यह तो भारत की बेटियों की तौहीन

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यह तो भारत की बेटियों की तौहीन

हिसाम सिद्दीकी 
नई दिल्ली! बेटी बचाओ का नारा लगाने वाली मोदी सरकार अब भारत की बेटियों की तौहीन और उनको बदनाम करने की कार्रवाइयों पर उतर आयी है. बंगलौर से गिरफ्तार करके देशद्रोह के मामले में दिल्ली लायी गयी महज इक्कीस साल की बेटी दिशा रवि का मामला तो यही साबित कर रहा है. दिशा रवि पर सबसे बड़ा इल्जाम यह है कि उन्होंने यौमे जम्हूरिया (गणतन्त्र दिवस) से पहले भारत की तस्वीर (छवि) खराब करने की साजिश में हिस्सा लिया. उनपर यह इल्जाम सिर्फ इसलिए लगाया गया कि इस माहौलियात (पर्यावरण) एक्टिविस्ट ने आंदोलन कर रहे किसानों की हिमायत की. दिल्ली पुलिस को यह भी बताना चाहिए कि क्या सड़कों पर कीलें गाड़कर बैरिकेटिंग के बहाने सड़कों पर खाई खोदकर और ऊंची-ऊची दीवारें बना कर उनपर कंटीले तार की बाड़ लगाकर दुनिया में भारत की तस्वीर (छवि) खराब करने की साजिश नहीं की है? पीएम मोदी को भी बताना चाहिए कि उनकी पार्टी और आरएसएस ने 2013 में अन्ना हजारे और रामदेव जैसे अपने दलालों के जरिए दिल्ली में जो नंगा नाच कराया था उससे दुनिया में भारत की तस्वीर खराब नहीं करायी थी? इस सरकार ने यह एक नया ड्रामा शुरू किया है कि सरकार के किसी भी फैसले के खिलाफ अगर कोई आंदोलन चलाए तो वह देश की तस्वीर खराब करने का मुजरिम है. दिल्ली पुलिस ने तो कानून की दहशत (आतंक) को कायम कर ही दिया है. ऐसा लगता है कि अदालतें भी कानून के बजाए दिल्ली पुलिस के मातहत ही काम करने लगी हैं. चौदह फरवरी को जब दिल्ली पुलिस ने दिशा रवि को पटियाला हाउस कोर्ट में पेश किया तो उसकी पैरवी के लिए कोई वकील तक नहीं था. वह बिलखती रही अपनी बेगुनाही बताती रही लेकिन अदालत पर उसका कोई असर नहीं हुआ. अदालत ने उसे पांच दिनों के लिए दिल्ली पुलिस की कस्टडी में दे दिया. उस दिल्ली पुलिस की कस्टडी में कि उसकी कस्टडी में शेर दे दिया जाए तो वह चीख-चीख कर कहने लगेगा कि वह शेर नहीं गधा है. 
रेबेका जॉन एडवोकेट ने पटियाला हाउस कोर्ट के जज पर सख्त नुक्ताचीनी करते हुए कहा है कि अदालत ने हैरतनाक तरीके से जूडीशियल जिम्मेदारियों को नजरअंदाज किया मजिस्ट्रेट यहां तक अपनी ड्यूटी में नाकाम रहे कि उस बच्ची के लिए कानूनी मदद फराहम कराए बगैर ही उसे पांच दिनों के लिए दिल्ली पुलिस को रिमाण्ड पर दे दिया. उन्होने कहा कि अगर दिशा रवि अपने लिए वकील नहीं ला सकी थीं तो अदालत को खुद ही उसके लिए डिफेंस का इंतजाम करना चाहिए था. दिशा की पैरवी करने वाले वकीलों का इल्जाम है कि उन्हें आखिर तक यही नहीं बताया गया कि दिशा को किस अदालत में और कब पेश किया जाएगा. 
बंगलौर की इक्कीस साल की दिशा रवि के साथ-साथ दिल्ली पुलिस ने बाम्बे हाई कोर्ट की वकील निकिता जैकब और बीड महाराष्ट्र के ही सोशल वर्कर शांतनु को भी टूलकिट मामले में मुल्जिम बनाया. पुलिस का कहना है कि इन्हीं तीनों ने मिलकर टूल किट तैयार किया था जिसके जरिए देश में यह लोग ‘ट्वीटर स्टार्म’ लाना चाहते थे. निकिता को बाम्बे हाई कोर्ट ने तीन हफ्ते की ट्रांजिट जमानत दे दी. इससे पहले शांतनु मुलुक को भी बाम्बे हाई कोर्ट की औरंगाबाद बेंच ने दस दिनों के लिए ट्रांजिट जमानत दे दी थी. दिल्ली पुलिस की अक्ल और काम करने के तौर तरीकों पर तरस भी आता है और फर्जी कहानियां गढने के लिए पुलिस पर गुस्सा भी आता है. यह ट्वीटर स्टार्म क्या है और उससे देश पर क्या असर पड़ने वाला है? पुलिस को इस हकीकत पर भी गौर करना चाहिए कि ट्वीटर का इस्तेमाल देश का कौन सा तबका करता है क्या वह तबका किसी आंदोलन में शामिल होता है और उनकी तादाद क्या है तब यह दावा करना चाहिए कि ट्वीटर स्टार्म पैदा करने की साजिश थी. सवाल यह है कि अगर कोई तंजीम (संगठन) किसानों की खुली हिमायत करेगी तो वह आंदोलन को ज्यादा से ज्यादा लोगों तक पहुचाने की कार्रवाई जरूर करेगा, लेकिन दिल्ली पुलिस इसे देश मुखालिफ मानती है. 
