कुंडली औद्योगिक क्षेत्र में मजदूरों का दमन

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कुंडली औद्योगिक क्षेत्र में मजदूरों का दमन

आलोक कुमार 
कुंडली.शिव कुमार को गिरफ्तारी के एक महीने बाद हाई कोर्ट के आदेश पर मेडिकल करवाने के लिए सरकारी मेडिकल सैक्टर 32 चण्डीगढ़ ले जाया गया है. शिव कुमार को चलने में भी दिक्कत हो रही है और उनके पैरों के नाखून नीले पड़े हुए हैं.  
देश की राजधानी दिल्ली की नाक नीचे बसे  कुंडली औद्योगिक क्षेत्र में मजदूरों का जीवन एक बदतर हालातों से गुजर रहा है.  ऐसे में मजदूर अधिकारों के लिए जब मजदूर- किसान एकजुट होकर अपने अधिकारों की मांग करते हैं तो इस मजदूर-किसान एकता को तोड़ने के लिए सरकार व प्रशासन दमनकारी शक्तियों का प्रयोग करती है.नेतृत्वकारी मजदूर युवा- युवती को प्रताड़ित करके जेल में ठूंस देती है.उन्हें उद्योगपतियों द्वारा पाले गए बाउंसर और  पुलिस के गठजोड़ से दबाया जाता है. उन पर खौफ़नाक हिंसा की जाती है. 

   मजदूर अधिकार संगठन के अध्यक्ष शिवकुमार व नेत्री नवदीप कौर की गिरफ्तारी से विश्व में पुलिस व प्रशासन की बर्बरता का पर्दाफाश होता है. नवदीप कौर व शिव कुमार को पुलिस कस्टडी में दर्दनाक, खौफ़नाक तरीके से पीटा जाता है. 

  अप्रैल 2018 से मजदूर अधिकार संगठन कुंडली औद्योगिक क्षेत्र में सक्रियता से काम कर रहा है. यह मजदूरों की बुनियादी मांगों के लिए लगातार संघर्ष करता रहा है, लेकिन शोषणकारी उद्योगपतियों द्वारा पाले गए बाउंसर कुंडली इंडस्ट्रीज एसोसिएशन( KIA) की क्विक रिस्पांस टीम (QRT) व RSS/ बीजेपी से जुड़े गुण्डे,  मजदूर अधिकार संगठन के कार्यकर्ताओं पर बार-बार हमला करते रहे हैं.लगातार प्रवासी व लोकल मजदूर आवाज को दबाने का प्रयास करते हैं. 

1).अप्रैल 2018 में मई दिवस पर पर्चा बाँटने पर KIA की क्विक रिस्पांस टीम (QRT) के बाउंसर डंडे लेकर मजदूरों की आवाज दबाई जाती है. 

2) लॉकडाउन में 19 अप्रैल को मजदूर राशन की तंगी के कारण जीटी रोड पर जाम लगाकर प्रदर्शन करते हैं, जिसके कारण कुण्डली पुलिस सताए हुए मजदूरों पर लाठी चार्ज करके एक मजदूर की टांग तोड देती है.उसके बाद ही 3 मई को पहली बार प्रशासन 5 हजार मजदूरों को 15 दिन का राशन उपलब्ध करवाता है. 

3) 24 मई 2020 को शांति पूर्वक शारीरिक दूरी का पालन करते हुए मजदूर, मजदूर अधिकार संगठन के नेतृत्व में एक सभा करते हैं. मजदूर अधिकार संगठन के कार्यकर्ताओं पर हिंदू जागृति मंच के फासीवादी गुंडे हमला करते हैं.व एक साथी साहिल को अपहरण करके ले जाते हैं. 

    मजदूर अधिकार संगठन किसान आंदोलन की शुरुआत से ही इस जन आंदोलन में बढ़ चढ़ कर भाग लिया है. 

1 दिसम्बर को किसान आंदोलन के दौरान मजदूर अधिकार संगठन के नेतृत्व में हजारों की संख्या में मजदूरों ने कंपनियों से छुट्टी करके किसान आंदोलन का समर्थन किया. इसके बाद मजदूरों की अपनी फौरी मांगों के लिए आन्दोलन तेज किया. मजदूर अधिकार के संगठन के सदस्यों ने आंदोलन की अगुवाई की जिसमें सैकड़ों मजदूरों के लाखों बकाया वेतन जोकि अलग-अलग कंपनियों में फंसा था,   
को दिलवाने के लिए संघर्ष तेज किया. 

