सहजानंद सरस्वती की जयंती पर किसान महापंचायत

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सहजानंद सरस्वती की जयंती पर किसान महापंचायत

पटना.बिहार में अंग्रेजी कंपनी राज व जमींदारी व्यवस्था के खिलाफ चले जुझारू किसान आंदोलन के महान नेता स्वामी सहजानंद सरस्वती की जयंती पर कल बिहटा में भाकपा-माले व अखिल भारतीय किसान महासभा के संयुक्त बैनर से किसान महापंचायत को आयोजन होने जा रहा है.  इस महापंचायत में माले महासचिव काॅ. दीपंकर भट्टाचार्य सहित अन्य वरिष्ठ किसा नेता भाग लेंगे. सभा के पहले माले महासचिव सभी नेतागण सीताराम आश्रम जायेंगे और सहजानंद सरस्वती को अपनी श्रद्धांजलि देंगे. 

इसी दिन पूरे बिहार के जिला मुख्यालयों पर भी किसान मार्च का आयोजन होगा. सहजानंद सरस्वती के किसान आंदोलन की विरासत को आगे बढ़ाते हुए मोदी व नीतीश सरकार द्वारा किसानों पर किए जा रहे जुल्म के खिलाफ 11 से 15 मार्च तक पूरे बिहार में किसान यात्रायें निकाली जाएंगी, जिसका समापन 18 मार्च को संपूर्ण क्रांति दिवस पर पटना में विधानसभा मार्च में होगा. जिसमें हजारों किसानों की भागीदारी होगी. 

 भाकपा-माले के राज्य सचिव कुणाल ने इन कार्यक्रमों में किसानों, मजदूरों और तमाम देशभक्त व न्यायप्रिय लोगों की व्यापक भागीदारी सुनिश्चित करने का आह्वान किया है ताकि किसान विरोधी सरकारों को अपने कदम पीछे खींचने के लिए मजबूर होना पड़े. 

आज देश व किसान विरोधी तीनों कृषि कानूनों के खिलाफ चलने वाले किसान आंदोलन ने सत्ता द्वारा उसे कुचल देने के सभी प्रयासों को निष्फल करते हुए 100 दिन पूरे कर लिए और अब अपना चैतरफा विस्तार पा रहा है. भाजपा को सत्ता से बाहर करने के संकल्प के साथ यह आंदोलन अब आजादी की दूसरी लड़ाई में बदल गई है. 

बढ़ते किसान आंदोलन से बेचैन भाजपा अब छोटे व सीमांत किसानों की हितैषी होने का स्वांग रचकर किसान आंदोलन में फूट डालने का एक बार फिर असफल प्रयास कर रही है. हर कोई जानता है कि छोटे व बटाईदार किसानों की सबसे बड़ी दुश्मन कोई और नहीं बल्कि भाजपा और उसके संगी-साथी हैं. अपने ही राज्य बिहार में भाजपा-जदयू की सरकार ने अपने ही द्वारा गठित बंद्योपाध्याय आयोग की सिफारिशों को कभी लागू नहीं होने दिया. बटाईदारों के पक्ष में आयोग द्वारा की गई अनुसंशाओं को रद्दी की टोकरी में डाल दिया गया. बटाईदारों का निबंधन कराने तक को सरकार तैयार नहीं हुई.  

मोदी सरकार के बहुप्रचारित किसान सम्मान निधि योजना में भूमिहीन किसानों व बटाईदारों के लिए कोई प्रावधान नहीं है. उनके हक की लड़ाई लाल झंडे के नेतृत्व में लड़ी गई है और आज इस तबके ने अपनी मांगों के साथ-साथ एमएसपी को कानूनी दर्जा, एपीएमसी ऐक्ट की पुनर्बहाली आदि सवालों को उठाकर किसान आंदोलन के दायरे को व्यापक बना दिया है. भाजपा-जदयू को किसानों की व्यापकतम निर्मित होती इसी एकता से दिक्कत है. 

इन कार्यक्रमों के जरिए तीनों कृषि कानूनों को रद्द करने, एमएसपी को कानूनी दर्जा देने, बिहार में एपीएमसी ऐक्ट पुनबर्हाल करने, बिजली के निजीकरण पर रोक लगाने आदि मांगें की जाएंगी. 

*कंपनी राज के खिलाफ किसान यात्रा का कार्यक्रम 

शाहाबाद जोन- बिहटा से यात्रा की गाड़ी आरंभ होगी. भोजपुर, रोहतास, कैमूर और बक्सर  

मगध जोन- बिहटा से आरंभ होकर पटना, अरवल, औरंगाबाद, गया, नवादा, नालंदा व जहानाबाद 

सिवान - चंपारण जोन*: बिहटा सेे आरंभ होकर सारण, सिवान, गोपालगंज, पश्चिम चंपारण व पूर्वीं चंपारण 

मिथिला जोन- बिहटा से आरंभ होकर वैशाली, मुजफ्फरपुर, दरभंगा, मधुबनी, समस्तीपुर 

बेगुसराय - पूर्णिया*: बिहटा से आरंभ होकर बेगुसराय, खगड़िया, भागलपुर, पूर्णिया व कटिहार 

कोसी जोन- सहरसा, सुपौल, मधेपुरा व अररिया 

जमुई जोन*: जमुई, लखीसराय, शेखपुरा, मुंगेर व बांका

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