चंचल
आपने भारतीय समाज के जाति वादी सड़ी सोच के खिलाफ , 'धर्म और जातिहीन' समाज रचने और उसे नई इंसानी सभ्यता तक पहुचाने की जो सार्थक पहल की है , आगे आनेवाली जागरूक नस्लें आपको याद करेंगी . आप भारत की पहली नागरिक घोषित हुई हैं , जिन्हें किसी जाति या धर्म के घेरे से मुक्त रहने का हक हासिल हुआ है . स्नेहा जी आज आप तारीख तो हैं ही इससे बड़ी बात है आप एक नजीर बन कर उस हर सचेत शख्स को सम्बल देंगी जो जाति और धर्म के घेरे को तोड़ कर मनुष्य मात्र होने की कामना करेगा .
स्नेहा जी तमिलनाडु की रहनेवाली है अपने छात्र जीवन से ही इन्हें इनके अभिभावक माता पिता ने इंसानी सभ्यता का पाठ पढ़ाया और शिक्षा समेत उस हर कागद को कोरा रखा , जिसमे जाति और धर्म का कालम दर्ज रहता रहा . स्नेहा जी को अपने प्राध्यापक पति से भी यही समर्थन मिला जो खुद जाति और धर्म के खांचे से मुक्त हैं . इतना ही नही इनके तीनो बच्चों के नाम भी इसी डगर पर हैं .
भारत मे जाति और धर्म का पाखंडी रूप कोढ़ बन चुका है . इसे खत्म करिये.
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