भूमिहीनों को जमीन दिए जाने की मांग

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भूमिहीनों को जमीन दिए जाने की मांग

पटना. बिहार विधानसभा में वृहस्पतिवार को भू राजस्व और भूमि सुधार विभाग के बजट को लेकर शुरू होने वाले चर्चा से पहले माले विधायको ने हंगामा किया. माले विधायको ने विधानसभा के बाहर नारेबाजी और प्रदर्शन करते रहे. माले विधायकों ने भूमिहीन गरीबों को 5 डिसिमिल जमीन देने की मांग उठायी.आरजेडी विधायकों ने भी सदन में जबरदस्त हंगामा किया. आरजेडी का आरोप है कि ये सरकार गरीब विरोधी है ऐसे में बिहार विधानसभा में भू राजस्व और भूमि सुधार पर होने वाली चर्चा में आरजेडी इस मुद्दे को उछाला. 

10 वें दिन बजट सत्र की कार्यवाही की शुरुआत में ही विपक्ष का हंगामा तेज हो गया.भूमिहीनों को जमीन देने की मांग पर राजद विधायक हंगामा करने लगे. CPI ML के विधायक विधानसभा के बाहर बैनर-पोस्टर लेकर प्रदर्शन करते दिखे. भूमि सुधार कानून लागू करने की मांग को लेकर माले विधायक विधानसभा के बाहर प्रदर्शन कर रहे थे. माले विधायक डी.बंदोपाध्याय आयोग की सिफारिश में संपूर्णता की मांग कर रहे हैं. शहरी गरीबों के लिए आवास नीति बनाओ, जहां झुग्गी वहीं मकान आवास नीति बनाओ, सभी भूमिहीन गरीबों को वासगीत पर्चा दो, भूमि सुधार कानून लागू करो…नारों के साथ लेफ्ट के विधायक विधानसभा के बाहर प्रदर्शन कर रहे थे. 

गैर सरकारी संस्थाओं के द्वारा प्रदेश में बिहार प्रिविलेज पर्सन्स होमस्टेड टेनेंसी रूल्स, 1948 को लेकर आवासीय भूमिहीनों को आवासीय भूमि दिलवाने के लिए संद्यर्ष रहे.संपूर्ण क्रांति से जुड़े नेताओं ने मंहथ की भूमि को लेकर आंदोलनरत रहे.इनमें प्रदीप प्रियदर्शी,प्रभात,पंकज,विजय आदि सक्रिय रहे.एकता परिषद के संस्थापक पीव्ही राजगोपाल समर्थकों के साथ जमुई से पटना तक पदयात्रा किये. 

गैर सरकारी संस्थाओं के आंदोलन के दबाव में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने बिहार में भूमि सुधार आयोग गठित किये.नीतीश कुमार ने साल 2006 में डी बंदोपाध्याय की अध्यक्षता में ‘भूमि सुधार आयोग’ का गठन किया.आयोग ने 2008 में अपनी रिपोर्ट राज्य सरकार को सौंप दी.लेकिन 13 साल बाद भी नीतीश कुमार ने आयोग के सुझावों पर अमल की कोई पहल करते नहीं दिख रहे.गठित आयोग की रिपोर्ट साल 2008 से ही डब्बाबंद है. 

आयोग ने अपनी रिपोर्ट में भूमिहीनों के हितों की रक्षा के लिए कुछ प्रमुख अनुशंसाएं की हैं.बिहार में कुल 18 लाख एकड़ तक फैली अतिरिक्त ज़मीनें हैं. ये ज़मीनें या तो सरकारी नियंत्रण में है या भूदान समिति के नियंत्रण में, जिसे बांटा नहीं जा सका है या सामुदायिक नियंत्रण में या कुछ अन्य लोगों के कब्जे में है. आयोग ने इन ज़मीनों को भूमिहीनों में बांटने की अनुशंसा की है. 

आयोग की सिफ़ारिश है कि बटाईदारों की रक्षा के लिए एक अलग बटाईदारी कानून होना चाहिए.किसी भूमि पर मात्र दो श्रेणियों के व्यक्ति का अधिकार हो (क) रैयत, जिसे भूमि पर पूर्ण स्वामित्व, अधिकार तथा हित रहेगा (ख) बटाईदार, जिसे स्वामित्व का अधिकार नहीं बल्कि भूमि पर लगातार जोत-आबाद का अधिकार रहेगा. 

हर बटाईदार के पास पर्चा रहे, जिसमें भू-स्वामी का नाम तथा जिस भूखंड पर वह जोत कर रहा है, उसकी संख्या रहे. पर्चा की सत्यापित प्रति भू-स्वामी को दी जाए.बटाईदार का जोत आबाद का अधिकार अनुवांशिक रहे, यानी पीढ़ी दर पीढ़ी वो उसपर खेती कर सके. 

इस बीच एकता परिषद के संस्थापक पीवी राजगोपाल के नेतृत्व में जनादेश 2007 पदयात्रा ग्वालियर से दिल्ली तक की गयी.25 हजार लोग भूमि सुधार,आजीविका आदि को लेकर पदयात्रा कर दिल्ली पहुंचे. केन्द्र सरकार ने देश में भूमि सुधारों की दिशा में एक ऐतिहासिक कदम उठाते हुए प्रधानमंत्री की अध्यक्षता में राष्ट्रीय भूमि सुधार परिषद के गठन का फैसला किया. 

यूपीए के पूर्व केन्द्रीय ग्रामीण विकास मंत्री रघुवंश प्रसाद सिंह ने जनादेश रैली की अगुवाई कर रही एकता परिषद के छह सदस्यीय प्रतिनिधिमंडल को यह जानकारी दी.इस प्रतिनिधिमंडल में जानी-मानी सामाजिक कार्यकर्ता अरुणा राय, माकपा पोलित ब्यूरो की सदस्य वृंदा करात, सुश्री अमरजीत कौर और पीव्ही राजगोपाल शामिल थे. प्रतिनिधिमंडल के अनुसार बताया कि आदिवासियों को उनकी परम्परागत वनभूमि पर मालिकाना हक दिलाने के लिए उनके मंत्रालय ने एक समिति गठित करने का फैसला किया है. यह समिति भूमि सुधार के बारे में विभिन्न स्वयंसेवी संगठनों और राज्य सरकारों से बातचीत करके अपनी रिपोर्ट राष्ट्रीय भूमि सुधार परिषद को सौंपेगी.जो कागज तक ही सिमटकर रह गयी.इन मुद्दों को लेकर जन सत्याग्रह 2012 और जनांदोलन 2018 में सत्याग्रह किया गया. 
 

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