वे रियाना, ग्रेटा या मीना हैरिस नहीं हैं

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वे रियाना, ग्रेटा या मीना हैरिस नहीं हैं

हिसाम सिद्दीक़ी  
मशहूर शायर शौक बहराइची का शेअर है ‘बर्बादिए गुलशन की खातिर बस एक ही उल्लू काफी था- हर शाख पे उल्लू बैठा है अंजामे गुलिस्तां क्या होगा’. कुछ ऐसा ही आजकल किसान आंदोलन से खौफजदा भारत सरकार का हो रहा है. पहले तो दिल्ली पुलिस ने किसानों के मामले में कई ऐसी गलतियां कीं जिनसे सरकार की बदनामी हुई फिर जब दुनिया भर के मीडिया में किसान आंदोलन की खबरें शाया और टेलीकास्ट होने लगीं तो सबसे पहले कनाडा के प्राइम मिनिस्टर जस्टिन ट्रूडो ने किसानों की हिमायत में बयान दिया. भारतीय वजारते खारजा ने उन्हें बहुत अच्छा और सधा हुआ जवाब दे दिया कि ट्रूडो साहब यह हमारा अंदरूनी मामला है इसमें हमें आपके मश्विरे की जरूरत नहीं है. उनके बाद अमरीका और ब्रिटेन के कई मेम्बरान पार्लियामेंट ने किसानों की हिमायत में बयान दिए. भारत का मौकुफ हमेशा यही रहा कि यह हमारा अंदरूनी मामला है. इस दरम्यान अमरीका की पॉप स्टार रियाना ने सीएनएन अखबार में किसान आंदोलन से मुताल्लिक शाया (प्रकाशित) हुई एक खबर और तस्वीर को टैग करते हुए सिर्फ इतना ट्वीट कर दिया कि कभी इसपर भी बात होनी चाहिए. रियाना न तो कोई लीडर हैं न अमरीकी पार्लियामेंट की मेम्बर. अमरीका और पच्छिमी दुनिया में वह भले ही बहुत मशहूर हों और ट्वीटर पर उनके तकरीबन दस करोड़ दस लाख फालोअर बताए जातते हों, भारत के एक सौ तीस करोड़ लोगों में रियाना को जानने वालों की तादाद शायद एक करोड़ भी नहीं थी. उनके ट्वीट पर भारत सरकार ने जिस तरह से रिएक्ट किया वजारते खारजा (विदेश मंत्रालय) ने देश की तारीख में पहली बार किसी एक शख्स के ट्वीट पर लम्बा-चौड़ा बयान जारी कर दिया. बीजेपी के आईटी सेल ने तो बिल्कुल आफत ही मचा दी. सचिन तेन्दुलकर, लता मंगेशकर, अक्षय कुमार, अजय देवगन, सुरेश रैना जैसे गुलामों से कहा गया कि वह रियाना के ट्वीट का जवाब दें. चूंकि आईटी सेल ने ही इन लोगों को मजमून भी भेजा था इसलिए कई लोगों ने एक तरह की जबान में रियाना को जवाब दिया. यह सारे वह गुलाम हैं जिन्होने सख्त सर्दी में बैठे डेढ सौ से ज्यादा किसानों की मौत पर एक लफ्ज भी कहना मुनासिब नहीं समझा. इस बेवकूफी से रियाना को बड़ी तादाद में भारत के लोग भी जान गए. 
रियाना के बाद दुनिया भर में मशहूर माहौलियात (पर्यावरण) एक्टिविस्ट ग्रेटा थर्नबर्न और अमरीका की वाइस प्रेसीडेट कमला हैरिस की भतीजी मीना हैरिस ने भी किसानों की हिमायत में ट्वीट किए. मीना हैरिस वाइस प्रेसीडेंट कमला हैरिस के साथ ही रहती हैं. इसलिए उनकी किसानों की हिमायत की अहमियत में मजीद इजाफा हो गया है. याद रहे कि जब कमला हैरिस अमरीका की वाइस प्रेसीडेंट चुनी गई थीं उस वक्त देश की भगवा ब्रिगेड ने ऐसी खुशियां जाहिर की थी और कहा था कि अब अमरीका से भारत को बहुत फायदे मिलेगे. अब वह सभी खामोश हैं और रियाना व ग्रेटा की तरह मीना हैरिस के खिलाफ बयानबाजी भी नही हो रही है. दिल्ली पुलिस ने एक बार फिर दुनिया भर में देश की साख को बट्टा तब लगवा दिया जब यह कहा कि भारत के खिलाफ खालिस्तान हामियों ने जो टूलकिट सोशल मीडिया पर पोस्ट की थी ग्रेटा ने भी उसे शेयर किया था और बाद में डिलीट भी कर दिया था. मीडिया में खबरें आने लगीं कि दिल्ली पुलिस ने ग्रेटा के खिलाफ एफआईआर दर्ज की है. पुलिस ने अपनी जानिब से इसकी कोई वजाहत भी नहीं की. ग्रेटा अट्ठारह साल की स्वीडिश शहरी हैं अगर दिल्ली पुलिस उनके खिलाफ एफआईआर दर्ज कर दे तो उनका क्या करेगी वह तो ऐसी लड़की हैं जिसने कई साल पहले अमरीकी सदर डोनाल्ड ट्रम्प से यह कहकर हाथ मिलाने से इंकार कर दिया था कि ट्रम्प ने ही दुनिया की माहौलियात (पर्यावरण) को नुक्सान पहुंचाया है. ट्रम्प ने गुस्से में कहा था कि इस लड़की के दिमाग के इलाज की जरूरत है. ग्रेटा के खिलाफ एफआईआर दर्ज हो न हो इस कंफ्यूजन का नतीजा यह हुआ है कि जिसे हम अपना अंदरूनी मामला बता रहे हैं, वह पूरी दुनिया के मीडिया में छाया हुआ है. यह सब दिल्ली पुलिस की चूक की वजह से हुआ है. पुलिस को अभी ग्रेटा का नाम लेने की कोई जरूरत नहीं थी. 
