मिलेगा.नीतीश सरकार के आदेश पर डीजीपी एसके सिंघल ने मंगलवार को ऐसा फरमान जारी कर दिया है.इस आदेश के मुताबिक राज्य में अब नौकरी या ठेकेदारी उसी को मिलेगी, जिसे पुलिस ने अच्छा चरित्र प्रमाण दिया होगा.
गौरतलब है कि सरकार ने 25 जनवरी को एक आदेश जारी कर ठेकेदारों के लिए चरित्र प्रमाणपत्र जरूरी कर दिया था. कहा गया था कि सरकारी ठेके उन्हीं को मिलेगा, जिनका चरित्र स्वच्छ हो. यह प्रमाणपत्र पुलिस जारी करेगी.मंगलवार को जारी पत्र में डीजीपी ने उस आदेश को आगे बढ़ाते हुए प्रमाणपत्र की व्याख्या की है. इसमें उन्होंने कहा कि चरित्र प्रमाणपत्र की जरूरत जिन कामों में पड़ेगी, उनमें सरकार के कामों में ठेकेदारी, किसी भी तरह की सरकारी नौकरी (ठेके पर या स्थायी), आर्म्स लाइसेंस, पासपोर्ट, पेट्रोल पंप-गैस एजेंसी, एनजीओ में पद लेकर सरकारी सहायता के लिए और बैंक या सहकारी संस्था से लोन शामिल हैं.
1.चरित्र प्रमाणपत्र में सिर्फ संज्ञेय अपराध में संलिप्तता और उस मामले में पुलिस या कोर्ट द्वारा की गई कार्रवाई.
अगर संबंधित का नाम किसी एफईआर में प्राथमिकी या अप्राथमिकी अभियुक्त के तौर पर है या उसके खिलाफ चार्जशीट दाखिल हो चुकी है या कोर्ट ने उसे दोषी करार कर दिया है तो चरित्र प्रमाणपत्र में उसका उल्लेख अनिवार्य है.
अगर किसी मामले में कोर्ट ने आरोपी को रिहा कर दिया है या पुलिस जांच में निर्दोष निकला है तो उस मामले का जिक्र नहीं होगा.चरित्र प्रमाणपत्र जारी करने की जिम्मेदारी व्यक्तिगत तौर पर थानेदार की होगी.थानेदार अपनी रिपोर्ट अंचल निरीक्षक, एसडीपीओ को सौपेंगे.तब वह एसपी के पास जाएगी.अगर किसी का निवास स्थान एक से ज्यादा जिलों में हो तो वैसे तमाम जिलों में छानबीन होगी.प्रमाणपत्र जारी करने से पहले जेल का डाटा भी देखा जाएगा.
इस पूरी प्रक्रिया में लगने वाले समय का अंदाजा शायद डीजीपी को भी है.इसीलिए पत्र में कहा है कि बिहार लोक सेवा के अधिकार कानून के तहत तय समय सीमा में पुलिस कैरेक्टर सर्टिफिकेट जारी कर देगी.
ठीकेदार वैसे अंचल में निविदा दाखिल करने के हकदार नहीं होंगे जिसमे उनके नजदीकी सम्बन्धी प्रमंडलीय लेखापाल या कनीय अभियंता से अन्यून पंक्ति के पदाधिकारी के रूप में कार्यरत है .किसी ठीकेदार द्वारा इस शर्त का उल्लंघन सूची से नाम हटाने के लिए पर्याप्त होगा.
नजदीकी संबंधी पद से अभिप्रेत है पति/पत्नी/माता/पिता/भाई अथवा बहन.मैं/हमलोग प्रमाणित करता हूँ / करते हैं की मेरा /हमलोगों का /के नाम ठीकेदार/ठीकेदारों के रूप में विभाग में अभी किसी वर्ग में निबंधित नहीं है.
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