पहले वेतन रोकने वाली कम्पनियों को लोक अधिकारों के तहत पत्र भेजे गए.पत्र पर काम न करने वाली कम्पनिययों के खिलाफ मजदूर अधिकार संगठन के बैनर तले मजदूर अलग-अलग लुटेरी कंपनियों के बाहर धरना प्रदर्शन करते थे, नारे लगाते थे. कंपनी मालिक के बकाया वेतन देने पर या ठोस आश्वासन देने पर मजदूर जत्थेबंदी अन्य दूसरी वेतन रोकने वाली कंपनी में बाहर बढ़ चलती थी.  

इसी दौरान मजदूर-किसानों की एकता से मजदूरों के बकाया वेतन दिलवाने का संघर्ष बढ़ रहा था. अब कुंडली इंडस्ट्रीज एसोसिएशन(KIA) की क्विक रिस्पांस टीम(QRT) डंडों के साथ कंपनियों के बाहर पहुंचने लगी ,28 दिसंबर को KIA की क्विक रिस्पांस टीम QRT ने मजदूरों की एकता  पर अचानक लाठी-डंडों व पिस्तौल से फायर करते हुए हमला किया, लेकिन मजदूर किसानों की एकता ने उनका जमकर प्रतिरोध किया, व उन्हें वहां से भगा दिया. उसके बाद मजदूर कुंडली थाना पहुंचे वह गुंडों के पिस्तौल व डंडों से हमला की शिकायत की. लेकिन कुंडली पुलिस ने मजदूरों से चलाई गई गोली का खोल मांगा व मजदूरों के हक में उचित कार्यवाही नहीं की.बल्कि गुन्डों का पक्ष लिया जिसके कारण मजदूर अधिकार संगठन ने एसपी को ईमेल किया व पोस्ट कर इस घटना की शिकायत की.लेकिन एसपी कार्यालय से भी कोई उचित कार्रवाई नहीं की गई. उल्टा मजदूरों पर ही जबरन उगाही झगड़े करने के झूठे केस दर्ज किए गए. 

12 जनवरी को फिर से मजदूर अपनी मांगों के लिए एकजुट हुए अब बकाया वेतन लेने के लिए अलग-अलग कंपनियों में गए. 12 जनवरी को जिस पहली कंपनी में महिला मजदूर के पैसे फंसे हुए थे उन्होंने ठोस आश्वासन देकर बकाया वेतन देने की बात कही.इसके बाद मजदूर अन्य दूसरी पैसा रोकने वाली कंपनी की ओर चल दिए. लेकिन अब जिस कंपनी के बाहर गए थे वह कंपनी प्रशासन गेट नहीं खोलता, उल्टा गुंडों व पुलिस को बुलाकर मजदूरों पर हमला करवाता है. 

बोलेरो गाड़ी लेकर पहले तो बाउंसर आते हैं, उसके बाद 7-8 पुलिस पुरुष पुलिसकर्मी आते ही मजदूरों पर  बिना बात-चीत किए हमला करते हैं. 
मजदूर नेत्री नवदीप कौर को निशाना बनाकर आपत्तिजनक  तरीके से पकड़ कर उसके कपड़े खींचते हैं. उसे मारते-पीटते हुए पुरुष पुलिसकर्मी घसीटना शुरू कर देते हैं.ऐसे में सताए हुए उत्पीड़ित मजदूर पुलिस की इस बर्बरता का प्रतिरोध करते हैं, व अपने नेता को छुड़वाने की कोशिश करते हैं लेकिन सफल नहीं हो पाते  पुरुष पुलिसकर्मी नवदीप कौर को सड़क पर, गाड़ी में व पुलिस कस्टडी में बेरहमी व खौफनाक तरीके से पीटते हैं. चमड़ो के जूतों से व डंडों से उस पर ठोकरें मारते हैं. बर्बर तरीके से एक महिला पर पुरूष पुलिसकर्मी हमला करते.जिसके कारण नवदीप कौर बुरी तरह घायल हो जाती है. 

उसके 4 दिन बाद 16 जनवरी 2021 को पुलिस शिवकुमार जो कि मजदूर अधिकार संगठन का अध्यक्ष है उसे गिरफ्तार करती है. 8 दिन तक अवैध कस्टडी में रखती है, बेरहमी से पीटती है.व 24 जनवरी 2021 रविवार छुट्टी के दिन कोर्ट में पेश करके 10 दिन का रिमांड पर और ले लेती है. इस दौरान उनके घर परिवार को सूचित नहीं किया जाता, बेरहमी से व खौफनाक तरीके से शिवकुमार को पीटा जाता है. 

