डा शारिक़ अहमद ख़ान
लखनवी खानपान का एक लैंडमार्क है लखनऊ के चौक की 'इदरीस बिरयानी'.इदरीस के यहाँ मटन बिरयानी ही मिलती है,बफ़ेलो मीट बिरयानी या चिकेन बिरयानी नहीं मिलती.क्योंकि पूरी उत्तर पट्टी के हिंदू हज़रात बफ़ेलो मीट आमतौर पर नहीं खाते लिहाज़ा लखनवी बिरयानी की चाह में इदरीस बिरयानी पर पहुँचने लगे,इस वजह से इदरीस बिरयानी चल निकली और मशहूर हो गई,इदरीस बिरयानी को मशहूर करने में हिंदू हज़रात का हाथ ज़्यादा है,मुस्लिम बंधुओं का कम,क्योंकि मुसलमानों के पास बफ़ेलो मीट की लज़ीज़ बिरयानी का आप्शन है जो पुराने लखनऊ में कसरत से हर जगह उपलब्ध है,जबकि हिंदुओं के पास ये ऑप्शन नहीं रहता.इदरीस बिरयानी वाले ने इस पेंच को बारीक़ी से समझा और बिज़नेस स्ट्रेटेजी के तहत एक खवईया गुट पर ही फ़ोकस कर मटन बिरयानी बनाने लगा,रणनीति कारगर सिद्ध हुई,दुकान चल निकली,हिंदू ज़्यादा आने लगे,मुसलमान कम.वही सब मसाले इदरीस मटन बिरयानी में पड़ने लगे और उसी कला से मटन बिरयानी इदरीस की बिरयानी की दुकान पर बनने लगी जो लखनवी नफ़ासत वाली बफ़ेलो मीट की बिरयानी की रवायती अदा थी,मतलब कि इदरीस की बिरयानी भी लखनवी पुलाव की तरह नफ़ीस बनने लगी और ये पुरानी दिल्ली समेत हर जगह की लद्धड़ बिरयानी जैसी ना होकर अपना अलग मक़ाम बनाने में सफल हुई.पुराने दौर में लखनऊ में कई हिंदुओं ने भी नॉनवेज व्यंजनों के होटल खोले जिनमें कई अब चलन में नहीं हैं और कई अब भी हैं.
जैसे 'लल्ला बिरयानी' वग़ैरह,लेकिन नॉनवेज व्यंजनों की बात हो तो हिंदू नॉनवेज होटलों के क़लिया जैसे मोटे नॉनवेज व्यंजनों को छोड़ नफ़ासत भरे नॉनवेज व्यंजनों में वो रस नहीं आता,वो लज़्ज़त नहीं आती जो नॉनवेज नफ़ासती व्यंजनों के लिए ज़रूरी होती है,मज़े की लज़्ज़त का नॉनवेज तो मुस्लिम होटलों में ही मयस्सर हो पाता है,जैसे हिंदू हलवाईयों जैसी नफ़ीस मिठाई मुसलमान हलवाई नहीं बना पाते,नफ़ासती मिठाई खानी हो तो हिंदू हलवाईयों की दुकान पर ही जाना पड़ता है,जो रस हिंदू हलवाई की नफ़ीस मिठाई में होगा वो मुसलमान हलवाई के यहाँ नहीं मिल सकता.
मोटी-टाठी मिठाई ज़रूर मुसलमान हलवाई बना लेते हैं जैसे हिंदू नॉनवेज रेस्त्रां मोटा-टाठा नॉनवेज बना लेते हैं.बहरहाल,आज शाम 'इदरीस बिरयानी 'जाना हुआ,वजह कि बिरयानी पैक करानी थी,पैक कराई,हम हमेशा 'इदरीस बिरयानी' पर बिरयानी पैक ही कराते हैं,वजह कि इदरीस बिरयानी का नाम भले बड़ा हो लेकिन उनके यहाँ बैठकर बिरयानी खाने की व्यवस्था डांवाडोल टाइप ही है,पुरानी स्टाइल की है,बैठने की जगह छोटी है,कचपच और मगजमारी ज़्यादा है,कई लोगों को तो ये जगह अनहाईजेनिक भी लग सकती है,इसलिए बेहतर रहता है कि इदरीस की बिरयानी पैक ही करायी जाए.ख़ैर,इदरीस की बिरयानी लज़्ज़त की उम्दा होती है,ज़माना इसका दीवाना है,हमें भी पसंद है.
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