उत्तर भारत से दक्षिण भारत तक पहुंचा किसान आंदोलन

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उत्तर भारत से दक्षिण भारत तक पहुंचा किसान आंदोलन

नई दिल्ली .उत्तर भारत से देश के दक्षिणी हिस्से तक किसान आन्दोलन फ़ैल गया है .केरल ,तमिलनाडु .आंध्र ,तेलंगाना ,कर्नाटक जैसे राज्यों में आज किसानो के चक्का जाम का असर दिखा .उत्तर भारत के ज्यादातर राज्यों में इसका असर पड़ा .उत्तर प्रदेश ,दिल्ली और उतराखंड को इस चक्का जाम से मुक्त किया गया था क्योंकि किसानो के साथ फर्जी टकराव की जानकारी मिली थी .दिल्ली जैसी साजिश को देखते हुए इन तीन राज्यों को चक्का जाम से अलग कर दिया गया था .नगालैंड में किसान आंदोलन का असर देखने को मिला जो अभूतपूर्व था तो जम्मू कश्मीर में भी .किसान आंदोलन व्यापक हो रहा है भले यह कुछ लोगों को न दिखे .

 किसान संघर्ष समिति के अध्यक्ष, जन आंदोलनों का राष्ट्रीय समन्वय के राष्ट्रीय संयोजक मंडल के सदस्य , अखिल भारतीय किसान संघर्ष समन्वय समिति के वर्किंग ग्रुप के सदस्य एवं पूर्व विधायक डॉ सुनीलम ने बताया कि आज देशभर में तीनों कृषि कानूनो को  रद्द करने , सभी कृषि उत्पादों की लागत से डेढ़ गुना दाम पर सरकारी खरीद की कानूनी गारंटी देने,आंदोलनकारी किसानों पर लादे गए फर्जी मुकदमे वापस लेने तथा आंदोलनकारी किसानों पर पुलिस दमन बंद करने की मांग को लेकर अखिल भारतीय किसान सँघर्ष समन्वय समिति -संयुक्त किसान मोर्चा के आव्हान पर  आज  देशभर में 12 बजे से 3 बजे तक  चक्काजाम शांतिपूर्ण सम्पन्न हुआ.

आज जनादेश यू ट्यूब चैनल पर इस मुद्दे पर हुई चर्चा इस लिंक से सुने https://youtu.be/du8YoHpXPDo


    डॉ सुनीलम ने कहा कि किसानों ने चक्का जाम के माध्यम से यह साबित कर दिया है कि 73 दिन से चल रहा आंदोलन राष्ट्रीय आंदोलन होने के साथ-साथ शांतिपूर्ण ढंग से चलाया जाने वाला  दुनिया का सबसे बड़ा और लंबा आंदोलन है तथा सरकार द्वारा दिल्ली के आसपास  सिंघु बॉर्डर, गाजीपुर बॉर्डर, शाहजहांपूर बॉर्डर, पलवल बॉर्डर पर कील लगाकर, 12 लेयर की बैरिकेडिंग कर, कटीले तार लगाकर किसान आंदोलन को नहीं रोका जा सकता.  किसान आंदोलन ने यह भी साबित किया है कि वह कील तंत्र में तब्दील लोकतंत्र जिंसमे 125 किसान नेताओं के खिलाफ एफआईआर दर्ज की गई हैं तथा एनआईए के नोटिस भेजे जाने के बावजूद किसान अहिंसक तरीके से सरकार से मुकाबला करने को तैयार है.

     डॉ सुनीलम ने उम्मीद जाहिर की है कि प्रधानमंत्री संसद में राष्ट्रपति  के अभिभाषण पर हुई बहस का जवाब देते हुए तीनों कानूनों को रद्द करने की घोषणा करेंगे तथा आंदोलनकारी किसानों के साथ किए गए दुर्व्यवहार एवं पुलिस दमन के लिए किसानों से माफी मांगेंगे.      मध्यप्रदेश में किसान समिति के साथियों ने विभिन्न जिलों में अखिल भारतीय किसान सँघर्ष समन्वय समिति- संयुक्त किसान मोर्चा के बैनर तले  चक्काजाम किया.


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