2 फरवरी 2021 को शिव कुमार को जेल में भेज दिया जाता है. लेकिन जेल में भी पुलिस उनके वकील व उनके परिवार तक को भी मिलने नहीं देती. 
कल 20 फरवरी को हाई कोर्ट के आदेश पर शिव कुमार का मेडिकल कराया जाता है और परिवार के सदस्यों को मिलने की अनुमति दी जाती.शिव कुमार बेहद कम देख पाता है उसकी एक आंख देखने की शक्ति में असमर्थ है.उसे उसका चश्मा तक है नहीं दिया जा रहा. शिव कुमार की आंखो का इलाज दिल्ली के एम्स में चल रहा है. 

पूरा सोनीपत प्रशासन मानव अधिकार, पर्यावरण, श्रम अधिकारों  की ओर से आंख मूंद कर मजदूर संगठनों को कुचलने में मुस्तैदी दिखा रहा है. 
 1). सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली जल बोर्ड की पिटीशन के बाद हरियाणा सरकार को यमुना नदी के  दूषित जल के कारण नोटिस भेजा. जिसमें दिल्ली जल बोर्ड की ओर से वकील ने आरोप लगाया है कि  औद्योगिक क्षेत्र से रासायनिक  तरल के कारण यमुना का पानी दूषित हो रहा है.औद्योगिक क्षेत्र में बहुत सारी कंपनियां खतरनाक रासायनिक तरल को बिना ट्रीटमेंट किए नदी नालों में छोड़ तथा भूमिगत जल में मिला रही है. आसपास के गांव का पानी दूषित हो चुका है. पीने लायक तो है भी नहीं, कपड़े धोने लायक भी नहीं है. 

2). पूरे सोनीपत में 5 औद्योगिक क्षेत्र है जिनमें 7000 से अधिक छोटी बड़ी औद्योगिक कंपनियां फैक्ट्रियां हैं. जिनमें से हजार कंपनियां भी रजिस्टर्ड नहीं है. 

इन कंपनियों में श्रम कानूनों की धज्जियां उड़ाई जाती हैं.मजदूरों को श्रम विभाग द्वारा तय न्यूनतम वेतन तक नहीं दिया जाता. जो कि 8 घंटे का 9319 रुपए तय है.अधिकतर कंपनियों में महिलाओं को 8 घंटे का औसतन 6000 व पुरुषों को 8 घंटे का औसतन 7500 हजार तक मासिक दिया जाता है. लेकिन प्रशासन को इसकी कोई परवाह नहीं. 

 3).  कुंडली में एक तरफ औद्योगिक क्षेत्र है दूसरी तरफ लगभग 50000 आबादी का मजदूर बस्ती है. बीच में से जीटी रोड है. जो कि तेज चलने वाली गाड़ियों से  व्यस्त रहता है. 25 से 30 मजदूर हर साल इस मौत की सड़क पर दुर्घटना में जान गवा बैठते हैं. मजदूर बार-बार पुल बनवाने की मांग करते हैं. लेकिन पुल बनवाने की बुनियादी मांग को भी सरकार व प्रशासन नजरअंदाज कर देती है. 

    इस औद्योगिक क्षेत्र में लगभग 80% मजदूर प्रवासी हैं.मजदूरों को लोकल ठेकेदार, दुकानदार, मकान मालिक, बाउंसर  और उद्योगपति मिलकर लूटते हैं.आवाज उठाने पर उन पर बेर्हमी से हमला करते हैं.ऐसे में  कुछ जागरूक लोकल व प्रवासी मजदूर अपने अधिकारों के लिए आवाज उठाते हैं तो उन्हें उद्योगपति ठेकेदारों- बाउंसर व पुलिस  के गठजोड़ से वैद्य अवैद्य तरीके द्वारा दबाने की कोशिश करते हैं. लेकिन  नवदीप कौर व शिव कुमार पर हुई पुलिसिया दमन की घटना ने  इस गठजोड़ को पूरे विश्व में बेनकाब कर दिया है.हम मजदूर अधिकार संगठन के सदस्य हैं मजदूर और किसानों की एकता का समर्थन करते हैं.और लगातार अपने हकों की मांग के लिए आंदोलन करते रहेंगे. हम मजदूर अधिकार संगठन की ओर से किसान आंदोलन जो कि एक जन आंदोलन है, की सभी मांगो का पुरजोर समर्थन करते हैं.तीनों कृषि विरोधी कानूनों का विरोध करते हैं क्योंकि  यह कानून न केवल किसानों के लिए खतरनाक है.बल्कि जमाखोरी को बढ़ाने वाला कानून मजदूरों के लिए भयंकर महंगाई लेकर आएगा. 
 

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