एल्गार परिषद मामले में पहली जमानत वरवर राव को

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एल्गार परिषद मामले में पहली जमानत वरवर राव को

महाराष्ट्र. महाराष्ट्र के भीमा-कोरेगांव हिंसा मामले में कवि वरवर राव को आखिरकार सशर्त जमानत मिल गई है. बॉम्बे हाईकोर्ट ने मेडिकल आधार पर राव की जमानत अर्जी मंजूर कर ली. हाईकोर्ट ने 82 वर्षीय वरवर राव को छह महीने के लिए जमानत दी है. राव 28 अगस्त, 2018 से ट्रायल का इंतजार कर रहे हैं. बता दें कि यह मामला 31 दिसंबर 2017 को पुणे में आयोजित हुए ए्गार परिषद के सम्मेलन में कथित भड़काऊ भाषणों से जुड़ा है. पुलिस का दावा है कि अगले दिन कोरेगांव-भीमा युद्ध स्मारक के पास हिंसा भड़क गई थी. पुलिस का दावा है कि यह सम्मेलन उन लोगों द्वारा आयोजित किया गया था जिनके माओवादियों से कथित तौर पर संबंध हैं. 

बता दें कि एक क्रांतिकारी लेखक और वामपंथी विचारधारा वाले राव को पहली बार 28 अगस्त, 2018 को पुणे पुलिस ने गिरफ्तार किया था.उन पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की हत्या की साजिश रचने का आरोप लगा था.जिसे उन्होंने खुद और उनके परिवार ने नकार दिया था. इस बाबत जस्टिस एस एस शिंदे और जस्टिस मनीष पितले की खंडपीठ ने कहा कि इसमें कुछ उचित शर्तें लागू होंगी.राव को 6 महीने के लिए नानावती अस्पताल से छुट्टी देने का निर्देश दिया गया है.दरअसल कोर्ट मेडिकल ग्राउंड पर ही वरवर राव को जमानत दी है। खास बात यह है कि एल्गार परिषद मामले में यह पहली जमानत है. 

भीमा कोरेगांव मामले में कवि और सामाजिक कार्यकर्ता वरवर राव को हाईकोर्ट ने अंतरिम जमानत दे दी है. उन्हें इस शर्त के साथ जमानत दी गई है कि वो जांच के दौरान मुंबई में ही रहेंगे, इसके साथ ही उन्हें जांच के लिए उपलब्ध रहेंगे. एल्गार परिषद केस में ये पहली जमानत है. वरवर राव को बॉम्बे हाईकोर्ट ने जमानत मेडिकल कंडीशन के आधार पर दी है. मामले की सुनवाई के दौरान पीठ ने कहा कि अगस्त 2018 से मुकदमे का इंतजार कर रहे राव को छह महीने की जमानत अवधि के बाद या तो आत्मसमर्पण करना चाहिए या उसके विस्तार के लिए आवेदन करना चाहिए. राव को इस शर्त पर जमानत दी गई है कि उन्हें मुंबई में ही रहना है और जांच के लिए उपलब्ध होना चाहिए. 

एल्गार परिषद मामले की जांच राष्ट्रीय अन्वेषण अधिकरण (एनआईए) कर रही है. राव 28 अगस्त 2018 से ही न्यायिक हिरासत में हैं और मामले की सुनवाई का इंतजार कर रहे हैं. न्यायमूर्ति एसएस शिंदे और न्यायमूर्ति मनीष पिटाले की पीठ ने सोमवार को आदेश दिया कि राव को अस्पताल से छुट्टी दे दी जाए जोकि उनके स्वास्थ्य की स्थिति पर निर्भर करेगी. पीठ ने कहा कि अस्पताल से छुट्टी के तुरंत बाद उन्हें जमानत पर रिहा किया जाए. 


जमानत नहीं तो होगा मानवाधिकार का उल्लंघन 
उच्च न्यायालय ने कहा कि अगर वह राव को चिकित्सा के आधार पर जमानत नहीं देता तो यह मानवाधिकार के सिद्धांत की रक्षा करने के उसके कर्तव्य एवं नागरिकों के जीवन एवं स्वास्थ्य के मौलिक अधिकार से विमुख होने जैसे होगा. पीठ ने जमानत देने के साथ कठोर शर्तें भी रखी हैं जिनमें जमानत की अवधि में वरवरा राव को मुंबई की एनआईए अदालत के न्यायाधिकार क्षेत्र में ही रहने का निर्देश भी शामिल है. अदालत ने कहा कि राव को अपना पासपोर्ट एनआईए की अदालत में जमा कराना होगा और वह मामले के सह अभियुक्तों से किसी तरह का संपर्क स्थापित करने की कोशिश नहीं करेंगे. 

50 हजार के पर्सनल बॉन्ड पर जमानत 
अदालत ने ये भी कहा कि उन्हें जमानत के लिए 50,000 का पर्सनल बॉन्ड भरना होगा. इसके साथ ही एनआईए कोर्ट में भी सुनवाई के लिए मौजूद रहना होगा. “हालांकि वह एनआईए अदालत के सामने व्यक्तिगत उपस्थिति में छूट के लिए वह आवेदन कर सकते हैं.” राव को आज उनकी हालत के आधार पर नानावती अस्पताल से छुट्टी मिल जाएगी और छह महीने के लिए एनआईए कोर्ट मुंबई के अधिकार क्षेत्र में रहना होगा. कोर्ट ने कहा कि वो नजदीकी पुलिस स्टेशन में वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए अपनी मौजूदगी की जानकारी दे सकते हैं. 

जेल में बंद वरवर राव पिछले साल जुलाई के महीने में कोरोना पॉजिटिव पाए गए थे. जिसके बाद उन्हें तालोजा जेल सरकारी जेजे अस्पताल में भर्ती कराया गया था. उस वक्त उनकी बिगड़ती हालत को लेकर परिवार ने चिंता जाहिर की थी. 
 

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