पटना.छोटे कर्जों की माफी और स्वयं सहायता समूह से जुड़ी महिलाओं के रोजगार के सवाल पर ऐपवा - स्वयं सहायता समूह संघर्ष समिति के बैनर तले 5 मार्च को विधानसभा मार्च होगा.यह मार्च गेट पब्लिक लाइब्रेरी से 12 बजे से निकलेगा. केंद्र की मोदी सरकार और बिहार की नीतीश सरकार की नीतियों ने स्वयं सहायता समूह की महिलाओं को सड़क पर उतरने को विवश कर दिया है. इन महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाने के नाम पर इन्हें पहले कर्ज दिया गया और अब इन्हें सूदखोरी के भयानक दलदल में धकेल दिया गया है. कर्ज माफी और रोजगार की गारंटी की मांग पर कल 5 मार्च को ऐपवा और स्वयं सहायता समूह संघर्ष समिति के संयुक्त तत्वावधान में विधानसभा के समक्ष गर्दनीबाग में मार्च होगा. यह मार्च 12 बजे आरंभ होगा. उक्त जानकारी आज पटना में एक संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुए ऐपवा की महासचिव मीना तिवारी ने दी. संवाददाता सम्मेलन में उनके साथ ऐपवा की बिहार राज्य अध्यक्ष सरोज चौबे व पटना नगर की सचिव अनीता सिन्हा भी उपस्थित थीं.
उन्होंने आगे कहा कि बिहार की करोड़ो महिलाओं को स्वयं सहायता समूहों, माइक्रो फायनेंस वित्त कंपनियों और निजी बैंकों द्वारा स्व-रोजगार के जरिए आत्मनिर्भर बनाने के नाम पर कर्ज दिया गया. लेकिन लाॅकडाउन के दौरान महिलाओं का कारोबार पूरी तरह ठप्प हो गया था और वे इन कर्जों को चुकाने और उन पर ब्याज देने पर पूरी तरह असमर्थ थीं. फिर भी उस दौर में महिलाओं को धमकी देकर कर्ज की वसूली की जाती रही. यह नई किस्म की महाजनी व्यवस्था का प्रारम्भ हुआ है.
मोदी सरकार द्वारा पेश बजट में इन महिलाओं को कोई राहत नहीं मिली. एक तरफ सरकार बड़े पूंजीपतियों को बेल आउट पैकेज दे रही है, रिपोर्ट बतला रहे हैं कि लाॅकडाउन के दौरान उनकी संपत्ति का विस्तार हुआ है, लेकिन महिलाओं के छोटे कर्जों को माफ नहीं किया जा रहा है. यह सरकार की कौन सी नीति है?
बिहार की नीतीश सरकार भी जीविका दीदियों का लगातार शोषण ही कर रही है. लंबे समय से मांग है कि जीविका दीदियों को न्यूनतम 21000 रुपया मानदेय दिया जाए, लेकिन सरकार इसमें आनाकानी कर रही है. आंध्रप्रदेश की सरकार ने अगस्त 2020 में समूहों के 27 हजार करोड़ रुपये की देनदारी का भुगतान कर इनके कर्ज को माफ करने का काम किया. फिर बिहार सरकार इस काम को क्यों नहीं कर सकती है?
बिहार में ऐपवा और स्वयं सहायता समूह संघर्ष समिति ने विधानसभा चुनाव के पहले कर्ज माफी को लेकर पूरे राज्य में व्यापक प्रदर्शन किया था और जिसके कारण कई जगहों पर कर्ज वसूली पर तात्कालिक रूप से रोक लगी थी. और उसके बाद दबाव में राज्य सरकार ने इन समूहों को छिटपुट तरीके से छोटे-मोटे काम दिए हैं, लेकिन अभी भी हर समूह के लिए जीविकोर्पाजन अर्थात रोजगार की गारंटी नहीं की गई है.
कल के प्रदर्शन में माइक्रो फायनेंस संस्थाओं की मनमानी पर रोक लगाने, महिलाओं का कर्ज माफ करने, ब्याज वसूली पर अविलंब रोक लगाने, एक लाख तक के कर्ज को ब्याज मुक्त करने, 10 लाख तक के कर्ज पर 0 से 4 प्रतिशत की दर से ब्याज लेने, स्वयं सहायता समूह की महिलाओं को अनिवार्य रूप से रोजगार देकर उत्पादों की खरीद करने, कर्ज के नियमन के लिए राज्य स्तरीय प्राधिकार का गठन करने, जीविका दीदियों को 21,000 रु. देने आदि मांगे प्रमुखता से उठायी जाएंगी.
Copyright @ 2019 All Right Reserved | Powred by eMag Technologies Pvt. Ltd.
Comments