इतना लंबा मार्च इतिहास में नही है

गोवा की आजादी में लोहिया का योगदान पत्रकारों पर हमले के खिलाफ पटना में नागरिक प्रतिवाद सीएम के पीछे सीबीआई ठाकुर का कुआं'पर बवाल रूकने का नाम नहीं ले रहा भाजपा ने बिधूड़ी का कद और बढ़ाया आखिर मोदी है, तो मुमकिन है बिधूड़ी की सदस्य्ता रद्द करने की मांग रमेश बिधूडी तो मोहरा है आरएसएस ने महिला आरक्षण विधेयक का दबाव डाला और रविशंकर , हर्षवर्धन हंस रहे थे संजय गांधी अस्पताल के चार सौ कर्मचारी बेरोजगार महिला आरक्षण को तत्काल लागू करने से कौन रोक रहा है? स्मृति ईरानी और सोनिया गांधी आमने-सामने देवभूमि में समाजवादी शंखनाद भाजपाई तो उत्पात की तैयारी में हैं . दीपंकर भट्टाचार्य घोषी का उद्घोष , न रहे कोई मदहोश! भाजपा हटाओ-देश बचाओ अभियान की गई समीक्षा आचार्य विनोबा भावे को याद किया स्कीम वर्करों का पहला राष्ट्रीय सम्मेलन संपन्न क्या सोच रहे हैं मोदी ?

इतना लंबा मार्च इतिहास में नही है

चंचल 

भारत का किसान आंदोलन,  दुनिया की एक बड़ी घटना बन चुका है , महज इसलिए नही कि इनकी तादात बहुत बड़ी है , इसमे जाति , पांत , औरत मर्द , बूढ़े बच्चे , अमीर गरीब गरज यह कि कौन है जो इस आंदोलन में शामिल नही है .दो महीने से भी ज्यादा दिनों तक यह आंदोलन जस का तस ही नही बल्कि नित नए अंदाज में रोज उफान पर रहा है . दुनिया मूर्ख नही है ,वह इस आंदोलन को मात्र क्षणिक भावुकता से से नही बल्कि  जिस नजर से देख रहा है , उसके बिंदु और कोण अलग हैं -  दुनिया का यह पहला जन आंदोलन है , जो इतनी बड़ी तादात में , इतने धैर्य के साथ अहिंसक और शांत  मन से अपनी बात पर अडिग खड़ा है . 

  - तवारीख दर्ज कर रहा है कि गांधी की रखी सत्य और अहिंसा की  नींव , जिस पर सिविल नाफरमानी  उठती है , आज और युवा होकर सामने आई है . भारत का किसान सड़क पर मर रहा है ( अब तक 150 से भी ज्यादा किसान दिल्ली सीमा की सड़क पर मरे हैं ) लेकिन उसकी  तरफ़ से हिंसा की एक भी वारदात नही हुई है . 

  भारत का किसान अपने स्वाभिमान के साथ सिविल नाफरमानी का अहिंसक हथियार लिए दिल्ली घेरे खड़ा है गो की उसे  हुकूमत की साजिश और अड़चनों के साथ मौसम की भी मार झेलनी पड़ रही है . 

   - किसान ने अपनी क्षमता का इतना जबरदस्त परिचय दिया कि दुनिया चौकन्नी हुई खड़ी है . यह किसान अपने संसाधनों से एक नया मुल्क,  दिल्ली की सड़क पर बना लिया है जो किसी  भी तरफ से गुलाम नही है . रोटी कपड़ा , छत , पानी , बिजली , दवा , व सामान्य जीवन जीवन जीने के लिए हर आवश्यक आवश्यकता की वस्तु , उपकरण और उपादान वह खुद लेकर चल रहा है. उसे किसी बाह्य इमदाद की दरकार नही है , इतना ही नही , हर आगंतुक मेहमान की खातिरदारी में यहां कोई  दिक्कत नही है , बल्कि फराकदिली  का जज्बा है . 

     सरकार ने बिजली बंद कर दी .  किसान ने उफ्फ तक नही किया उसके जनरेटर लग गए . पानी सप्लाई रोक दी गई , किसान के घरों से औरतें घड़े  घड़े पानी लेकर आंदोलन स्थल पर आ पहुंची . सड़क किनारे किसान ने बोरिंग शुरू कर दी , उसके ट्यूबेल लग गए . खाली पड़ी जमीन पर प्याज और सब्जियों की खेती शुरू हो गयी . 

  इतना लंबा मार्च इतिहास में नही है .  जिसकी जवाबदेही से खुद को छुपाने के लिए हुकूमत   को किलेबंदी करनी पड़े . कटीले तारों के बाड़ लगें , दीवार बनाई जांय , सड़क पर कील ठोकी जाय . और वजह इतना भर की सरकार किसान के सवाल से  घबड़ा रही है . 

    आज दुनिया उस नक़्शे पर पेंसिल फेर रही है जब 1947 में भारत आजाद हुआ तो दुनिया के  अधिकतर राजनयिक विश्लेषक यह घोषणा कर रहे थे कि भारत जो सदियों  से लूट का शिकार हुआ है , और आज आर्थिक विपन्नता में खड़ा है वह यातो टुकड़ों में बंट  जाएगा या फिर लोक तंत्र छोड़ कर तानाशाही स्वीकार कर लेगा , लेकिन ये तमाम भविष्य वाणियां गलत साबित हुई . देश तरक्की की डगर पर चला और लोकतंत्र को पुख्ता किया, क्यों   कि भारत के पास गांधी के वारिस हुकूमत में थे और  सत्ता की बागडोर पंडित नेहरू के हाथ थी .        भारत के किसान आंदोलन को दुनिया अब मई दिवस की तरह याद करेगी .  ' लास्ट दिसम्बर ' आज जब यह दुनिया मे खड़ी   इंसानी सोच किसान के साथ जुड़ रही है तो निजाम के कारिंदों को लग रहा है यह  विदेश की दखलंदाजी है . इसे कृपया दुरुस्त  करें . दुनिया सपाट नही  , गोल है .




  • |

Comments

Subscribe

Receive updates and latest news direct from our team. Simply enter your email below :