बिहार सरकार का कैरेक्टर सर्टिफिकेट को लेकर निर्देश

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बिहार सरकार का कैरेक्टर सर्टिफिकेट को लेकर निर्देश

आलोक कुमार

पटना.इन दिनों देश-विदेश-प्रदेश में बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की किरकिरी हो रही है.पूर्व मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी की तरह ही सीएम नीतीश बैकफुट पर आने को बाध्य हो जा रहे हैं.अव्वल बिहारमें सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर सरकार के मंत्रियों, सांसदों, विधायकों या फिर किसी सरकारी अफसर के खिलाफ कोई भी आपत्तिजनक टिप्पणी करने पर कानूनी कार्रवाई का सामना करना पड़ेगा. नीतीश सरकार के इस आदेश की आलोचना होने के बाद सरकार डैमेज कंट्रोल के मोड में आ गई है.बिहार पुलिस ने अपने आदेश पर स्पष्टीकरण जारी करते हुए रचनात्मक आलोचना की वकालत की है.

अब बिहार सरकार का कैरेक्टर सर्टिफिकेट को लेकर एक हालिया निर्देश अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर चर्चा में आ गया है.इसे तेजस्वी यादव ने सोशल मीडिया पर खबरों की तस्वीरों के साथ शेयर करते हुए लिखा- मुख्यमंत्री नीतीश जी को कोटि-कोटि बधाई! बिहार की महान धरा विश्वभर में आपके तानाशाही रवैये के कारण नकारात्मक चर्चा में है.वहीं इसके बाद बिहार का प्रशासनिक महकमा इस निर्देश पर सफाई देने में जुट गया है.बिहार के डीजीपी एसके सिंघल, अपर गृह सचिव आमिर सुबहानी और एडीजी जितेंद्र कुमार ने शुक्रवार को एक प्रेस कांफ्रेंस पर उक्त निर्देश को स्पष्ट किया है.


डीजीपी ने कहा कि इस आंतरिक अधिसूचना से कॉन्ट्रैक्ट देने के सिस्टम को मजबूत किया गया है, ताकि कोई ‘बैड एलिमेंट’ कॉन्ट्रैक्ट हासिल न कर सके.लोकतंत्र में सबको अपनी बात कहने का अधिकार है. इसमें कहीं से कोई शंका नहीं है.सिर्फ एफआईआर में नाम आने से कोई अपराधी नहीं हो जाता है, लेकिन संज्ञेय अपराध, अपराध है. अगर कोई धरना प्रदर्शन में आपराधिक कृत्य करता है तो कारवाई होगी.डीजीपी ने आगे कहा कि बिहार में अब कोई कॉन्ट्रैक्ट लेता है, तो वह फिर किसी और को भी सब-कॉन्ट्रैक्ट दे सकता है.अब जिन्हें सब-कॉन्ट्रैक्ट दिया जाता है, उन्हें भी पुलिस से कैरेक्टर सर्टिफिकेट लेना होगा.कैरेक्टर सर्टिफिकेट को लेकर जो आदेश जारी किया गया था, यह बिहार में पहले से ही लागू है.उसमें कुछ अंश और जोड़ा गया है.

 अपर गृह सचिव आमिर सुबहानी ने कहा कि टेंडर लेने वाले कम्पनी-व्यक्ति साफ छवि का हो, साथ ही स्टाफ भी स्वच्छ छवि का हो, इसको सुनिश्चित करना होगा, तभी टेंडर मिलेगा.वहीं एडीजी जितेंद्र कुमार ने कहा कि इस संबंध में समय-समय पर क्षेत्रीय इकाइयों को कई निर्देश जारी किये गए थे.एक फरवरी को जारी किया गया निर्देश इसी सिलसिले में था, जिस पर भ्रम की स्थिति पैदा हुई.

पुलिस मुख्यालय के अनुसार, एक कैरेक्टर सर्टिफिकेट किसी भी तरह के अभ्यर्थी के आपराधिक इतिहास के बारे में जानकारी देता है. इसमें क्या लिखा जाएगा-क्या नहीं, इसके बारे में स्पष्ट निर्देश दिए गए हैं. ऐसे अभ्यर्थी, जिनके खिलाफ किसी मामले में जांच के बाद कोई आरोप-पत्र दाखिल नहीं किया गया है, या उन्हें किसी अदालत ने किसी मामले में दोषमुक्त कर दिया है, उसका जिक्र कैरेक्टर सर्टिफिकेट में नहीं किया जायेगा. इन तथ्यों के आधार पर विभिन्न तरह के अभ्यर्थियों (टेंडर-कॉन्ट्रैक्ट लेने वालों, स्थाई-संविदा पर नौकरी) के लिए प्रतिकूल स्थितियां बनेंगी, अगर उन्होंने किसी तरह का आपराधिक कृत्य किया होगा.

