गोपालगंज शराब कांड में नौ को फांसी

गोवा की आजादी में लोहिया का योगदान पत्रकारों पर हमले के खिलाफ पटना में नागरिक प्रतिवाद सीएम के पीछे सीबीआई ठाकुर का कुआं'पर बवाल रूकने का नाम नहीं ले रहा भाजपा ने बिधूड़ी का कद और बढ़ाया आखिर मोदी है, तो मुमकिन है बिधूड़ी की सदस्य्ता रद्द करने की मांग रमेश बिधूडी तो मोहरा है आरएसएस ने महिला आरक्षण विधेयक का दबाव डाला और रविशंकर , हर्षवर्धन हंस रहे थे संजय गांधी अस्पताल के चार सौ कर्मचारी बेरोजगार महिला आरक्षण को तत्काल लागू करने से कौन रोक रहा है? स्मृति ईरानी और सोनिया गांधी आमने-सामने देवभूमि में समाजवादी शंखनाद भाजपाई तो उत्पात की तैयारी में हैं . दीपंकर भट्टाचार्य घोषी का उद्घोष , न रहे कोई मदहोश! भाजपा हटाओ-देश बचाओ अभियान की गई समीक्षा आचार्य विनोबा भावे को याद किया स्कीम वर्करों का पहला राष्ट्रीय सम्मेलन संपन्न क्या सोच रहे हैं मोदी ?

गोपालगंज शराब कांड में नौ को फांसी

आलोक कुमार 
गोपालगंज.संविधान में नीति निर्देशक सिद्धांत के तहत अनुच्छेद 47 में कहा गया है कि सरकार शराब और दूसरे नशीली पदार्थों जो लोगों के स्वास्थ्य के लिए हानिकारक है पर रोक की दिशा में काम करेगी .इसके आलोक में शराबबंदी की पहल 9 जुलाई 2015 से हुई थी.जब मुख्यमंत्री नीतीश के कार्यक्रम में एक महिला ने कह दिया कि 'मुख्यमंत्री जी, शराब बंद कराइए.घर बर्बाद हो रहा है.' नीतीश ने फौरन ऐलान कर दिया कि अगली बार सरकार में आए, तो शराब बंद कर दूंगा.उन्होंने अपना पहला वादा पूरा भी कर दिया.बिहार में 01अप्रैल 2016 से शराबबंदी लागू है. 

बताते चले कि बिहार में शराबबंदी को पूरी तरह लागू करने की राह में तमाम अड़चनें थी, लेकिन सरकार इन अड़चनों से घबराकर अपने फैसले को वापस लेने के मूड में बिल्‍कुल ही नहीं है.तत्कालीन मुख्यमंत्री कर्पूरी ठाकुर ने 1977 में भी रोक लगाई थी. लेकिन डेढ़ साल के अंदर ही फैसला वापस ले लिये थे. विदित है कि प्रदेशों की सरकारों की कमाई का सबसे बड़ा जरिया शराब ही होती है. हालांकि नीतीश कुमार परवाह किये कहते हैं कि बिहार के भविष्य और महिलाओं की चिंता को देखते हुए ये फैसला सख्ती से लागू कर रहे है.जो नुकसान हो रहा है, उसकी भरपाई के लिए विकल्प तलाशे जा रहे हैं. 

बिहार के मुख्‍यमंत्री नीतीश कुमार ने खुद ही इसे पूरी तरह स्‍पष्‍ट कर दिया है.बिहार पुलिस सप्‍ताह के अंतर्गत पटना में आयोजित कार्यक्रम के दौरान मुख्‍यमंत्री ने कहा कि अप्रैल 2016 से जनवरी 2021 तक शराबबंदी से संबंधित 2 लाख 55 हजार 111 मामले दर्ज किए गए हैं. 