दिशा रवि से पहले दिल्ली पुलिस सिंघु बार्डर से एक दलित एक्टिविस्ट नवदीप कौर को भी उठा चुकी है. नवदीप कौर के घरवालों ने उसे टार्चर किए जाने और जिन्सी एतबार से परेशान किए जाने का इल्जाम लगाया है. दिशा रवि मोदी सरकार के निशाने पर सालों पहले से थीं. एक साल पहले जब कर्नाटक में माइनिंग लूट के खिलाफ दिशा के एनजीओ ने मुखालिफत की थी. उसी वक्त मरकजी वजीर प्रकाश जावडेकर ने कहा था कि इन माहौलियाती (प्रर्यावरण) एक्टिविस्ट को गिरफ्तार किया जाना चाहिए. अब मोदी सरकार अपने मंसूबे में कामयाब हुई है. दिल्ली पुलिस का कहना है किसान आंदोलन की हिमायत करने के बहाने भारत मुखालिफ ताकतों ने जूम के जरिए ग्यारह जनवरी को एक ग्लोबल मीटिंग की थी जिसमें खालिस्तान हामी एम धारीवाल और आईएसआई के लोगों के अलावा तकरीबन सत्तर लोगों ने शिरकत की  थी. इस मीटिंग के बाद ही टूल किट बनाया गया. उधर कनाडा में रह रहे धारीवाल ने एक बयान में कहा है कि वह किसान आंदोलन का हामी हैं लेकिन खालिस्तान तहरीक से उसका कोई ताल्लुक नहीं है लेकिन दिल्ली पुलिस का कहना है कि धारीवाल कुछ भी कहे उसने पोएटिक जस्टिस फाउण्डेशन नाम की एक तंजीम बना रखी है जो अंदरखाने खालिस्तान तहरीक के हक में काम करती है. 
दिशा रवि की गिरफ्तारी की पूरे मुल्क में मुखालिफत हुई तो उसकी गिरफ्तारी के अगले दिन दिल्ली पुलिस ने बता दिया कि टूल किट मामले में पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी आईएसआई की भी शमूलियत (संलिप्तता) है इस केस के तार आईएसआई और खालिस्तान तहरीक से जुड़े हुए हैं. शक है कि आईएसआई से किसान आंदोलन को फण्डिंग भी हुई है. पुलिस के मुताबिक टूलकिट मामले की तहकीकात में पता चला है इसमें आईएसआई के भजन सिंह भिंडर उर्फ इकबाल चौधरी और पीटर फ्रेडरिक के नाम भी इससे जुड़े हैं. 
मोदी सरकार और दिल्ली पुलिस शुरू से ही किसान आंदोलन के पीछे आईएसआई और खालिस्तान तहरीक का हाथ होने की बात कर रही है इसलिए दिल्ली पुलिस किसी भी तरह आंदोलन के पीछे दहशतगर्दों का हाथ साबित करने की हर मुमकिन कहानी गढ रही है. अब पुलिस ने कहा है कि टूल किट मामले में कुछ किसान लीडरान से भी पूछगछ की जाएगी. ताकि आंदोलन को मिलने वाली फण्डिंग का पता लगाया जा सके. उधर किसान लीडरान का कहना है कि सरकार और दिल्ली पुलिस हमें हिंसा के लिए उकसाने का काम कर रही है. लेकिन हम उनका मंसूबा पूरा नहीं होने देंगे. 
दिल्ली पुलिस और सरकार ने टूल किट जैसी कहानियां गढ कर अपनी कम अक्ली से आंदोलन को मजबूत करने का ही काम किया है. अभी तक जो किसान आंदोलन काश्तकारों तक ही महदूद था दिशा रवि की गिरफ्तारी के बाद देश की तकरीबन तमाम सियासी पार्टियों और खास तौर पर देश का आम नौजवान भी खुलकर किसान आंदोलन की हिमायत में खड़ा हो गया है. पुलिस का कहना है कि टूल किट के जरिए दिशा रवि वगैरह ने यह तय किया कि आंदोलन में कब-कब क्या-क्या करना है, टूल किट किस-किस को भेजना है इसमें मीडिया एनजीओ को भी शामिल किया गया था. जिन एक हजार से ज्यादा लोगों को यह टूल किट भेजा गया उनमें भजन सिंह भिंडर और पीटर फ्रेडरिक के नाम भी शामिल हैं. इसीलिए इसमें आईएसआई का हाथ होने का शक है. पुलिस यह नहीं बता पाई कि टूल किट में हिंसा फैलाने या देशद्रोह जैसी कौन सी बातें हुई. रही बात प्रोग्राम की तो अगर कोई तंजीम किसी आंदोलन की हिमायत करेगी तो अपना प्रोग्राम भी बनाएगी. इसमें देशद्रोह कहां से आ गया?जदीद मरकज़ 
 

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