सरकारी आदेश में ‘गंभीर परिणामों’ की थी चेतावनी

बिहार सरकार की तरफ से जारी आदेश में सड़क जाम करने वालों, सार्वजनिक संपत्ति को नुकसान पहुंचाने वालों को सरकारी नौकरी और सरकारी ठेके से वंचित रखने का प्रावधान किया गया है.जारी आदेश के तहत, ‘यदि कोई व्यक्ति विधि-व्यवस्था की स्थिति, विरोध प्रदर्शन, सड़क जाम इत्यादि मामलों में संलिप्त होकर किसी आपराधिक कृत्य में शामिल होता है और उसे इस कार्य के लिए पुलिस के द्वारा आरोप पत्रित किया जाता है तो उनके संबंध में चरित्र सत्यापन प्रतिवेदन में विशिष्ट एवं स्पष्ट रूप से प्रविष्टि की जाए. ऐसे व्यक्तियों को गंभीर परिणामों के लिए तैयार रहना होगा क्योंकि उनमें सरकारी नौकरी/सरकारी ठेके आदि नहीं मिल पायेंगे.’


बिहार सरकार के इस ताजा निर्देश की अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर चर्चा हुई है.इसे तेजस्वी यादव ने आज फिर सोशल मीडिया पर शेयर किया है. उन्होंने खबरों की तस्वीरों के साथ लिखा – मुख्यमंत्री नीतीश जी को कोटि-कोटि बधाई! गुरु गोविंद सिंह, भगवान महावीर, माता सीता की जन्मभूमि एवं बुद्ध और गांधी की कर्मभूमि तथा विश्व को सर्वप्रथम गणतंत्र का ज्ञान देने वाली बिहार की महान धरा विश्वभर में आपके तानाशाही रवैये के कारण नकारात्मक चर्चा में है.शांत मन से सोच कुछ करिए.तेजस्वी ने आगे लिखा – आदरणीय नीतीश जी, विश्व के जाने-माने अखबार-पत्रिकाएं आपके अलोकतांत्रिक और तानाशाही फैसलों की भर्त्सना कर रहे हैं.शांत चित्त से सोच समझ ही लोकतांत्रिक निर्णय लेना चाहिए. कृपया अपने फैसलों को वापस लीजिए.

इसके पहले बिहार(Bihar) में सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर सरकार के मंत्रियों, सांसदों, विधायकों या फिर किसी सरकारी अफसर के खिलाफ कोई भी आपत्तिजनक टिप्पणी करने पर कानूनी कार्रवाई का सामना करना पड़ेगा. नीतीश सरकार(Nitish Kumar govt) के इस आदेश की आलोचना होने के बाद सरकार डैमेज कंट्रोल के मोड में आ गई है. बिहार पुलिस(bihar police) ने अपने आदेश पर स्पष्टीकरण जारी करते हुए रचनात्मक आलोचना की वकालत की है.


बिहार के एडिशनल डायरेक्टर जनरल हेडक्वार्टर्स से जितेंद्र कुमार ने कहा, 'आलोचना लोकतंत्र के लिए लाभकारी होती है. लेकिन आलोचना रचनात्मक होनी चाहिए और भाषा मर्यादा की सीमा में होनी चाहिए. यह एडवाइजरी सोशल मीडिया पर इस्तमेाल होने वाली अपमानजनक भाषा, अफवाहों और गलत सूचनाओं के फैलने को ध्यान में रखते हुए जारी की गई हैं.यह सभी आईटी एक्ट के तहत दंडनीय अपराध है.आदेश में साफतौर पर कहा गया है कि, 'अपमानजनक भाषा' का इस्तेमाल करने वाले और अफवाह फैलाने वाले लोगों के खिलाफ ही एक्शन लिया जाएगा.

बता दें कि, अपर पुलिस महानिदेशक, नैयर हसैनन खान (आर्थिक अपराध इकाई)ने सरकार के सभी प्रधान सचिवों/सचिवों को जारी पत्र में कहा गया है, 'ऐसी सूचनाएं लगातार प्रकाश में आ रही हैं कि कतिपय व्यक्ति/ संगठनों द्वारा सोशल मीडिया/इंटरनेट के माध्यम से सरकार, माननीय, मंत्रीगण, सांसद विधायक एवं सरकारी पदाधिकारियों के संबंध में आपत्तिजनक एवं भ्रांतिपूर्ण टिप्पणियां की जाती हैं. यह विधि विरूद्ध एवं कानून के प्रतिकूल है था साइबर अपराध की श्रेणी में आता है.इस कृत के लिए ऐसे लोगों, समूहों के खिलाफ विधि सम्मत कार्रवाई किया जाना समीचीन प्रतीत होता है.'


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