आगे मुख्‍यमंत्री ने कहा कि शराबबंदी कानून के तहत अब तक 3 लाख 39 हजार 401 अभियुक्तों की गिरफ्तारी पूरे बिहार में हुई है.उन्‍होंने कहा कि पुलिस बल की कार्रवाई में पूरे राज्‍य में 51.7 लाख लीटर देसी शराब और 94.9 लाख लीटर विदेशी शराब जब्त की गई.3 लाख 39 हजार 401 अभियुक्तों की गिरफ्तारी हुई. 470 अभियुक्तों को न्यायालय से सजा हुई है. 

बिहार के 13% लोग रोज पीते थे शराब.30% लोग शराब पीते हैं भारत में.4 से 13% लोग नियमित पीते हैं. खपत के मामले में तीसरा बड़ा देश.हर साल 6 
से 8% की रफ्तार से बढ़ रही है संख्या.45% हिस्सा आमदनी का ग्रामीण भारतीय शराब पर खर्च करते हैं. 20% की मौत शराब पीकर गाड़ी चलाने से होती है.  
04 गुना खपत बढ़ी देशी शराब की, विदेशी शराब की 5 गुना बीयर की 11 गुना खपत बढ़ी पिछले कुछ सालों में. 

हर साल बिहार में 1410 लाख लीटर शराब पी जाते थे. इनमें 990.36 लाख लीटर देशी शराब और 420 लाख लीटर विदेशी शराब शामिल थी. पूरे बिहार में शराब की करीब 6 हजार दुकानें थी. शराबबंदी का असर गोपालगंज जिले में पड़ा. 

अबतक गोपालगंज जिले में सबसे सख्त कार्रवाई की गयी है.बिहार में शराबबंदी के बाद गोपालगंज के खजुरबानी मोहल्‍ले में इस बड़े कांड से पूरे प्रदेश में सनसनी फैल गई थी. मिली जानकारी के अनुसार 15 अगस्त की रात जहरीली शराब पीने के बाद अचानक लोगों की तबीयत खराब होने लगी.16 अगस्त की सुबह तक कई लोगों की मौत हो गई.शाम होते-होते कुल 19 मौतें हो गई थीं. 

शराबबंदी के 138 दिनों के बाद 16 अगस्त 2016 को खजुरबानी में जहरीली शराब पीने से 19 लोगों की मौत हुई थी.इस जहरीली शराब कांड में 6 लोगों की आंखों की रोशनी भी चली गई थी. बड़े पैमाने पर शराब बरामदगी के बाद नगर थाना के तत्कालीन थानाध्यक्ष बीपी आलोक के बयान पर इसी थाने में एफआइआर दर्ज की गई थी. इसमें खजुरबानी वार्ड नंबर 25 निवासी छठू पासी, कन्हैया पासी, लालबाबू पासी, राजेश पासी, लालझरी देवी, कैलाशो देवी, नगीना पासी, सनोज पासी, रीता देवी, संजय चौधरी, रंजय चौधरी, मुन्ना चौधरी, इंदु देवी तथा ग्रहण पासी को नामजद आरोपित बनाया गया था.पुलिस द्वारा चार्जशीट दाखिल किए जाने के बाद मामले की सुनवाई शुरू हुई.सुनवाई के दौरान ही एक आरोपित ग्रहण पासी की मौत हो गई।  

12 जून 2020 को बिहार के डीजीपी  ने इस कांड के लेकर 21 पुलिसकर्मियों को बर्खास्त कर दिया था। लेकिन, इस साल की 14 जनवरी को हाईकोर्ट ने इनमें से एक सब इंस्पेक्टर समेत 5 पुलिसकर्मियों की बर्खास्तगी का आदेश रद्द कर दिया था. हाईकोर्ट के इस आदेश के प्रभाव से बाकी के 16 पुलिसकर्मियों की बर्खास्तगी का आदेश भी निरस्त हो गया था. इस शराबकांड में जिन 13 लोगों को दोषी करार दिया गया है उनमें 11 लोग अभी जेल में हैं.2 आरोपी फरार चल रहे हैं.इनकी गिरफ्तारी के लिए नए सिरे से वारंट जारी किया गया है. 

