तुम तो मधु लिमये हो महुआ!

गोवा की आजादी में लोहिया का योगदान पत्रकारों पर हमले के खिलाफ पटना में नागरिक प्रतिवाद सीएम के पीछे सीबीआई ठाकुर का कुआं'पर बवाल रूकने का नाम नहीं ले रहा भाजपा ने बिधूड़ी का कद और बढ़ाया आखिर मोदी है, तो मुमकिन है बिधूड़ी की सदस्य्ता रद्द करने की मांग रमेश बिधूडी तो मोहरा है आरएसएस ने महिला आरक्षण विधेयक का दबाव डाला और रविशंकर , हर्षवर्धन हंस रहे थे संजय गांधी अस्पताल के चार सौ कर्मचारी बेरोजगार महिला आरक्षण को तत्काल लागू करने से कौन रोक रहा है? स्मृति ईरानी और सोनिया गांधी आमने-सामने देवभूमि में समाजवादी शंखनाद भाजपाई तो उत्पात की तैयारी में हैं . दीपंकर भट्टाचार्य घोषी का उद्घोष , न रहे कोई मदहोश! भाजपा हटाओ-देश बचाओ अभियान की गई समीक्षा आचार्य विनोबा भावे को याद किया स्कीम वर्करों का पहला राष्ट्रीय सम्मेलन संपन्न क्या सोच रहे हैं मोदी ?

तुम तो मधु लिमये हो महुआ!

कनक तिवारी  
पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी शेरनी की तरह दहाड़ती हैं. फिलवक्त उन्होंने अपनी पार्टी का एक नुमाइंदा लोकसभा में महुआ मोइत्रा के नाम से निर्वाचित कराया है. अपने पहले भाषण में महुआ ने दो तिहाई बहुमत की संसदीय हेकड़ी के तैश को समझा दिया कि कपड़ा धोबी के यहां कितना भी साफ सांप्रदायिक भावनाएं भड़काकर धो लिया गया हो. उस पर लोकतंत्रीय इस्तरी चलाने से ही संसद की व्यापक समझ का मानक पाठ तैयार किया जा सकता है. अपने पहले क्रिकेट मैच या मेडन स्पीच में महुआ ने लोकसभा की पिच पर छक्का लगा दिया. वे शेरनी के जुमले में नहीं गरजीं. उन्होंने बहुत कम समय में जनसंसद में एक प्राथमिकी दर्ज करने के साथ भवियमूलक चुनौतियों का कोलाज भी बिखेरा. उस तर्कमहल की एक एक ईंट इतनी मजबूत रखी कि बीच बीच में दो तिहाई वाले भारी भरकम सत्ता पक्ष की ओर से की जा रही व्यवधानी हुल्लड़ तुलसीदास की रामचरितमानस की चैपाइयों के बीच में क्षेपक या गड़बड़ रामायण की तरह सुनने में बेहूदी लगी.  
बेहद संयत, सटीक, व्याकरणसम्मत, संसूचित करती जवाबदेह अंगरेजी गद्य में महुआ ने सैद्धांतिक सवाल उठाए. तकनीक की भाषा में कहें तो उसका डेमो सत्ता पक्ष के मुंह पर दे मारा. महुआ के बेहद कुलीन और ईंट ईंट जोड़कर तराशे गए भाषण के तर्कमहल को हिन्दी में अनुवादित कर सुना जाए. यह अतिशयोक्ति नहीं होगी कि लोकसभा के स्मरणीय नायक मधु लिमये का संसदीय इतिहास में पुनराविष्कार दिखा. शालीन मुद्रा में एनडीए सरकार के दो तिहाई बहुमत को पराजित नहीं लेकिन असहमत विपक्ष के रूप में महुआ ने कबूला. जैसे पोरस ने सिकंदर के सामने युद्ध में पराजय के बावजूद स्वाभिमानी सिर ऊंचा रखा.  
तृणमूल सांसद ने दो टूक कहा कि दो बहुसंख्यक सांप्रदायिकता को विस्फोटक मुहाने पर शातिर साजिशी सियासत द्वारा बिठा दिया गया है. यह लोकतंत्र के लिए ट्रेजडी या अशुभ संकेत हो सकता है. उन्होंने कहा अल्पसंख्यकों के सड़कों, बाजारों पर एक उन्मादी हिंसक और खुद को वहशी सांप्रदायिकता की सांस्कृतिक उत्तराधिकारी समझते लोगों द्वारा जानवर की तरह पीट पीटकर मारा और कत्ल किया जा रहा है. यह युग इस देश के इतिहास के नए परिच्छेद के रूप में लिखा जा रहा है. उन्हें बरगलाकर हिंसक बनना सिखाया भी जा रहा है. देश कूढ़मगज, कुंद, गैरप्रगतिशील और कुंठाग्रस्त सलाहकारों के रेवड़ में फंसा दिया गया है. वहां विज्ञानसम्मतता, आधुनिक भावबोध और सभ्यतामूलक समकालीन मूल्यों की कोई जरूरत नहीं रह गई है.  
लोकसभा में दिया जा रहा महुआ का भाषण महज नये सदस्य द्वारा बिखेरी गई चेतावनी का अहसास नहीं था. लगा जैसे हिन्दुस्तान का जख्मी और कराहता हुआ मौजूदा इतिहास खुद एक इंसानी प्रतिनिधि बनकर देश के नागरिकों की चेतना को झिंझोड़ रहा है. वह अभिमन्यु शैली का साहसी लेकिन सहायता मांगता हुआ चीत्कार नहीं था. उसमें महाभारत उपदेशक का भाव भी नहीं था. महुआ ने अद्भुत संयम, सावधानी और मुक्तिबोध के शब्दों की ‘दृढ़-हनु‘ की विनम्रता चेहरे पर कायम रखी. यह बताने के लिए कि विनम्रता मूल्यों को रचने में ज्यादा नायाब और स्थायी कारगर हथियार होती है. एक शब्द का दोहराव किए बिना, अटके बिना, सांसों के आरोह अवरोह का अभिनय कौशल इस सांसद को याद दिला गया कि इस नई महाभारत में उसे दुर्योधन और दुःशासन को भी नए रूपक में ढालकर ओज के हिन्दी कवि रामधारी सिंह दिनकर से उनकी पंक्तियों में आशीर्वाद लेना है. वह उसने अद्भुत सामायिकता के साथ किया. शायर राहत इंदौरी का शेर भी बहुत मौंजू तरीके से इस महिला सांसद ने सूत्रबद्ध चेतावनी के रूप में लोकसभा के रेकार्ड में लिखा तो दिया. महुआ मोइत्रा की तरह यदि छह सांसद भी संसद की तकरीरांें में इसी तरह सजग रहे, तो भारी भरकम सत्तामूलक धड़े का हुल्लड़बाज हिस्सा अपने उस लक्ष्य तक तो पहुंचने में कठिनाई महसूस करेगा, जो एक बरसाती नदी के मजहबी, उद्दाम उफान की तरह हिन्दुस्तानियत की सदियों पुरानी उगी फसल को बेखौफ होकर काफी कुछ बहा ले गया.कनक तिवारी की पोस्ट से साभार 

  • |

Comments

Subscribe

Receive updates and latest news direct from our team. Simply enter your email below :