अपराध को हादसा बनाना क्या कारनामा है ?

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अपराध को हादसा बनाना क्या कारनामा है ?

उमेश तिवारी  
सीधी से सतना जा रही यात्री बस के बाणसागर नहर (नहर क्या पूरी नदी, दुर्घटना स्थल पर की नहर से सीधी, रीवा एवं उत्तर प्रदेश के हिस्से का पानी एक साथ बहता है जो 7 किलो मीटर आगे अलग- अलग नहरों में से जाता है) में समाजाने से 51 यात्रियों की असमय मृत्यु से मन दुखी है. इस बड़े हादसे के भी वही अपराधी हैं जो इस तरह के पहले भी हुए बड़े हादसों के अपराधी रहे हैं. अपने पुराने खेल को दोहराते हुए सत्ता पक्ष एवं विपक्ष दोनों घड़ियाली आंसू बहाने पहुंचे/पहुंच रहे हैं. सत्ता पक्ष सरकारी खजाने से कुछ बूंद मृतकों की चिताओं पर छिड़क कर तथा कुछ को निलंबित कर मसीहाई अंदाज में हैं, तो विपक्ष भी कांव-कांव कर रहा है तथा उसकी चोंच कर्मचारियों तक ही पहुंच रही है. 
इतनी बड़ी दर्दनाक एवं भीषण दुर्घटना का दोषी निसंदेह सड़क कारपोरेशन भी है, आरटीओ कार्यालय भी है, पुलिस विभाग भी है, नहर विभाग भी है, एसडीएम भी है, बस मालिक भी हैं ड्राइवर भी है. दुर्घटना नहीं होती यदि इन कारणों की अनदेखी नहीं की गई होती- छुहिया घाटी में जाम की समस्या का निराकरण किया गया होता, छुहिया घाटी की सड़क का चौड़ीकरण किया गया होता, आरटीओ नियमानुसार बस को परमिट ड्राइवर को लाइसेंस देता, पुलिस अपने काम को करती, नहर विभाग नियमानुसार नहर के किनारे की सड़क से वाहन चलने नही देता, नहर के किनारे रेलिंग लगाया होता और सबसे ऊपर मुख्यमंत्री शिवराज सिंह द्वारा अपने चहेतों को फायदा देने के लिए मध्य प्रदेश राज्य परिवहन विभाग को समाप्त कर प्रदेश को निजी बस मालिकों के हवाले न करते. 

श एवं प्रदेश के सत्ताधीशों को मृतकों के परिजनों के आंसुओं के सैलाब में डूब मरना चाहिए आजादी के 75 साल बाद भी आम जनता के चलने लायक सड़क नहीं बना सके. छुहिया घाटी की सड़क जो इस हादसा की वजह रही वह वर्षों पूर्व बनी अपर्याप्त चौड़ी सड़क है. इस सड़क पर भार वाहन, यात्री वाहन, निजी वाहनों की भीड़ है. छुहिया घाटी में आये दिन जाम लगता है, छुहिया घाटी की सड़क से अनगिनत बार पहाड़ से बाहन नीचे गिर चुके है, बाहन आपस मे टकरा चुके और कई जन हानि हो चुकी है. इस छुहिया घाटी की सड़क से आने जाने वाले बहनों में सतना में स्थापित 7 सीमेंट प्लांट, 1 पावर प्लांट, बर्तन उद्योग, प्लास्टिक उद्योग, राइस प्लांट, तेल मिल, बॉक्साइट कारखाना एवं कई क्रशर प्लांट सहित कई अन्य उद्योगों के लिए परिवहन का काम करने वाले बाहन, रीवा के दो सीमेंट प्लांट, 3 पावर प्लांट, कई क्रेशर प्लांट, केबल फैक्ट्री के लिए परिवहन करने वाले बाहन, शहडोल में प्रदेश की सर्वाधिक कोयला खदानों के वाहन, पेपर मिल, कास्टिक सोडा फैक्ट्री, यूरेनियम खदान के परिवहन में लगे वाहन, अनूपपुर के दो पावर प्लांट, कोयला एवं बॉक्साइट खदान के परिवहन में लगे बाहन, सिंगरौली जिले से 10 पावर प्लांट, 16 कोयला खदानों एलमुनियम, रासायनिक कारखाना, स्टील कारखाना सहित 350 उद्योग में परिवहन का काम करने वाले बाहन, सीधी जिले का एक सीमेंट प्लांट, ग्रेनाइट की खदान, संगमरमर, बॉक्साइट की खदानें कई क्रेशर प्लांट तथा रेता व्यापार के वाहन यहां से वहां समान ले जाने में छुहिया घाटी की सड़क ही विकल्प है. इन उद्योगों में लगे भार वाहन 60 से 70 चक्के तक के विशालकाय भी होते हैं. इसी छुहिया घाटी की सड़क से उपरोक्त जिलों के लिए यात्री बसें चलती हैं. बनारस इलाहाबाद से शहडोल के यात्री बसों की भी यही सड़क है. छुहिया घाटी की सड़क में वाहनों की भीड़ की वजह रीवा शहडोल मार्ग का बाणसागर बांध के डूब में आ जाना भी है.  
इस दुर्घटना में 51 जाने, जाने के दोषियों पर कार्यवाही होनी चाहिए पर असली अपराधी प्रदेश के मुख्यमंत्री, परिवहन मंत्री, जल संसाधन मंत्री सहित इन विभागों के मुख्य सचिवों को पद से बर्खास्त कर आपराधिक प्रकरण कायम कर जेल भेजा जाए. 
नहर में बस डूबने से असमय अपनी जान खोने वालों के प्रति गहरा शोक प्रकट करता हूँ तथा शोकाकुल परिजनों के प्रति अपनी संवेदना व्यक्त करता हूं.

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