पांच साल चली सुनवाई के दौरान अभियोजन पक्ष की ओर से पेश किए गए सबूतों के आधार पर विशेष न्यायालय उत्पाद ने 26 फरवरी को 13 आरोपितों को दोषी करार दिया था.इस मामले में सरकार की ओर से विशेष लोक अभियोजक उत्पाद रविभूषण श्रीवास्तव तथा बचाव पक्ष से वेद प्रकाश तिवारी, विनय तिवारी तथा रामनाथ साहू ने कोर्ट में बहस की. सुनवाई के दौरान अभियोजन पक्ष ने कुल सात गवाहों को पेश किया था.कुल 14 लोगों को अभियुक्त बनाया था.लेकिन एक अभियुक्त की ट्रायल के दौरान मौत हो गई थी.  

गोपालगंज शराब कांड में स्पेशल कोर्ट ने 13 में से नौ दोषियों को फांसी और 4 महिलाओं को उम्रकैद की सजा सुनाई है.एक्साइज एक्ट के तहत गठित स्पेशल कोर्ट के जज एडीजे-2 लवकुश कुमार ने सभी दोषियों पर 10 लाख-लाख रुपये का जुर्माना भी लगाया है. गोपालगंज के खुजरबानी में जहरीली शराब पीने से 16 अगस्त 2016 में 19 लोगों की मौत हो गई थी, जबकि छह लोगों ने अपनी आंखों की रोशनी गंवा दी थी.बिहार में शराबबंदी 1अप्रैल 2016 को लागू हुई थी. 

फैसला आने के बाद दोषियों के परिवार वाले अदाल‍त परिसर में रोने लगे.कुछ लोगों ने हंगामा करने की कोशिश भी की. दोषियों के वकीलों का कहना है कि वे इस फैसले के खिलाफ हाईकोर्ट में अपील करेंगे. पांच साल तक चले मुकदमे के बाद इस मामले में 26 फरवरी को 14 में से 13 लोगों को दोषी ठहरा दिया गया था.आज उन्‍हें सजा सुनाई गई.हालांकि, इस कांड का मास्टरमाईंड रुपेश शुक्ला उर्फ पंडित अभी फरार है.कोर्ट ने उसके खिलाफ रेड वॉरंट जारी कर उसे भगोड़ा घोषित कर दिया है. 

कोर्ट का फैसला आने के बाद बचाव पक्ष के वकील ने हाईकोर्ट में अपील की बात कही है. वेद प्रकाश तिवारी बताया कि वे इस फैसले के खिलाफ हाई कोर्ट में अपील करेंगे. परिजनों ने भी कहा कि वे हाई कोर्ट जाएंगे. वहीं कोर्ट परिसर में मौजूद प्रियंका कुमारी ने बताया कि उनके पति राजेश चौधरी को भी फांसी की सजा सुनाई गई है. लेकिन पुलिस ने गलत तरीके से उनके पति को गिरफ्तार किया था. इस शराब कांड में उनका कोई दोष नहीं था. उनका कसूर बस इतना था कि वे खजुरबानी में परिवार के साथ रहते थे. जिन्हें फांसी की सजा सुनाई गई है. 


कहने को बिहार में शराबबंदी है लेकिन बिहार में अवैध तरीके से शराब बनाने के धंधे पर कोई लगाम नहीं लगी है, इस कारण जहरीली शराब का उत्पादन राज्य में अंदरखाने लगातार हो रहा है. जो सामान्य शराब से भी अत्यधिक नुकसानदेह होती है. इसकी वजह से बहुतों की जान चली जाती है, कुछ को आंखों से हाथ धोना पड़ता है. 

20 फरवरी के दिन ही मुजफ्फरपुर जिले के कटरा प्रखंड के दरगाह टोला से शराब पीने के कारण मौत होने की खबर आई थी. यहां शराब जहरीली शराब पीने से 5 लोगों की मौत हो गई थी. इससे पहले बिहार के गोपालगंज में ही जहरीली शराब के कारण दो लोगों की मौत हो गई थी और दो लोगों ने अपनी आंखें खो दी थीं.

  • |

Comments

Subscribe

Receive updates and latest news direct from our team. Simply enter your email below :