गुलजार हुसैन
नई दिल्ली .ऐसे समय में जब संसद में जन आंदोलनकारियों को परजीवी कहकर मजाक उड़ाया जा रहा हो, तब लोकसभा में महुआ को सुनना ऐतिहासिक लम्हा था. महुआ ने वर्तमान समय में सत्ता की हर नीति की पोल खोल कर रख दी. मुझे ध्यान नहीं आता कि पिछले एक दशक में इस तरह किसी अन्य महिला नेता ने सत्ताधारी पार्टी के खिलाफ लोकसभा में खुलेआम इतने गंभीर तरीके से चोट करते हुए जेनुइन मुद्दे पर घेरा है.
जिस तरह से लोकसभा में उन्होंने मोदी सरकार की गिन- गिन कर पोल खोली है, उसे एक ऐतिहासिक मोमेंट कहा जा सकता है. जिस तरह भारत में सांप्रदायिकता और 'हड़पजीवी पूंजीवाद' के तले लोगों को को घुटन भरे माहौल में रहने को मजबूर किया जा रहा है, उन सियासी साजिशों का पर्दाफाश जरूरी था. मोइत्रा ने केंद्र सरकार पर कायरता को साहस के रूप में परिभाषित करने का आरोप लगाया है, जो ऐसे समय में एक साहस भरा काम है.
मोइत्रा ने लोकसभा के अंदर कहा कि नागरिकता संशोधन कानून (CAA) लाना, अर्थव्यवस्था की स्थिति और बहुमत के बल पर तीन कृषि कानून लाना ही सबसे बड़ा उदाहरण है कि कैसे मोदी सरकार कायरता को साहस के रूप में परिभाषित कर रही है.
मोइत्रा ने कहा कि कुछ लोग सत्ता की ताकत, कट्टरता, असत्य को साहस कहते हैं. उन्होंने कहा कि इस सरकार ने दुष्प्रचार और गलत सूचना फैलाने को कुटीर उद्योग बना लिया है. उन्होंने मोदी सरकार पर व्यंग्य करते हुए कहा कि इनकी सबसे बड़ी सफलता ‘कायरता को साहस के रूप’ में परिभाषित करना है.
उन्होंने आरोप लगाया कि साल 2020 में भारत सबसे खराब प्रदर्शन करने वाला देश रहा और अब दो वर्षो तक अर्थव्यवस्था में वृद्धि नहीं हो पाएगी.
मोइत्रा ने तीन नए कृषि कानूनों के बारे में कहा कि मोदी सरकार ने कृषि कानून बिना आम-सहमति और बिना समीक्षा के ही लाया. यह केवल बहुमत के बल पर लाया गया. निस्संदेह, महुआ का यह भाषण देश की हर न्यायप्रिय आवाज को मजबूत करेगा.
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