छह सौ साल पुराना गांव

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छह सौ साल पुराना गांव

रति सक्सेना 
दो नवम्बर 2018 का दिन है, अलसवेरे  हल्के नाश्ते के बाद हम सब हवन कुण्ड की आकृति वाली बोरसी के चारों और मुड्ढ़ियां और कुर्सियां लगा कर फिर से बैठ गए. कुण्ड में अंगारों पर रखी कैतली  में चाय उबलने लगी, और सुनहरी चाय नन्हें नन्हे प्यालों में ढ़लने लगी. हमसब अनायास प्याला उठा लेते , लेकिन जैंसे ही प्याली खाली होती, फिर से भर  दी जाती. यह तीसरा दिन था, और इस तरह की बैठकियां लगातार चल रही थी, सबके पास सैंकड़ों सवाल थे, साहित्य, राजनीति, अध्यात्म और दुनिया को लेकर. चीन इस वक्त सबसे मजबूत देश होने पर भी अनेकों सवालों के घेरे में रहता है़ चीन  के बेहद महत्वपूर्ण कवि और यून्नान में लोकप्रिय कवि विचारक यूजिआन के पास सबके जवाब भी हैं. और सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि यून्नान विश्विद्यालय की प्रोफेसर हान जो अंग्रेजी की वरिष्ट अध्यापिका है, बड़ी तत्परता से अनुवाद कर रही हैं. चीन में अंग्रेजी अभी भी ना के बराबर है़.   

 
हम चीन के युन्नान राज्य की राजधानी कुनमिन के पास करीब  Dale Vally में  Le Ju नामक "यी" जनजाती के पुरातन गांव के एक घर में बैठे हैं, जिसे हाल में ही आर्टिस्ट रेजीडेन्सी के रूप में  किया गया है. यह  छह सौ साल पुराने गांव में स्थित है, जहां करीब दो सौ साल पुराने तीन घरों को यथापूर्वक जस की तस रखते हुए पुनः निर्मित किया, उसी में  राइटर्स रेसीडेन्सी बनाई गई है. इस कार्य में कुनमिन के करीब सभी कवि और कलाकारों का हाथ रहा है. घर की एक बाहरी दीवार करीब दोसौ साल पुरानी है, जिसमें बिल्कुल भी बदलाव नहीं किया गया है. एक हिस्सा जो मजबूत था, उसे भी अपने प्राचीनतम रूप में रखा गया है, लेकिन दाहिनी ओर का खण्ड जो काफी कुछ ढ़ह गया था, उसे पुरातन शैली में उसी तरह से बनाया गया, जिस तरह से उस काल के मकान बने होते. घरों की दीवार में गोबर, गारे के साथ घास आदि के साथ काली मिर्च आदि का भी उपयोग किया गया है, बताया गया कि काली मिर्च दीवारों के तापमान को संयमित करती है.  कुनमिन नगर पालिका ने इस गाँव को दर्शनीय स्थानों में घोषित किया है. अनेक घर भग्नावेश है, लेकिन शहर के कलाप्रेमी इन खण्डहरों को खरीद कर पुरातन शैली को जीवित रखते हुए पुनः निर्माण कर रहे है. काफी कुछ फार्म हाउस की तर्ज में. लेकिन ये समर हाउस के स्थान पर कला प्रेमियों का अड बनाने के लिए ज्यादा उत्सुक है. मैंने तीन बनते हुए घर देखे, जो भविष्य में योग स्कूल और अर्टिस्ट रेसीडेन्सी के रूप में काम करेंगे.   
इस घर के तीन भागीदार है, एक जर्नलिस्ट Wang Ning , दूसरे Zhu Xiao Hua जो एक  सरकारी कर्मचारी हैं, औेर उनके अलावा एक योगगुरु कवि हम्बूदियार हैं, जो चीनी चिकित्सा प्रणाली में निपुण हैं, और हूशि, यानी कि प्राणवायु पर आधारित योग प्रक्रिया सिखाती हैं. उनके साथ तीन छात्राएं हैं, जिनमें से एक यालिंग  अपनी कालेज की नौकरी छोड़ कर आई है, जेन चिंग यान ने एक बड़े शहर में  कारखाने मे अकाउण्टेन्ट के रूप में छह साल काम किया ओर फिर योग सीखने की चाह में चली आई, और तीसरी जो सबसे कम आयु की है , लेकिन सबसे ज्यादा वाचाल और होशियार है, फांगगुआन ने अपने कालेज की पढ़ाई अधूरी छोड़ दी और योग सीखने चली आई. यह चपल लड़की अपने माता पिता की अकेली सन्तान है, जो उन्हें चालीस साल की उम्र में प्राप्त हुई, उन्हे भय था कि यह लड़की बिगड़ैल ना बन जाये,   

लेकिन वह  हर एक काम को बड़ी निपुणता से कर लेती है, और बड़ी सहजता से जीवन जीती है.  मुझे आश्चर्य हुआ ये तीनो लड़कियां घर का सारा काम स्वयं करती हैं, किसी को उनसे कुछ कहने की जरूरत ही नहीं पड़ती.  वे बाथरुम साफ करने से लेकर खाना बनाना, पौछा लगाना आदी सारा काम कर लेती है, और साथ साथ योग, और चिकित्सा भी सीख रही है. हम्बूदियार काफी वक्त से योग शिक्षा दे रही हैं, उनकी अनेक छात्राएँ रही हैं, जो आजकल बेहतरीन जगहों में रहती हैं , लेकिन अपने गुरु के कार्य के लिए पूरी सहायता देती हैं. पहाड़ों की गोद में छिपे इस मिट्टी के टीले गांव में एक पुरातन शैली के घर में वे जितनी कुशलता से रह रही हैं, मैं कल्पना भी नहीं कर सकती थी. इन लड़कियों में गजब का आत्मविश्वास और निडरता है.हम्बूदियार केवल सिखाने और चिकित्सा में रुचि लेती हैं, मैंने उन्हें रसोई घर में जाते भी नहीं देखा. ये शिष्याएं सब कुछ संभालती है. बाथरूम की सफाई से लेकर खाना पकाना और गुरु के साथ चिकित्सा करना़. ये लड़कियाँ निसन्देह पुरातन गुरुकुल प्रणाली का अनुकरण सा करती दीखती हैं.जारी 

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