चंचल
अगर इस विषय पर मरहूम रमेश गौड़ संवाददाता नवभारत टाइम्स को लिखना पडता तो ? आप जानते हैं रमेश गौड़ को ? उप संपादक थे , नवभारत टाइम्स के सच को सच की तरह ङोलने के इतने एडिक्ट हो गए थे कि लोग उन्हें निहायत अखड़ू तक बोते थे . परोक्ष में . उम्र से जवान दिखता एक थुलथुला आदमी हाथ मे पुलिंदा लिए नवभारत सम्पादकीय विभाग में प्रवेश किया . इब्बार रवी से पूछा एक लेख छपवाना है . इब्बार जी लिखने व्यस्त थे फिर भी उन्होंने उस थिलथुले को उस टेबुल की तरफ जाने को कहा जहां रमेश गौड़ तुरत आकर बैठे ही थे और कॉलर के नीचे की बटन खोल रहे थे . उसने वही सवाल रमेश गौड़ से किया -
- एक लेख छपवाना है
- चिप्पी
- एक लेख छपवाना है
- आप मूर्ख हैं ?
- में ? नही तो
- जैन हो ?
- नही
- मूर्ख नही हो , जैन नही हो , तो नही छपेगा .
अब आप कुछ कुछ समझ गए होंगे रमेश गौड़ को .
एक खबर जो उठती है उसके तह में कई सवाल हल होने के लिए कतार में खड़े रहते हैं . उदाहरण के लिए कलकत्ता में पकड़ी गई भाजपा की मकबूल मसहूर नेत्री पामेला गोस्वामी . इन पर आरोप है कि ये कोकीन का धंधा करती है . लेकिन बागौर देर किए पामेला ने टॉप का मोह सही दिशा में घुमा दिया कि हमे भाजपा के ही लोंगो (?) ने फंसाया . भाजपा में दो तरह के लोग है औरत और मर्द . किसने फंसाया होगा और क्यों ?
जनाब रमेश गौड़ लिखते - सौतियाडाह .
- रमेश जी ! ये सौटियादाह क्या है ?
- हिंदी का शब्द है
- हम हिंदी में ही बैठे हैं
- तभी तो हिंदी उठ रही है .
- सच मे समझ मे नही आया
- स्त्री समाज का शब्द है , किसी स्त्री से जाकर समझो ।
सौतियाडाह
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