किसान आंदोलन हमारा अंदरूनी मामला है इसमें कोई गैर मुल्की दखल न दे यह बात पूरी दुनिया मानने को तैयार नहीं है. इसकी वजह से रोज बरोज देश की बदनामी ही हो रही है. पूरी दुनिया को पता चल चुका है कि सत्ताइस जनवरी से किसान आंदोलन वाले इलाकों में दिल्ली पुलिस ने इंटरनेट बंद कर रखा है, सड़कों पर बड़ी-बड़ी कीलें वार्ब्ड वायर, सीमेंट की मजबूत ऊंची दीवारें उठाकर किसानों का पानी बंद कर रखा है. स्वच्छता का ढिंढोरा पीटने वाली सरकार ने धरने पर बैठे लोगों खुसूसन ख्वातीन (महिलाओं) को गंदे टायलेट इस्तेमाल करने के लिए मजबूर कर दिया है. इसके बावजूद अगर आप यह कहे कि यह हमारा अंदरूनी मामला है इस बात को कोई नहीं मानेगा, खुसूसन इंसानी हुकूक (मानवाधिकारों) के लिए बड़े पैमाने पर काम करने वाली पच्छिमी दुनिया तो बिल्कुल नहीं. अब यह मामला इण्टरनेशनल हो चुका है, जब तक दिल्ली पुलिस की कीलें ठोकने और सड़क पर दीवार खड़ी करने वाली कार्रवाइयां जारी रहेगी दुनिया भर में भारत की बदनामी होती रहेगी. 
तीन विदेशी लड़कियों रियाना, ग्रेटा थर्नबर्न और मीना हैरिस के ट्वीट्स पर मोदी सरकार, उनके गुलाम मीडिया और सचिन तेन्दुलकर, अजय देवगन, लता मंगेशकर और अक्षय कुमार जैसे भाण्ड टाइप लोगों ने ऐसा रद्देअमल (प्रतिक्रिया) जाहिर किया जैसे उन तीनों ने ट्वीट करने के बजाए हमारे देश पर हमला कर दिया हो इन सभी भाण्ड टाइप लोगों से कहलवाया गया कि हमारे अंदरूनी मामलात में कोई दखल न दे. हमारी सालमियत (संप्रभुता) के साथ छेड़छाड़ न की जाए मतलब देश की सालमियत इतनी कमजोर बना दी गई है कि महज दो-तीन ट्वीट से ही वह हिलने लगती है. इन बेवकूफों ने देश को इतना कमजोर बता कर दुनिया भर में देश को बदनाम करने का जुर्म किया है. इन राष्ट्रवादियों से पूछा जाना चाहिए कि जब आपके आका ने अमरीका में हाउडी मोदी प्रोग्राम के दौना ‘अबकी बार ट्रम्प सरकार’ की नारेबाजी की थी क्या वह अमरीका के अंदरूनी मामलात में दखल नहीं था. जार्ज फ्लायड नाम के एक स्याहफाम (अश्वेत) को जब अमरीकी पुलिस अफसर ने बेशर्मी से कत्ल किया था उस वक्त भी भारत ने उसकी मजम्मत करते हुए पैगाम भेजा था तो क्या वह अमरीका के अंदरूनी मामलात में दखल नहीं था? 
यह हमारे अंदरूनी मामलात में दखल का मामला भी खूब है तीन लड़कियों ने किसानों की हिमायत में ट्वीट कर दिया तो वह हमारे अंदरूनी मामलात में दखल मान लिया गया इसी दरम्यान दुनिया के सबसे ताकतवर समझे जाने वाले अमरीकी सदर बायडन एडमिनिस्ट्रेशन का एक बयान जारी हुआ जिसमें कहा गया कि अमरीका भारत में खुले और फ्री बाजार की हिमायत करता है तो मोदी सरकार ने फौरन उनके बयान को तोड़ मरोड़ कर पेश करते हुए कह दिया कि बायडन एडमिनिस्ट्रेशन ने हमारे तीनो ंकिसान कानूनों की हिमायत की है. हालांकि उनके बयान में किसान कानूनों का जिक्र तक नहीं था. रही बात खुले और फ्री बाजार की तो अमरीका वह इसलिए चाहता है कि उस व्यापार में अमरीकी कम्पनियां ही पूरी दुनिया में छाई हैं. वह भारत के बाजार पर कब्जा चाहते हैं. इसी बयान में बायडन एडमिनिस्ट्रेशन ने यह भी लिखा कि आंदोलन कर रहे किसानों का पानी और इण्टरनेट बंद करना गलत है. यह तो इजहार की आजादी (फ्रीडम आफ एक्सप्रेशन) पर पाबंदी लगाने जैसा है. इसलिए किसानों का इण्टरनेट और पानी की सप्लाई बहाल होनी चाहिए. इस बयान को हमारी सरकार ने हमारे अंदरूनी मामलात में दखल नहीं माना किसी की न तो आवाज निकली न किसी ने ट्वीट किया सिर्फ इसलिए बायडेन तो दुनिया भर के बाप हैं वह रियाना, ग्रेटा या मीना हैरिस नहीं हैं जिनपर लोग टूट पडे़ं.जदीद मरकज़  

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