लखनऊ . समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष एवं पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने कहा है कि भाजपा राज में कोई भी सुखी नहीं है. किसान अपनी खेती बचाने के लिए जीवन-मरण की लड़ाई लड़ रहे हैं. बहरी सरकार उनकी बात नहीं सुन रही है. क्रूरता की हद यह है कि किसानों की बात सुनने के बजाय उनके रास्ते में लोहे के जाल, कील कांटे और लोहे की दीवारें खड़ी की जा रही है. सरकार और किसान के बीच में यह विभाजन रेखा खींचना देश और लोकतंत्र के लिए दुर्भाग्यपूर्ण है.
कैसी विडम्बना है कि देशवासियों का पेट भरने वाला अन्नदाता किसान आज भाजपा द्वारा लांछित और अपमानित किया जा रहा है. उसे आतंकवादी बताकर उससे निबटने की वैसी ही तैयारियां की जा रही है जैसी सीमा क्षेत्र में बाड़ लगाकर की जाती है. किसान ही है जो खेत में अन्न उगाता है और उसका बेटा सीमा की रक्षा के लिए अपना बलिदान देता है. किसान की किस्मत के साथ क्या ऐसा खेल खेला जा सकता है? उसको दिल्ली में आकर अपनी व्यथाकथा सुनाने से रोकने के लिए नाकाबंदी की जा रही है.
भाजपा जो नए कृषि कानून लाई है, उससे पूरे देश का किसान न केवल चिंतित है अपितु आक्रोशित भी है. भाजपा दमन के जरिए किसानों की आवाज को दबाना-कुचलना चाहती है पर वह न भूले कि इतिहास बताता है कि झूठ और अन्याय की जड़े नहीं होती है, जनाक्रोश के आगे सत्ता की एक नहीं चलती है.
किसान कोई बड़ी मांग नहीं कर रहे है. वे केवल तीनों काले कृषि कानूनों की वापसी और न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) का कानून बनाने की मांग कर रहे है. सरकार इन्हें मानने के बजाय दूसरे विकल्प सुझा रही है जो किसानों को अमान्य है. भाजपा सरकार जो कर रही है वह अलोकतांत्रिक और अमानवीय है. तानाशाही कभी कहीं भी सफल नहीं हुई है.
चुनाव से पहले भाजपा किसानों की नहीं अपने पूंजीपति मित्रों की खुशहाली के लिए प्रयासरत है. चंद पूजीपतियों को सरकार सब तरह की सुविधाएं देने के लिए कृषि कानूनों के माध्यम से रास्ता बना रही है. किसान जान रहे है कि उनकी खेती बंधक बन जाएगी, उनका स्वामित्व खत्म हो जाएगा और उनको अपनी फसल व्यापारियों की मर्जी पर उनकी तय कीमत पर बेचनी पड़ेगी. वे इसका विरोध कर रहे हैं तो उनके खिलाफ दमन चक्र चलाया जा रहा है.
भाजपा सरकार पूंजीपतियों की तिजोरी भर रही है वहीं लागत मूल्य तक ना मिलने से परेशान किसान सड़कों पर है. किसानों की आय दुगनी करने वाली भाजपा सरकार में यह है किसानों की दुर्दशा. आज किसान से लेकर नौजवान तक अपने को ठगा महसूस कर रहे है. लेकिन केन्द्र सरकार की आंखो का पानी मर गया है.
समाजवादी पार्टी प्रारम्भ से ही किसानों के साथ है. किसान यात्रा, समाजवादी किसान घेरा, चौपाल और किसान ट्रैक्टर यात्रा निकाल कर समाजवादी पार्टी ने किसानों के साथ कंधे से कंधा मिलाकर सरकारी नीतियों का विरोध किया है. समाजवादी पार्टी किसानों की पार्टी होने के नाते हमेशा किसानों के साथ खड़ी रहेगी. समाजवादी पार्टी गांव-गांव में जाकर भाजपा सरकार की अन्यायपूर्ण नीतियों का पर्दाफाश करती रहेगी और जनसंवाद, जनसम्पर्क के माध्यम से किसानों के पक्ष में जनजागरण करेगी. किसानो के साथ समाजवादी पार्टी का संवाद अभियान जारी है.
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